कई लोगों के लिए 'कुम्हरार' का नाम अनजान हो सकता है. इतिहास से अनभिज्ञ लोग इसे 'कुम्हार' यानी कुम्हार समुदाय से जोड़ सकते हैं. लेकिन इतिहास प्रेमियों के लिए कुम्हरार एक अहम स्थान है. यही वह जगह है जहां कभी शक्तिशाली मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र बसी थी, जब राजधानी को राजगीर से यहां स्थानांतरित किया गया.
पाटलिपुत्र की स्थापना अजातशत्रु ने की थी, जो राजा बिंबिसार के पुत्र थे. अजातशत्रु महावीर और गौतम बुद्ध के समकालीन थे और उन्होंने सत्ता के लिए अपने ही पिता को कैद कर लिया था. उन्होंने वैशाली गणराज्य पर आक्रमण कर उसे जीत लिया और इस तरह 481-480 ईसा पूर्व के आस-पास दुनिया के पहले लोकतंत्र का अंत कर दिया. इसके बाद भी पाटलिपुत्र की महत्ता बनी रही जब चाणक्य के मार्गदर्शन में चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी. बाद में, सम्राट अशोक की राजधानी भी यही बनी, जिनका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक फैला हुआ था.
पटना जंक्शन से लगभग 5 किलोमीटर पूर्व में स्थित कुम्हरार में हुई पुरातात्विक खुदाईयों में मौर्यकालीन (322–185 ईसा पूर्व) अवशेष मिले हैं. इनमें सबसे प्रमुख है 80 स्तंभों वाला एक भव्य हॉल, जिसे सम्राट अशोक ने बौद्ध सभागार के रूप में बनवाया था, और आरोग्य विहार जो एक मठ-सह-चिकित्सालय है, जिसे आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि के मार्गदर्शन में संचालित किया गया था. यहां ‘धन्वंतरयेह’ अंकित एक मिट्टी का टुकड़ा और दूसरी पहली सदी ईसा पूर्व का दुर्रखी देवी मंदिर भी खोजा गया है.
आज की राजधानी पटना की चार विधानसभा सीटें हैं- दीघा, बांकीपुर, पटना साहिब और कुम्हरार. इनमें से कुम्हरार, पटना साहिब लोकसभा सीट के छह हिस्सों में से एक है.
कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में हुआ और पहला चुनाव 2010 में हुआ. इससे पहले इसे 'पटना सेंट्रल' के नाम से जाना जाता था, जिसकी स्थापना 1977 में हुई थी. जैसे मौर्य साम्राज्य एक अजेय शक्ति था, वैसे ही पटना सेंट्रल (अब कुम्हरार) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक अभेद्य किला बन गया है. भाजपा ने यहां 1980 में पहली बार जीत दर्ज की थी और केवल 1985 में कांग्रेस से हार का सामना किया.
1990 से भाजपा के दिग्गज नेता स्व. सुशील कुमार मोदी ने लगातार तीन बार पटना सेंट्रल से जीत हासिल की, जिसके बाद अरुण कुमार सिन्हा ने लगातार पांच बार जीत दर्ज की. कुल मिलाकर भाजपा ने पटना सेंट्रल के आठ चुनावों में से छह में और कुम्हरार के नाम पर हुए तीनों चुनावों में जीत दर्ज की है. यानी पिछले 35 वर्षों से भाजपा यहां अजेय रही है.
कुम्हरार क्षेत्र में पटना नगर निगम के आठ वार्ड और पटना ग्रामीण ब्लॉक का एक क्षेत्र शामिल है. भाजपा की जीत का अंतर भी उल्लेखनीय रहा है. 2010 में 67,808 वोटों से, 2015 में 37,275 और 2020 में 26,463 मतों से जीती थी. इसी तरह लोकसभा चुनावों में भी भाजपा ने कुम्हरार में 2014 में 64,033, 2019 में 62,959 और 2024 में 47,149 मतों की बढ़त हासिल की. प्रतिद्वंद्वी कभी भी मुकाबले के करीब नहीं आ पाए, जिससे यह सीट भाजपा के लिए एकतरफा मुकाबला बन गई है.
2020 के विधानसभा चुनाव में कुम्हरार में 4,27,427 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 4,30,188 हो गए. यह पूरी तरह शहरी क्षेत्र है और इसमें कोई भी ग्रामीण मतदाता दर्ज नहीं है. 2020 में अनुसूचित जाति के मतदाता 7.21% थे, जबकि मुस्लिम मतदाता 11.6% थे.
हालांकि यहां की कम वोटिंग दर भाजपा के लिए एक चिंता की बात है. 2015 में 38.25%, 2019 में 37.84% और 2020 में केवल 35.28% मतदान हुआ. इसका एक कारण यह हो सकता है कि लोगों को भाजपा की जीत सुनिश्चित लगती है, जिससे मतदान में उत्साह नहीं होता. यदि किसी चुनाव में मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि होती है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि इसका लाभ किसे मिलेगा. निष्क्रिय मतदाताओं को सक्रिय कर भाजपा की इस एकतरफा बढ़त को चुनौती देना ही राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए एकमात्र रास्ता है.
(अजय झा)
BJP
INC
BSP
JSP
AAP
RJSBP
SUCI
JTAWP
PBI
ABHJP
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Dharmendra Kumar
RJD
Rajesh Ranjan
JAP(L)
Nota
NOTA
Binod Kumar Pathak
IND
Kumar Raunak
PP
Sharad
BSLP
Prabhunath Kumar Azad
BSP
Vikash Kumar
JSVP
Brajeshwar Prasad Singh
SKVP
Madhumesh Choudhary
IND
Amit Kumar
IND
Tapendra Narayan
JTLP
Fajal Ahmad
JD(S)
Shatrudhan Prasad
IND
Uttam Kumar
JDR
Suryakar Jitendra
SUCI
Krishna Nandan Saw
SJP(B)
Arun Kumar Mehta
AKP
Purushotam Kumar
BJKD(D)
Sumit Ranjan Sinha
NCP
Anita Devi
ANC
Ashok Kumar Keshri
RSSD
Khurshid Alam
IND
Prem Shanker Parsad
India
बिहार चुनाव में लगभग 18% मुस्लिम आबादी के वोटों को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. एक ओर तेजस्वी यादव का महागठबंधन अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण को साधने में जुटा है, तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस वोट बैंक में अपनी हिस्सेदारी के लिए जोर लगा रही हैं. सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी के प्रभाव से वोटों के बंटवारे की आशंका बढ़ गई है, जैसा 2020 के चुनाव में हुआ था जब उनकी पार्टी ने 5 सीटें जीतकर महागठबंधन को सत्ता से दूर करने में भूमिका निभाई थी.
बिहार की सियासत महिला मतदाताओं पर केंद्रित हो गई है, जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'महिला रोजगार योजना' के तहत दी जा रही 10,000 रुपये की राशि और तेजस्वी यादव के 30,000 रुपये देने के वादे पर राजनीतिक घमासान छिड़ा है. एक ओर जहाँ सत्ता पक्ष 'जीविका' और 'लखपति दीदी' जैसी योजनाओं से महिला सशक्तिकरण का दावा कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे वोट खरीदने का प्रयास बता रहा है. देखें बहस बाजीगर.
आरजेडी के हाजीपुर स्ट्रॉन्ग रूम में सेंधमारी के आरोपों पर निर्वाचन आयोग ने जवाब दिया है. आरजेडी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करके सीसीटीवी का फीड डिस्प्ले स्क्रीन बंद होने और स्ट्रॉन्ग रूम में आधी रात को एक पिकअप वैन के अंदर जाने और कुछ देर बाद बाहर आने का दावा किया था.
जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव को केंद्र सरकार ने Y-Plus कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की है. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद सीआरपीएफ (CRPF) की सुरक्षा टीम उन्हें कवर देगी. तेज प्रताप यादव को यह सुरक्षा वीआईपी प्रोटेक्शन लिस्ट के तहत दी गई है.
बिहार की सियासत में सीमांचल की लड़ाई बेहद अहम हो गई है, जहां असदुद्दीन ओवैसी, तेजस्वी यादव और एनडीए के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. ओवैसी ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा, 'एजेंसी कपड़े देख कर, चेहरे पर दाढ़ी, सर पर टोपी देखकर कह रहे हैं ये चरमपंथी है.' 2020 में पांच सीटें जीतकर चौंकाने वाले ओवैसी के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा है, क्योंकि उनके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो चुके हैं.
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बिहार चुनाव में पहले दौर की रिकॉर्ड वोटिंग के बाद राजनीतिक बहस तेज हो गई है. घुसपैठ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली. एक ओर जहां भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और रोजगार से जुड़ा गंभीर मसला बताया, वहीं कांग्रेस ने इसे ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया. बहस में 'जंगलराज' की वापसी के आरोपों पर भी जमकर चर्चा हुई, जिसमें भाजपा ने लालू प्रसाद यादव के शासनकाल का जिक्र किया.
बिहार की चुनावी राजनीति में घुसपैठियों, विकास और आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा गरमा गया है. एक तीखी बहस में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी और कांग्रेस के प्रतिनिधि आमने-सामने हुए. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि '20 साल से तो बिहार में थे, 10 साल से तो आप (केंद्र में) हैं, अपना हिसाब दो.' इसके जवाब में सुधांशु त्रिवेदी ने आरजेडी के दौर की चुनावी हिंसा और अपराध की याद दिलाते हुए कहा कि आज बिहार में शांति है और विकास हुआ है. उन्होंने घुसपैठियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए विपक्ष पर उनके 'खिदमतगार' होने का आरोप लगाया.
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