डोनाल्ड ट्रंप विवादों में है. वजह है जेफरी एपस्टीन से जुड़ा यौन शोषण केस, जिसमें कोर्ट के आदेश पर कई सीलबंद दस्तावेज सार्वजनिक किए गए. ट्रंप पर सीधा आरोप तो नहीं, लेकिन एपस्टीन से उनकी दोस्ती जरूर तूल पकड़ चुकी है. वैसे व्हाइट हाउस में सेक्स स्कैंडल नई बात नहीं. सबसे ज्यादा विवादित मामला राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन का रहा.
धर्मांतरण का कथित रैकेट चलाने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. माना जा रहा है कि वो और उसकी टीम ऑर्गेनाइज्ड ढंग से धर्म परिवर्तन करा रहे थे. कन्वर्जन का रैकेट देश ही नहीं, दुनियाभर में काम करता रहा. अरबों-खरबों की फंडिंग हो रही है कि लोग अपना मूल धर्म छोड़, किसी और मजहब में आ जाएं.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने बैस्टिल डे (राष्ट्रीय दिवस) के मौके पर देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद पहली बार यूरोप खतरे में है. इसी संकट के हवाले से मैक्रों ने देश का डिफेंस बजट बढ़ाने की घोषणा कर दी. पेरिस अकेला नहीं. यूरोप की कई राजधानियां डरी हुई हैं. लेकिन किससे है ये खतरा?
कुछ ही दिनों के भीतर ईरान ने पांच लाख से ज्यादा अफगानी नागरिकों को उनके देश वापस भेज दिया. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह इस दशक का सबसे बड़ा फोर्स्ड डिपोर्टेशन हो सकता है. ईरान, जो कि सताए हुए मुस्लिमों का सहारा बनने की बात करता रहा, अचानक क्यों अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों पर भड़का हुआ है?
म्यांमार में चार साल पहले शुरू हुए सिविल वॉर का असर हमारे देश तक आ चुका. जुलाई के पहले ही सप्ताह में वहां के चिन स्टेट से हजारों लोग भागकर मिजोरम के चंफाई जिला पहुंच गए. राज्य में पहले से ही कई देशों के अवैध शरणार्थियों के होने की आशंका जताई जाती रही है, जो जंगलों और नदियों से होते हुए वहां पहुंचते रहे.
हाल में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने एक बड़ा बयान दिया, जिसके मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन का मिलना देश के लिए रणनीतिक चुनौती बन सकता है. लेकिन क्या वाकई तीनों देश एक साथ आ सकते हैं, या कोई अदृश्य दीवार है, जो इन्हें एक होने से रोके रखेगी?
लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप का व्लादिमीर पुतिन को लेकर धीरज आखिरकार खत्म हो चुका. कुछ रोज पहले पुतिन पर सवाल पर उन्होंने कुछ ऐसा ही रिएक्शन दिया. कोल्ड वॉर के बाद से वे पहले ऐसे अमेरिकी लीडर थे, जो रूस को लेकर नर्म दिखते रहे. तो क्या पुतिन और ट्रंप के बीच वाकई ब्रेकअप हो चुका, या ट्रंप की बातों की तरह ये भी वक्ती है?
ईरान और इजरायल का तनाव कम करने के फेर में अमेरिका खुद झमेले में फंस गया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धमकियां मिल रही हैं कि वे अपने घर में धूप सेंकते हुए भी सेफ नहीं. वैसे दूसरे कार्यकाल की शपथ के साथ ही ट्रंप अपना निजी आवास छोड़कर वाइट हाउस में शिफ्ट हो चुके, लेकिन दुनिया के इस सबसे शक्तिशाली किले में भी कई बार सेंध लग चुकी.
टेक्सास में आई बाढ़ में 100 से ज्यादा मौतें हो चुकीं. वहीं बहुत से लोग अभी लापता हैं. इस बीच एक कंस्पिरेसी थ्योरी भी जोर मार रही है. कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि यह कुदरती आपदा नहीं, बल्कि वेदर वॉरफेयर है, जिसमें पारंपरिक लड़ाई की बजाए दुश्मन को खराब मौसम से तबाह किया जा सकता है.
ह्वेन सांग ने भी अपने समय में नालंदा प्रतिष्ठान में छह मठों का उल्लेख किया है. ये सभी इमारतें 'अपने आकार और ऊंचाई में भव्य थीं, जिनमें समृद्ध रूप से सजाए गए मीनारें, परियों जैसे बुर्ज जो नुकीली पहाड़ियों की तरह दिखते थे.
असल में अवलोकितेश्वर में तिब्बती बौद्ध धर्म में सबसे बड़े देवता हैं. बल्कि ऐसा कहना चाहिए कि बौद्ध परंपरा में 'अवलोकितेश्वर' सबसे बड़े देवता के तौर पर जाने और पूजे जाते हैं. बौद्ध परंपरा उन्हें 'करुणा' के मू्र्त स्वरूप में देखती है और बोधिसत्व के सबसे लोकप्रिय स्वरूपों में से एक मानती है. ये माना जाता है कि अगर करुणा-दयालुता और निश्चल प्रेम का कोई चेहरा हो तो वह अवलोकितेश्वर का ही होगा.
स्वामी विवेकानंद ने जुलाई-अगस्त 1898 को अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी. उन्होंने इसे बेहद प्रेरणादायक बताया था. स्वामी जी की शिष्या के तौर पर उनके साथ रहीं भगिनी निवेदिता ने इस यात्रा का जिक्र बहुत विस्तार से किया है. स्वामी जी की यात्राओं पर आधारित अपनी किताब "Notes of Some Wanderings with the Swami Vivekananda' में भगिनी निवेदिता ने अमरनाथ यात्रा का वर्णन किया है.
दलाई लामा के शब्दों में पलायन बहुत भारी और बेहद कठिनता से भरा फैसला था. 17 मार्च की उस धुंधली रात को, मैंने एक सैनिक की वर्दी में छद्म वेश धारण किया. अपनी मां, भाई-बहनों, शिक्षकों और कुछ वफादार अधिकारियों के साथ, अंधेरे में ही नोरबुलिंगका के पिछले द्वार से हम सभी निकल गए.
आज से 66 साल पहले क्या हुआ, कैसे हुआ और परिस्थितियां कैसी थीं? दलाई लामा अपनी बॉयोग्राफी में उस दौरा का बड़ी निराशा भरे शब्दों में जिक्र करते हैं. My Land My People किताब में दलाई लामा लिखते हैं कि तिब्बत में स्थितियां खराब होने लगी थीं, क्योंकि चीनी हस्तक्षेप अब खुलकर बढ़ने लगा था.
हिमाचल के धर्मशाला में रह रहे वर्तमान दलाई लामा की खोज भी काफी रोचक रही थी. उन्होंने इसका जिक्र अपनी किताब 'My Land And My People: Memoirs Of The Dalai Lama Of Tibet' में बहुत विस्तार से किया है.
तिब्बती परंपरा, जो बौद्ध धर्म से भी प्राचीन है, वह ऐसा मानती है कि हर एक व्यक्ति, परिवार और राष्ट्र की एक "जीवात्मा" होती है, जिसे "ला" कहा जाता है. यह "ला" प्राकृतिक तत्वों जैसे पर्वतों, सरोवरों, पेड़ों आदि में निवास करती है. अगर इस "ला" के निवास स्थान को कोई नुकसान पहुंचता है, तो इससे संबंधित व्यक्ति, परिवार या राष्ट्र को सीधा प्रभाव पड़ता है.
वाइट हाउस की अनदेखी झेल रहा यूरोपियन यूनियन एक नई परेशानी में फंस गया. कोविड के दौरान वैक्सीन खरीदी पर पारदर्शिता की कमी के चलते उसकी शाखा यूरोपियन कमीशन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ चुका. अगर ये पास हुआ तो कमीशन अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन समेत उनकी सारी टीम को इस्तीफा देना होगा. क्या इससे यूरोप और कमजोर हो जाएगा?
अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने की कड़ी में अमेरिकी राजनेता सनसनीखेज बयान दे रहे हैं. हाल में एक डिटेंशन सेंटर के दौरे पर गई होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने दावा किया कि डिपोर्टेशन के वक्त एक इमिग्रेंट ने फ्लाइट में खुद को ही खाना शुरू कर दिया. इससे पहले भी अवैध तरीके से आए लोगों पर नरभक्षण का आरोप लग चुका.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घाना के दौरे पर हैं, जो किसी भारतीय लीडर की 3 दशक में वहां पहली विजिट है. वैसे अफ्रीका के चुनिंदा हिस्सों को छोड़ दें तो इसके ज्यादातर देशों में ग्लोबल नेता कम ही आते-जाते हैं. अमेरिका ने तो हमेशा इसे एड-रिसीवर कहा. लेकिन क्या अफ्रीका वाकई असुरक्षित और नाउम्मीद करने वाला है, या जान-बूझकर उसकी नेगेटिव ब्रांडिंग हो रही है.
त्सेपोन डब्ल्यू डी शकाब्पा अपनी पुस्तक "तिब्बत: एक राजनीतिक इतिहास" में इस बात को बहुत ब्यौरेवार दर्ज करते हैं. किताब में लिखा मिलता है कि, 'दलाई लामाओं की उत्पत्ति और उनके सत्ता में आने को समझने के लिए 15वीं शताब्दी में जाना जरूरी है. पहले दलाई लामा के रूप में मरणोपरांत प्रसिद्ध लामा का नाम गेदुन त्रुप्पा था.
एक वक्त पर आतंक से अमेरिका तक को दहला चुके अलकायदा की कमर तोड़ने के लिए पश्चिम ने भारी एक्शन लिया. लगभग 20 सालों तक कार्रवाई चलती रही. आखिरकार यूएस ने एलान किया कि संगठन खत्म हो चुका. लेकिन खरपतवार की तरह ही ये खत्म होकर फिर-फिर उग आता है. हाल में अलकायदा के आतंकियों ने माली से तीन भारतीयों को अगवा कर लिया.