BJP
INC
JSP
IND
IND
BSP
IND
Nota
NOTA
AAP
IND
GTSP
IND
PPI(D)
IND
IND
RSANP
IND
PCP
SSD
IND
IND
SWLP
IND
Bihar Election Result 2025 Live: गया टाउन विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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गया बिहार राज्य का एक प्रमुख शहर है जो गया जिले और मगध प्रमंडल का प्रशासनिक केंद्र है. यह पटना से लगभग 116 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है और बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा यह शहर, पूर्व में बहने वाली फल्गु नदी के किनारे बसा है.
गया अपने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यह हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए एक पवित्र स्थल है. रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में गया का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने पिता राजा दशरथ के लिए पिंडदान करने हेतु गया आए थे. यह परंपरा आज भी जारी है और लाखों हिंदू श्रद्धालुओं को मोक्ष की कामना के साथ यहां खींच लाती है.
गया का नाम गयासुर नामक एक राक्षस से जुड़ा है, जो त्रेता युग में यहां निवास करता था. लोककथाओं के अनुसार, गया की भौगोलिक संरचना में जो पहाड़ियां हैं, वे गयासुर के शरीर के अवशेष हैं.
गया का उल्लेख ऋग्वेद में वर्णित किकट राज्य के रूप में मिलता है, जो इसकी प्राचीनता को सिद्ध करता है. भगवान बुद्ध के बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने से पहले ही गया एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल बन चुका था.
गया ने मौर्य साम्राज्य (321–187 ईसा पूर्व) के समय में काफी विकास किया. इससे पहले शिशुनाग वंश के राजा बिंबिसार ने 519 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र को अपने अधीन किया था और यहीं गौतम बुद्ध और भगवान महावीर से प्रभावित हुए. बाद में नंद वंश और फिर मौर्य वंश ने यहां शासन किया. सम्राट अशोक के समय में गया बौद्ध धर्म के प्रचार का केंद्र बन गया.
गुप्त वंश (चौथी–पांचवीं शताब्दी) के दौरान हिंदू धर्म का पुनरुत्थान हुआ. समुद्रगुप्त ने गया को राजधानी घोषित किया. इसके बाद 750 ईस्वी में गया पाल वंश का हिस्सा बना.
12वीं सदी में मोहम्मद बख्तियार खिलजी के आक्रमण से गया को क्षति पहुंची. 1557 में यह मुगल साम्राज्य में शामिल हो गया और 1764 की बक्सर की लड़ाई के बाद यह अंग्रेजों के अधीन चला गया. आजादी की लड़ाई में भी गया की भूमिका अहम रही.
गया, पटना के बाद बिहार की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला शहर है. यहां की प्रमुख आजीविका कृषि है, लेकिन छोटे पैमाने के उद्योगों में भी यह आगे है. यहां के घरेलू उद्योगों में अगरबत्ती, पारंपरिक मिठाइयां, पत्थर की नक्काशी, हथकरघा, वस्त्र निर्माण, प्लास्टिक उत्पाद आदि शामिल हैं.
गया विधानसभा क्षेत्र, जिसे आधिकारिक रूप से गया टाउन कहा जाता है, 1957 में अस्तित्व में आया. यह गया लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यहां की राजनीति हमेशा परिवर्तनशील रही है. यहां के मतदाता विभिन्न पार्टियों और विचारधाराओं को अपनाते रहे हैं.
अब तक हुए दो उपचुनावों के साथ कुल18 विधानसभा चुनावों में कई पार्टियों को जीत मिली है. कांग्रेस (2 बार), भाकपा (3 बार), भाजपा (3 बार, जिनमें एक बार भारतीय जनसंघ के रूप में), राष्ट्रीय जनता दल (5 बार), स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, लोक दल, लोजपा और एक निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत चुके हैं.
आरजेडी ने 2015 और 2020 में लगातार जीत दर्ज की, परंतु 2020 में यह जीत सिर्फ 4,708 वोटों के अंतर से हुई, जब कुमार सर्वजीत ने भाजपा के हरी मांझी को हराया. 2024 के लोकसभा चुनाव में हम पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने गया शहर सहित छह में से पांच विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की. गया शहर में उन्हें 31,000 से अधिक मतों की बढ़त मिली.
गया शहर विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह शहरी है. 2020 में यहां कुल 2,69,781 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 49.91% ने मतदान किया. 2024 तक यह संख्या बढ़कर 2,75,184 हो गई. यहां अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 9.38% और मुस्लिम मतदाता लगभग 20.8% हैं.
(अजय झा)
Akhauri Onkar Nath
INC
Nota
NOTA
Alka Singh
PP
Rinku Kumar
LJP(S)
Randhir Kumar Keshri
RLSP
Shyamlesh Narayan
LNKP
Manoj Kumar Tripathi
RJJP
Md.parwez Mansuri
RUC
Chaitanya Palit
IND
Ramkumar Yadav
IND
Sanjit Kumar
BLRP
Beauti Sinha
SHS
Pramendar Kumar
BSLP
Nikil Kumar
JAP
Abul Faraha
BLD
Gautam Kumar Babalu
MSP
Deepak Anand
RJLP(S)
Sunil Kumar
MEK
Indra Kumar
HSJP
Anjani Kumar Vaidyasen
BLCP
Raj Kishor Singh
IND
Aditya Pradhan
PPI(D)
Deepak Kumar
RSJP
Naresh Prasad
IND
Mukesh Kumar Sinha
IND
Anuj Kumar Sinha
IND
Amit Kumar
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.