BJP
INC
JSP
Nota
NOTA
BSP
PBI
AAP
IND
IND
RJSBP
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ABHJP
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JTAWP
Bihar Election Result 2025 Live: कुम्हरार विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Kumhrar Assembly Election Result Live: कुम्हरार में INC पीछे, BJP आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
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Kumhrar Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
कई लोगों के लिए 'कुम्हरार' का नाम अनजान हो सकता है. इतिहास से अनभिज्ञ लोग इसे 'कुम्हार' यानी कुम्हार समुदाय से जोड़ सकते हैं. लेकिन इतिहास प्रेमियों के लिए कुम्हरार एक अहम स्थान है. यही वह जगह है जहां कभी शक्तिशाली मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र बसी थी, जब राजधानी को राजगीर से यहां स्थानांतरित किया गया.
पाटलिपुत्र की स्थापना अजातशत्रु ने की थी, जो राजा बिंबिसार के पुत्र थे. अजातशत्रु महावीर और गौतम बुद्ध के समकालीन थे और उन्होंने सत्ता के लिए अपने ही पिता को कैद कर लिया था. उन्होंने वैशाली गणराज्य पर आक्रमण कर उसे जीत लिया और इस तरह 481-480 ईसा पूर्व के आस-पास दुनिया के पहले लोकतंत्र का अंत कर दिया. इसके बाद भी पाटलिपुत्र की महत्ता बनी रही जब चाणक्य के मार्गदर्शन में चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी. बाद में, सम्राट अशोक की राजधानी भी यही बनी, जिनका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक फैला हुआ था.
पटना जंक्शन से लगभग 5 किलोमीटर पूर्व में स्थित कुम्हरार में हुई पुरातात्विक खुदाईयों में मौर्यकालीन (322–185 ईसा पूर्व) अवशेष मिले हैं. इनमें सबसे प्रमुख है 80 स्तंभों वाला एक भव्य हॉल, जिसे सम्राट अशोक ने बौद्ध सभागार के रूप में बनवाया था, और आरोग्य विहार जो एक मठ-सह-चिकित्सालय है, जिसे आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि के मार्गदर्शन में संचालित किया गया था. यहां ‘धन्वंतरयेह’ अंकित एक मिट्टी का टुकड़ा और दूसरी पहली सदी ईसा पूर्व का दुर्रखी देवी मंदिर भी खोजा गया है.
आज की राजधानी पटना की चार विधानसभा सीटें हैं- दीघा, बांकीपुर, पटना साहिब और कुम्हरार. इनमें से कुम्हरार, पटना साहिब लोकसभा सीट के छह हिस्सों में से एक है.
कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में हुआ और पहला चुनाव 2010 में हुआ. इससे पहले इसे 'पटना सेंट्रल' के नाम से जाना जाता था, जिसकी स्थापना 1977 में हुई थी. जैसे मौर्य साम्राज्य एक अजेय शक्ति था, वैसे ही पटना सेंट्रल (अब कुम्हरार) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक अभेद्य किला बन गया है. भाजपा ने यहां 1980 में पहली बार जीत दर्ज की थी और केवल 1985 में कांग्रेस से हार का सामना किया.
1990 से भाजपा के दिग्गज नेता स्व. सुशील कुमार मोदी ने लगातार तीन बार पटना सेंट्रल से जीत हासिल की, जिसके बाद अरुण कुमार सिन्हा ने लगातार पांच बार जीत दर्ज की. कुल मिलाकर भाजपा ने पटना सेंट्रल के आठ चुनावों में से छह में और कुम्हरार के नाम पर हुए तीनों चुनावों में जीत दर्ज की है. यानी पिछले 35 वर्षों से भाजपा यहां अजेय रही है.
कुम्हरार क्षेत्र में पटना नगर निगम के आठ वार्ड और पटना ग्रामीण ब्लॉक का एक क्षेत्र शामिल है. भाजपा की जीत का अंतर भी उल्लेखनीय रहा है. 2010 में 67,808 वोटों से, 2015 में 37,275 और 2020 में 26,463 मतों से जीती थी. इसी तरह लोकसभा चुनावों में भी भाजपा ने कुम्हरार में 2014 में 64,033, 2019 में 62,959 और 2024 में 47,149 मतों की बढ़त हासिल की. प्रतिद्वंद्वी कभी भी मुकाबले के करीब नहीं आ पाए, जिससे यह सीट भाजपा के लिए एकतरफा मुकाबला बन गई है.
2020 के विधानसभा चुनाव में कुम्हरार में 4,27,427 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 4,30,188 हो गए. यह पूरी तरह शहरी क्षेत्र है और इसमें कोई भी ग्रामीण मतदाता दर्ज नहीं है. 2020 में अनुसूचित जाति के मतदाता 7.21% थे, जबकि मुस्लिम मतदाता 11.6% थे.
हालांकि यहां की कम वोटिंग दर भाजपा के लिए एक चिंता की बात है. 2015 में 38.25%, 2019 में 37.84% और 2020 में केवल 35.28% मतदान हुआ. इसका एक कारण यह हो सकता है कि लोगों को भाजपा की जीत सुनिश्चित लगती है, जिससे मतदान में उत्साह नहीं होता. यदि किसी चुनाव में मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि होती है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि इसका लाभ किसे मिलेगा. निष्क्रिय मतदाताओं को सक्रिय कर भाजपा की इस एकतरफा बढ़त को चुनौती देना ही राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए एकमात्र रास्ता है.
(अजय झा)
Dharmendra Kumar
RJD
Rajesh Ranjan
JAP(L)
Nota
NOTA
Binod Kumar Pathak
IND
Kumar Raunak
PP
Sharad
BSLP
Prabhunath Kumar Azad
BSP
Vikash Kumar
JSVP
Brajeshwar Prasad Singh
SKVP
Madhumesh Choudhary
IND
Amit Kumar
IND
Tapendra Narayan
JTLP
Fajal Ahmad
JD(S)
Shatrudhan Prasad
IND
Uttam Kumar
JDR
Suryakar Jitendra
SUCI
Krishna Nandan Saw
SJP(B)
Arun Kumar Mehta
AKP
Purushotam Kumar
BJKD(D)
Sumit Ranjan Sinha
NCP
Anita Devi
ANC
Ashok Kumar Keshri
RSSD
Khurshid Alam
IND
Prem Shanker Parsad
India
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
Kumhrar Vidhan Sabha Chunav Result: कुम्हरार विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने संजय कुमार को चुनाव मैदान में उतारा और जीत दर्ज की. वहीं जन सुराज पार्टी ने यहां जाने-माने गणितज्ञ केसी सिन्हा पर दांव आजमाया, लेकिन सिन्हा इस सीट पर वोटों का गणित समझने में कामयाब नहीं हो सके. वे तीसरे नंबर पर रहे.
बिहार चुनाव में पटना की कुम्हरार सीट पर बीजेपी के एक फैसले से सियासी घमासान मच गया है. पार्टी ने अपने मौजूदा कायस्थ विधायक अरुण कुमार सिन्हा का टिकट काटकर वैश्य समाज के संजय गुप्ता को मैदान में उतारा है, जिससे कायस्थ समाज में भारी नाराजगी है. कुम्हरार में करीब 70,000 कायस्थ मतदाता हैं और यह सीट 1990 से बीजेपी का गढ़ रही है.
बिहार चुनाव में टिकट काट एंटी इनकम्बेंसी से निपटने का दांव कुछ सीटों पर राजनीतिक दलों को उल्टा पड़ता दिख रहा है. पटना के कुम्हरार की लड़ाई कायस्थ अस्मिता पर आ गई है और चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर के दांव से बीजेपी फंस गई है.