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Gobindpur Vidhan Sabha Election Results Live: गोबिंदपुर विधानसभा सीट के नतीजे सामने आए, LJPRV ने RJD को दी शिकस्त
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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बिहार के नवादा जिले में बसा गोविंदपुर गांव, प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक प्रखंड मुख्यालय भी है. यह गांव सकरी नदी के किनारे स्थित है, और वर्षा ऋतु में अक्सर बाढ़ की चपेट में आ जाता है. हर साल आने वाली मौसमी बाढ़ें इसे नदी के पार बसे इसके मुख्य बाजार, डेलहुआ से पूरी तरह काट देती हैं. इससे स्थानीय निवासियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि नदी पार करना असंभव हो जाता है. इसी वजह से बाढ़ के दौरान स्थानीय डाकघर और थाना भी गोविंदपुर से कट जाते हैं. इस अलगाव का लाभ उठाकर नक्सलवादी इस क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं, क्योंकि पुलिस की पहुंच यहां तक नहीं हो पाती.
शैक्षणिक आंकड़े गोविंदपुर की स्थिति को और गंभीर बना देते हैं. यहां की साक्षरता दर मात्र 47.56% है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 57.10% और महिलाओं की मात्र 37.71% है. इस प्रखंड में कुल 72 गांव हैं, जिनमें जनसंख्या में काफी विविधता है. 3 गांवों में 200 से कम लोग रहते हैं, 28 गांवों की आबादी 200 से 999 के बीच है और 31 गांवों में 1,000 से 4,999 लोग निवास करते हैं. केवल दो गांवों की जनसंख्या 5,000 से अधिक है, जिनमें से एक की आबादी 10,000 से अधिक है.
गोविंदपुर का ऐतिहासिक विवरण सीमित है, लेकिन यहां मौर्य और गुप्तकालीन प्रभाव के प्रमाण मिलते हैं. कई पुरातात्विक स्थलों से इसके गौरवशाली अतीत की झलक मिलती है. 1967 में गोविंदपुर को नवादा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बनाकर एक अलग विधानसभा क्षेत्र बनाया गया था, जिसके बाद यहां राजनीति में एक परिवार का प्रभुत्व कायम हो गया.
इस राजनीतिक वर्चस्व की शुरुआत हुई 1969 में जब युगल किशोर यादव ने लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की. उनके निधन के बाद उनकी पत्नी गायत्री देवी यादव ने उपचुनाव जीता और 1980, 1985, 1990 (कांग्रेस) और 2000 (राजद) में चार बार विधायक बनीं. इसके बाद उनके पुत्र कौशल यादव ने तीन बार जीत दर्ज की (दो बार निर्दलीय और 2010 में जेडीयू से). फिर उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव 2015 में कांग्रेस से जीतीं. लेकिन 2020 में यह सिलसिला टूटा जब राजद के मोहम्मद कमरान ने पूर्णिमा यादव को 33,074 वोटों से हराया.
1967 से लेकर अब तक गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 15 चुनाव हुए हैं. इनमें कांग्रेस ने 6 बार जीत दर्ज की, निर्दलीयों ने 3 बार, राजद ने 2 बार और लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल तथा जेडीयू ने 1-1 बार जीत हासिल की.
गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र की एक विशेषता यह है कि यादव समुदाय के अलावा अन्य विजयी उम्मीदवार भी यादव समुदाय से ही रहे हैं, हालांकि वे भिन्न उपनामों का उपयोग करते हैं, जिसकी जनसंख्या 20% से अधिक है. लेकिन अनुसूचित जाति (SC) के मतदाता संख्या में उनसे भी अधिक हैं-25.19% हैं. हालांकि, वे यादवों की तरह संगठित नहीं हैं और अनेक जातियों में विभाजित हैं. मुस्लिम समुदाय के मतदाता भी यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनकी भागीदारी 13.6% है. यह एक पूर्णतः ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जिसमें एक भी शहरी मतदाता पंजीकृत नहीं है. 2020 के विधानसभा चुनावों में इसके सभी 3,19,130 मतदाता ग्रामीण थे, लेकिन केवल 50.85% मतदान हुआ. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,23,059 हो गई.
2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को गोविंदपुर से कुछ उम्मीदें मिलीं, जब भाजपा के नवादा से विजयी उम्मीदवार विवेक ठाकुर ने राजद के श्रवण कुमार कुशवाहा को गोविंदपुर में केवल 1,617 वोटों से पीछे छोड़ा.
अब 2025 विधानसभा चुनाव की ओर नजरें टिकी हैं. क्या एनडीए यादव परिवार की राजनीतिक विरासत को पूरी तरह तोड़ पाएगा? और क्या मतदाता फिर किसी नए प्रयोग के लिए तैयार होंगे, या पुरानी नीतियों की ओर लौटेंगे?
(अजय झा)
Purnima Yadav
JD(U)
Ranjeet Yadav
LJP
Nota
NOTA
Ram Yatna Singh
IND
Anand Priya Deo
RCD
Dilip Kumar
IND
Dinesh Singh Chandravansi
IND
Hiradaya Devi
JD(S)
Bishun Deo Yadav
BSP
Daya Nand Prasad
IND
Deenanath Thakur
JNP
Arun Kumar
IND
Ganauri Pandit
PPI(D)
Upendra Rajbanshi
IND
Vishwas Vishwakarma
LJP(S)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.