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Bihar Election Result 2025 Live: पटना साहिब विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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Patna Sahib Vidhan Sabha Result Live: पटना साहिब विधानसभा सीट पर BJP विशाल जीत की ओर! जानिए INC कितना पीछे?
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Patna Sahib Election Result 2025 Live: पटना साहिब का रिजल्ट जानना है? यहां मिलेगा हर अपडेट
Patna Sahib Assembly Election Result Live: पटना साहिब में INC पीछे, BJP आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
पटना साहिब का नाम सुनते ही शांति की भावना जागृत होती है, क्योंकि यह 10वें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थान है और सिख समुदाय के पांच तख्तों में से एक है. भव्य गुरुद्वारा, तख्त श्री पटना साहिब, एक आध्यात्मिक स्थल है और सिखों के लिए अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार यहां अवश्य जाना चाहिए.
इस पवित्र स्थल के नाम पर बना पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र, बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इसे अन्य अधिकांश क्षेत्रों से करने वाली बात यह है कि यह एक सर्वोत्कृष्ट शहरी निर्वाचन क्षेत्र है, जहां 100 प्रतिशत शहरी मतदाता हैं. यह निर्वाचन क्षेत्र अपने पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ के दिनों से ही भाजपा का गढ़ रहा है.
पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 2008 में परिसीमन के बाद हुई थी, जिसका पहला चुनाव 2010 में हुआ था. यह एक सामान्य सीट है और पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 6 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. पहले 1957 से 2008 तक यह पटना ईस्ट विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. यह बिहार की राजधानी पटना का गृह निर्वाचन क्षेत्र भी है.
यहां मुस्लिम आबादी काफी है, जो कुल मतदाताओं का 17 प्रतिशत है, लेकिन इससे इस सीट पर भाजपा के प्रभुत्व में कोई बाधा नहीं आई है. बिहार विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष, वरिष्ठ भाजपा नेता नंद किशोर यादव ने लगातार सात बार इस सीट पर जीत हासिल की है - चार बार पटना ईस्ट के प्रतिनिधि के रूप में और तीन बार पटना साहिब से विधायक के रूप में. उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा है, तब भी जब भाजपा बिहार की राजनीति में एक मामूली खिलाड़ी थी.
यादव ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले संपूर्ण क्रांति (संपूर्ण क्रांति) आंदोलन के दौरान एक छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. आपातकाल के दौरान उन्हें जेल में डाला गया, जहां से उनके सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. यादव इस साल अगस्त में 72 वर्ष के हो जाएंगे और उम्मीद है कि इस साल के अंत में उनका यह आखिरी चुनाव होगा, क्योंकि बिहार एक महत्वपूर्ण चुनावी लड़ाई में शामिल होने जा रहा है.
1 जनवरी 2024 तक इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 3,38,771 पंजीकृत मतदाता थे. चुनाव आयोग को अभी 2025 मतदाताओं के आंकड़े जारी करने हैं, जो इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले आगामी बिहार चुनावों के लिए लागू होंगे.
(अजय झा)
Pravin Singh
INC
Nota
NOTA
Mithilesh Kumar Roy
IND
Jagdeep Prasad Verma
RLSP
Ram Nath Mahto
IND
Daya Singh
IND
Md Mahamud Kuraishi
JAP(L)
Chandra Shekhar Das
BMP
Shiv Nandan Tiwari
PBP
Amit Kumar Albela
IND
Yogesh Kumar Shukla
BSLP
Vikash Kumar Choudhary
AAPAP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार विधानसभा चुनाव में नामांकन वापसी के आखिरी दिन से पहले सियासत गरमा गई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद एनडीए के कई बागी उम्मीदवारों ने अपना पर्चा वापस ले लिया है, जिसमें पटना साहिब और बक्सर जैसी महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें कई बड़े उलटफेर देखने को मिले हैं. पार्टी ने 71 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है, लेकिन सबसे चौंकाने वाली खबर विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का टिकट कटना है. पटना से हमारे सहयोगी शशि भूषण ने पुष्टि की है कि 'नंदकिशोर यादव का टिकट कट गया है.'
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 71 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें कई बड़े फेरबदल देखने को मिले हैं. सबसे बड़ी खबर विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का पटना साहिब से टिकट कटना है, जबकि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी जेडीयू से मिली तारापुर सीट से चुनाव लड़ेंगे. इस सूची पर हमारे कंसल्टिंग एडिटर सुजीत झा ने कहा, ‘दंदकिशोर यादव का टिकट कटना हो सकता है कि उम्र के लिहाज से उनका टिकट काटा गया हो.’ नंदकिशोर की जगह पार्टी ने पटना हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की पैरवी करने वाले वकील रत्नेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है.