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Masaurhi (SC) Vidhan Sabha Chunav Result Live: Arun Manjhi ने मसौढ़ी (एससी) विधानसभा सीट पर लहराया परचम
Masaurhi (SC) Assembly Election Result Live: मसौढ़ी (एससी) में RJD पीछे, JD(U) आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
Masaurhi (SC) Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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मसौढ़ी बिहार के पटना जिले का एक सब-डिवीजन है. मसौढ़ी पहले तारेगना के नाम से जाना जाता था. यह स्थान भारत के महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट से गहराई से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि आर्यभट ने छठी शताब्दी में यहां के सूर्य मंदिर में एक खगोल वेधशाला स्थापित की थी, जिसके कारण इस स्थान का नाम 'तारेगना' पड़ा. जिसका शाब्दिक अर्थ है 'तारों की गणना करना'. मसौढ़ी में आज भी एक प्राचीन मणिचक सूर्य मंदिर मौजूद है, हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि यही वह स्थान है जहां आर्यभट ने ग्रहों की गति का अध्ययन किया और सौर-केंद्रित (heliocentric) सिद्धांत को औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया.
पटना से मात्र 30 किमी दक्षिण में स्थित मसौढ़ी, जहानाबाद (20 किमी) और गया (60 किमी) से भी नजदीक है. यह नगर प्राचीन पुनपुन नदी के तट पर स्थित है, जिसके आसपास दरधा और मोरहर जैसी नदियां भी बहती हैं.
राजनीतिक नजरिए से मसौढ़ी एक विधानसभा क्षेत्र है और पटना की दो लोकसभा सीटों में से एक पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र मसौढ़ी और धनरुआ विकासखंडों से मिलकर बना है, जो दोनों मसौढ़ी अनुमंडल के अधीन आते हैं.
जनगणना 2011 के अनुसार, मसौढ़ी अनुमंडल की कुल जनसंख्या 2,41,216 थी, जहां लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 916 महिलाएं था और साक्षरता दर मात्र 53.04% थी. पटना के नजदीक होने के कारण यहां धीरे-धीरे शहरीकरण और जनसंख्या में वृद्धि हो रही है. हालांकि वर्तमान जनसंख्या आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन 2020 में यहां 3,37,282 मतदाता थे, जो 2024 लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,47,259 हो गए. 2020 में, अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 22.14% थी, जबकि मुस्लिम मतदाता 4.2% थे.
मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1957 में हुई थी. वर्ष 2008 में इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया, जो भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों पर आधारित था. यह क्षेत्र पहले एक 'स्विंग सीट' माना जाता था, जहां विभिन्न विचारधाराओं वाली पार्टियां जीत हासिल करती थीं. लेकिन आरक्षण के बाद से यह राजद (RJD) और जदयू (JDU) के बीच सीधी टक्कर का केंद्र बन गया है.
2010 में जदयू ने इस सीट पर 5,032 मतों से जीत दर्ज की थी, जो उसकी लगातार तीसरी जीत थी. लेकिन जब 2015 में जदयू ने भाजपा से अलग होकर राजद से गठबंधन किया, तब इस सीट को राजद को सौंप दिया गया. राजद ने उस चुनाव में 39,186 मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की. इसके बाद, अगली बार भी राजद ने जदयू प्रत्याशी को 32,227 मतों से हराकर सीट बरकरार रखी, भले ही जदयू तब फिर से भाजपा के साथ गठबंधन में था.
मसौढ़ी में राजद की पकड़ 2009 के लोकसभा चुनावों से स्पष्ट होती रही है. 2009, 2014 और 2019 में जब राजद ने पाटलिपुत्र सीट गंवाई थी, तब भी मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र में उसे बढ़त मिली थी. 2024 में, जब आखिरकार राजद ने पाटलिपुत्र लोकसभा सीट जीत ली, तो उसने मसौढ़ी में भाजपा के ऊपर निर्णायक बढ़त बनाई.
आरक्षण से पहले, मसौढ़ी ने कांग्रेस को तीन बार, भाकपा और जदयू को दो-दो बार, जबकि जनसंघ, जनता पार्टी, जनता पार्टी (सेक्युलर), इंडियन पीपल्स फ्रंट, जनता दल और राजद को एक-एक बार विजेता बनाया था.
2025 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के लिए असली चुनौती यह है कि कौन-सी सहयोगी पार्टी राजद के गढ़ मसौढ़ी में सेंध लगा सकती है. जदयू, लोजपा और हम पार्टी ने यहां पहले प्रयास किए हैं लेकिन सभी असफल रहे हैं. खुद भाजपा की आधारभूत पकड़ यहां सीमित रही है, जो विभिन्न लोकसभा चुनावों में दिखाई भी दी है.
राजद को हराना यहां चमत्कार जैसा ही होगा, लेकिन राजनीति में चमत्कार भी होते हैं, और शायद यही एनडीए की एकमात्र उम्मीद है.
(अजय झा)
Nutan Paswan
JD(U)
Parshuram Kumar
LJP
Raj Kumar Ram
BSP
Nota
NOTA
Sarita Paswan
BSLP
Sikandar Paswan
IND
Ramji Ravidas
IND
Jitendra Kumar
NCP
Anil Das
BHDP
Anil Kumar
IND
Vimal Chandra Das
PPI(D)
Naresh Manjhi
BMP
Ramashish Paswan
LTSP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.