CPI(ML)(L)
LJPRV
JSP
IND
IND
Nota
NOTA
BSP
AAP
IND
IND
SBSP
IND
BLCP
SUCI
AWSP
Bihar Election Result 2025 Live: पालीगंज विधानसभा सीट पर CPI(ML)(L) को दोबारा मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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Paliganj Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
पालीगंज, बिहार के पटना जिले का एक अनुमंडल स्तरीय कस्बा, राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह क्षेत्र दो दिग्गज नेताओं - राम लखन सिंह यादव और चंद्रदेव प्रसाद वर्मा की राजनीतिक मुकाबला का गवाह रहा है. दोनों ने पालीगंज विधानसभा सीट से पांच-पांच बार चुनाव जीते और बारी-बारी से एक-दूसरे को पराजित किया.
इनके राजनीतिक मुकाबले की शुरुआत आजादी के बाद पहले आम चुनाव से हुई. 1952 में राम लखन सिंह यादव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए, जबकि 1957 में चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की. इसके बाद 1962 में यादव ने वापसी की, फिर वर्मा ने 1967 और 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की. यादव ने इसके बाद 1980, 1985 और 1990 में हैट्रिक लगाई. वहीं वर्मा ने 1991 और 1995 में जनता दल के टिकट पर लगातार दो बार जीत हासिल की. 1991 का उपचुनाव यादव के लोकसभा के लिए आरा से निर्वाचित होने के बाद विधानसभा से इस्तीफा देने के कारण हुआ था.
पालीगंज के नाम की कोई ठोस ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसका नाम प्राचीन पाली भाषा से लिया गया है, जो बौद्ध ग्रंथों से जुड़ी है. पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि पालीगंज मध्यकालीन युग में एक समृद्ध सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था. भारतपुरा गांव में गुलाम वंश, तुगलक, बाबर और अकबर काल के विभिन्न राजवंशों के 1,300 से अधिक प्राचीन सिक्कों की खोज इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतपुरा का गहन अध्ययन अभी बाकी है, जो क्षेत्र के इतिहास को और उजागर कर सकता है.
पालीगंज सोन नदी के किनारे स्थित है, और यह पटना से लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा जहानाबाद से 30 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है.
पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में पालीगंज और दुल्हिनबाजार दो प्रखंड आते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, पालीगंज प्रखंड की जनसंख्या 2,54,904 थी, जबकि दुल्हिनबाजार की जनसंख्या 1,24,966 थी. इन प्रखंडों में लिंगानुपात क्रमशः 947 और 930 महिलाओं प्रति 1,000 पुरुष था. साक्षरता दर भी लगभग समान थी, पालीगंज में 53.67% (पुरुष: 63.30%, महिला: 43.30%) और दुल्हिनबाजार में 53.73% (पुरुष: 62.60%, महिला: 44.20%) थे. दोनों प्रखंडों में कुल 168 गांव शामिल हैं.
पालीगंज विधानसभा क्षेत्र, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के छह हिस्सों में से एक है. 2020 में इस क्षेत्र में 2,83,864 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 2,93,646 हो गए. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 18.76% और मुस्लिम मतदाता लगभग 9% हैं. 2020 में शहरी मतदाताओं की भागीदारी मात्र 2.79% थी. उस वर्ष मतदान प्रतिशत 54.74% दर्ज किया गया था.
कांग्रेस ने पालीगंज सीट छह बार जीती है, जिनमें से पांच बार राम लखन सिंह यादव ने जीत हासिल की. समाजवादी पार्टियों ने चंद्रदेव प्रसाद वर्मा के नेतृत्व में तीन बार और भाकपा (माले) ने भी तीन बार यह सीट जीती है. भाजपा, राजद और जनता दल ने दो-दो बार इस सीट पर कब्जा जमाया है, जबकि 1977 में एक बार निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की थी.
2020 का चुनाव कई दलबदलुओं की उपस्थिति के कारण खास रहा. राजद के मौजूदा विधायक जय वर्धन यादव, जो राम लखन सिंह यादव के पौत्र हैं, ने तब जदयू का दामन थाम लिया जब राजद ने यह सीट अपने गठबंधन में भाकपा (माले) को सौंप दी. चूंकि जदयू ने एनडीए में यह सीट पहले ही तय कर दी थी, भाजपा की 2010 की विधायक उषा विद्यार्थी लोजपा से मैदान में उतर गईं. अंततः यह सीट भाकपा (माले) के संदीप यादव ने 30,915 वोटों के बड़े अंतर से जीत ली वहीं, 2024 लोकसभा चुनावों में राजद की मीसा भारती ने पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी राम कृपाल यादव पर 19,681 वोटों की बढ़त बनाई.
2025 के चुनावों के लिए संकेत स्पष्ट हैं. एनडीए को नई रणनीति, बेहतर तालमेल और एक मजबूत उम्मीदवार के साथ मैदान में उतरना होगा ताकि वह राजद के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन से पालीगंज की सीट छीन सके.
(अजय झा)
Jay Vardhan Yadav Alias Bachcha Yadav
JD(U)
Usha Vidyarthi
LJP
Madhu Manjari
RLSP
Sunil Kumar
IND
Gopal Choudhary
IND
Nota
NOTA
Dinanath Pandit
LKSP
Dhananjay Kumar
IND
Ravish Kumar
BSLP
Sant Kumar Singh
SSD
Jitendra Bind
IND
Hare Krishna Singh
IND
Anita Devi
IND
Fujlur Rahman Ansar
JAP(L)
Rakesh Ranjan
IND
Nitu Devi
NFDP
Basant Kumar
IND
Nivas Kumar
IND
Rajgir Prasad
LSD
Sanjit Kumar
IND
Venktesh Sharma
IND
Manish Kumar
SHS
Ravinder Prasad
PPI(D)
Mahesh Yadav
IND
Manoj Kumar Upadhyay
BAAP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.