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एआई की पाठशाला

एआई की पाठशाला

एआई की पाठशाला

'AI की पाठशाला' वो जगह है जहां आपको आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (AI) से जुड़े हर सवाल का जवाब मिलेगा. किस तरह एआई हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को बदल रहा है, मनोरंजन से लेकर नौकरी, पढ़ाई और स्वास्थ्य तक पर असर डाल रहा है. इस सीरीज़ में एआई की उत्पत्ति से लेकर उसके इस्तेमाल, नुकसान, फायदों के बारे में अध्याय दर अध्याय बताया गया है और आम इंसान के सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश की गई है. एआई की दुनिया को करीब से जानने के लिए एआई की पाठशाला के साथ जुड़े रहिए.

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एआई की पाठशाला न्यूज़

  • AI Ki Pathshala Chapter 14: AI कैसे पढ़ाई लिखाई में मदद करेगा?

    स्कूल-कॉलेज के वक्त में किताबों से घिरा रहना कभी-कभी बोर कर देता है. AI आपकी इस बोरियत को खतम कर सकता है, आपकी हर मुश्किल को आसान भाषा में समझाने, किसी भी टॉपिक को कवर करने के लिए AI के टूल्स मददगार हैं, जो सिर्फ स्टूडेंट नहीं बल्कि टीचर और कॉलेज के भी काम आएंगे. जैसे आपको अपने टीचर का तरीका समझ नहीं आया, तब आप AI से पूछ सकते हो कि न्यूटन के नियम को आसान भाषा में उदाहरण के साथ समझाओ. यानी किसी भी टॉपिक में आपको मदद मिलेगी, लेकिन यहां एक झोल भी है वो ये कि AI क्यूंकि डेटा पर निर्भर है, ऐसे में क्या डेटा सही है या गलत ये एक सवाल है, साथ ही AI कुछ जगहों पर पक्षपाती भी हो सकता है ऐसे में पढ़ने-लिखने में ये मदद कर सकता है, लेकिन पूरी निर्भरता मुश्किल है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 15: AI बीमारियों के इलाज में कैसे मदद करेगा?

    क्या AI डॉक्टर्स की तरह पूरा इलाज कर लेगा? ये पूरी तरह से भले ही संभव ना हो, लेकिन डॉक्टर्स का सहायक ज़रूर बन सकता है. इसके अलावा कई चीज़ों में ये मदद करेगा, जैसे कि किसी मरीज़ की बीमारी हिस्ट्री निकालना, किसी स्कैन का नतीजा निकालना, जो दवाइयां बन रही हैं उनकी रिसर्च में मदद करना. क्यूंकि AI अपने डेटा की मदद से सबकुछ जल्दी करता है, तो यहां मदद मिलेगी. अभी भी AI का इस्तेमाल रोबोटिक सर्जरी या असिस्टेड सर्जरी से लेकर अन्य तरीकों से डॉक्टर्स करते ही हैं. मानिए कि आपको बुखार आया, आप डॉक्टर के पास गए तब वो AI की मदद से आपकी पूरी हिस्ट्री निकाल सकता है, ताकि मालूम चले कि आपको कब, क्यों और कितनी बार ये हो रहा है जिससे दवाइ और इलाज में मदद मिलती है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 13: AI से किन नौकरियों को कोई खतरा नहीं?

    क्या AI सारी नौकरी ही खा लेगा? ऐसा दावा भले ही हो रहा है, लेकिन सच नहीं है. इंसान भावनाओं से भरा हुआ है, हर बात और काम को करने का अलग भाव है जो सिर्फ AI के संभव का नहीं है. डॉक्टर हो या फिर कोई टीचर, फिल्म बनाने वाला हो या फिर बाकी कुछ ऐसे कई काम हैं, जहां AI सिर्फ आपका हेल्पर हो सकता है, आपकी नौकरी नहीं खा सकता है. और ये भी बात सही है, AI को संभालने, चलाने और डायरेक्शन देने वालों की नौकरी भी सुरक्षित ही है. यानी ये सच है कि AI कुछ अंतर डालेगा, लेकिन जहां इमोशन्स सबसे ऊपर होगे उन काम में AI भी कुछ नहीं कर पाएगा. क्यूंकि स्कूल में रोते हुए बच्चे को कोई टीचर ही पढ़ा सकता है, कोई AI नहीं.

  • AI Ki Pathshala Chapter 12: क्या सच में नौकरी खाने के लिए आया है AI, किसको असली खतरा?

    AI को लेकर यही हौवा है कि ये नौकरी खा जाएगा? वैसे कुछ हदतक ये सही भी है, क्यूंकि बाकी आविष्कार से अलग ये ऐसी मशीन है, जो खुद सोच सकती है और काम कर सकती है. इसलिए ऐसे वाइट कॉलर काम जिसमें एक ही चीज़ को बार-बार रिपीट करना पड़ता है, अब लगता है वो एआई करेगा. अब वो डेटा एंट्री करना हो, कुछ हिसाब लगना या फिर बार-बार आर्टिकल और ई-मेल लिखना. अब मसला यही है कि वाइट कॉलर में भी शुरुआती नौकरी यही होती है, जिनकी संख्या बहुत ज्यादा है. बड़े लोग दावे करते हैं कि AI 30 फीसदी तक नौकरी खतम कर देगा, लेकिन इसमें सिर्फ डरने की बात नहीं है क्यूंकि AI नई नौकरी पैदा भी कर रहा है, बस स्किल सीखने की ज़रूरत है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 11: AI किस तरह करता है हमारी पहचान, कैसे खुल जाता है फोन का लॉक?

    हमारा चेहरा देखते ही मोबाइल या लैपटॉप का लॉक कैसे खुलता है? अब AI की आंखें तो नहीं हैं फिर वो कैसे पहचानता है? दरअसल AI इंसान की तरह नहीं, बल्कि मशीन की आंखों से देखता है जिसे हम कहते हैं Computer Vision. आपकी आंख, कान, नाक का बिल्कुल बारीकी से अध्ययन करता है और अपने डेटा में फीड रखता है और फिर जब भी आप उसके सामने आते हैं वो आपको स्कैन करता है, डेटा से आपकी तस्वीर सामने आती है और लॉक खुल जाता है. और ये सिर्फ चेहरे के साथ नहीं बल्कि आपकी आवाज़, लिखने और चलने के तरीके तक के साथ होता है. यानी भले ही AI की आंख ना हो, लेकिन वो डेटा की नज़र से सबकुछ देख रहा है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 10: इस 'जिन्न' में छिपी है AI की जान, समझ आ जाएगा पूरा गेम!

    AI के लिए डेटा उसकी ज़िंदगी है, क्यूंकि वो जो कुछ भी कर सकता है डेटा की वजह से ही सीखता है. मान लीजिए आपने मोबाइल पर पंजाबी गाने सुने? अब AI समझ जाएगा कि आपको अगली बार वही चाहिए. वो आपके हर क्लिक, हर टच, हर मैसेज को रिकॉर्ड करता है और फिर उससे सीखता है, पैटर्न बनाता है और फिर अगली बार वैसी ही चीज़ें दिखाता है. लेकिन अगर सोचिए कि आप दफ्तर के लिए कोई काम कर रहे हैं और डेटा ही गलत हो तो? तो AI भी वही करेगा और वो आपको गलत सुझाव देगा, गलत फैसले लेगा. इसलिए कहा जाता है, AI के दिमाग की चाबी उसके डेटा के पास होती है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 9: Netflix और YouTube में AI क्या करता है?

    कभी सोचा है कि नेटफ्लिक्स खोलते ही आपको वही फिल्म क्यों दिखती है जो आप देखना चाहते हैं? ये कोई जादू नहीं, बल्कि AI का कमाल है. ये प्लेटफॉर्म आपके देखने का वक्त, मूड और पसंद सब जानता है. आप अगर रात 11 बजे क्राइम थ्रिलर देखते हैं, तो अगली रात वो खुद ही ऐसे शो सजाकर खड़ा हो जाएगा. YouTube पर आपने कभी किसी पुराने गाने को सुना और फिर पूरे हफ्ते वैसी ही सिफारिशें आती रहीं? यही है AI की मिस्ट्री अल्गोरिदम, जो हर क्लिक से सीखता है और आपकी स्क्रीन को आपके दिमाग जैसा बना देता है. दरअसल AI सीखता है कि आपको कब क्या पसंद है, आप सुबह क्या सर्च करते हैं और शाम को क्या करते हैं और उसी हिसाब से वो अपना काम करता है और आपकी मुश्किल को दूर करता है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 8: हमारे फोन में कैसे 'गेम' कर रहा है AI?

    अब मोबाइल फोन सिर्फ बातचीत करने वाली एक मशीन नहीं बची है, बल्कि ये आपका ऐसा दोस्त है जो आपके बारे में सब कुछ जानता है. आप कब कौन-सा ऐप खोलते हैं, किससे बात करते हैं, क्या सर्च करते हैं AI ये सब याद रखता है. फिर चाहे कीबोर्ड पर अगला शब्द सजेस्ट करना हो या फोटो में चेहरा पहचानकर "बेस्ट शॉट" चुनना हो, ये सब AI करता है. और अब तो Chat-GPT और Grok जैसे टूल्स भी मोबाइल में हैं जो जवाब नहीं, जुगाड़ भी दे रहे हैं. मतलब, फोन अब सिर्फ फोन नहीं सोचने वाली मशीन भी है. जो आपका हर काम आसान कर रही है, तभी आप बिना स्क्रीन को टच किए फोन पर काफी काम कर लेते हैं और बिना किसी दिक्कत के आपके ई-मेल फिल्टर हो जाते हैं.

  • AI Ki Pathshala Chapter 7: कौन होते हैं AI के एजेंट, कैसे मिनटों में करते हैं काम?

    जैसे हर राजा के दरबार में होते हैं वज़ीर, वैसे ही AI की दुनिया में भी होते हैं उसके एजेंट. ये AI के चालाक सिपाही हैं, जो आपकी और हमारी ज़रूरत को समझते हैं और बिना पूछे काम कर डालते हैं. अब हम जो अपने आसपास फोन, टीवी और लैपटॉप में टूल्स देखते हैं, वो वर्चुअल असिस्टेंट हैं जैसे कि Chat-GPT, Siri जैसे टूल्स ये कुछ हद तक एजेंट का काम करते हैं लेकिन असली AI एजेंट इनसे आगे की चीज़ हैं. जिनसे आप मल्टीटास्किंग काम करवाते हैं और वो सिर्फ एक ही कमांड देकर रेगुलर तौर पर बहुत से काम को इकट्ठा करवा लेते हैं. एक एआई एजेंट बहुत-सा काम खुद ही कर लेता है, जिसमें आपको सीधा रिजल्ट मिलता है. जैसे आपको किसी फिल्म की कास्ट की तस्वीरें चाहिए और उनका एक फोल्डर बनना है, तो एआई एजेंट ये सब खुद कर लेगा लेकिन वर्चुअल असिस्टेंट नहीं कर पाएगा.

  • AI Ki Pathshala Chapter 6: कैसे काम करता है AI का दिमाग, इंसानों से आखिर कितना अलग?

    AI को इसलिए बनाया गया ताकि इंसानों की तरह काम कर सके और फैसले ले सके. लेकिन क्या वो इंसानों की तरह सोच सकता है, तो ऐसा है नहीं. AI सोचता ज़रूर है लेकिन सिर्फ उसे दिए गए डेटा के हिसाब से. जैसे बच्चा बार-बार गिरने के बाद चलना सीखता है, वैसे ही AI भी बार-बार के डेटा से पैटर्न बनाता है. इंसान भाव से सोचता है, AI तर्क से. उसे फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला दुखी है या खुश, उसे सिर्फ यही दिखता है कि किस बटन को कितनी बार दबाया गया. उसकी सोच एक टेबल जैसी है जो टिकी हुई है, सटीक है, लेकिन संवेदनशील नहीं. तो AI इंसानों की तरह सोचता ज़रूर है, लेकिन इंसान जैसा महसूस नहीं कर सकता. वो दिमाग है, दिल नहीं. कम से कम अभी तो यही कह सकते हैं.

  • AI Ki Pathshala Chapter 5: अलार्म से लेकर ऑफिस तक, हम कैसे कर रहे AI का इस्तेमाल?

    सुबह अलार्म बजे या फिर मौसम की खबर दिखे या ऑफिस का ईमेल खुद भर जाए, इंस्टाग्राम पर वही रील दिखे जो आपके मन को भाती हो, आपको मालूम नहीं चलता है लेकिन ये सब AI का ही कमाल है. असल में हम हर दिन, हर पल AI के साथ जी रहे हैं. मोबाइल में आपकी पसंद समझकर ऐप सजेस्ट करना, ऑनलाइन शॉपिंग में वो चीज़ दिखाना जो आपने सोची भी नहीं थी, और चैटजीपीटी से कुछ लिखवाना — ये सब AI ही के अलग-अलग रूप हैं.

  • AI Ki Pathshala Chapter 4: विश्व युद्ध की वजह से दुनिया में आया AI? ऐसी है कहानी

    आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का आइडिया कोई आज की खोज नहीं है. इसकी शुरुआत हुई थी जंग के मैदान से हुई, वो भी द्वितीय विश्व युद्ध में, जब एलन ट्यूरिंग नाम के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने दुश्मनों का सीक्रेट कोड तोड़ने के लिए एक मशीन बनाई. इससे पहले मशीन सिर्फ काम करती थी, लेकिन यहां से उसने सोचना शुरू कर दिया. फिर 1956 में एक कॉन्फ्रेंस हुई जहां इसे एक नाम भी मिल गया - Artificial Intelligence. शुरुआत में तो कुछ खास नहीं हुआ लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट थोड़ा फैला और आम लोगों तक ताकत पहुंची तो AI ने बवाल रूप ले लिया. अब देखिए मशीन यानी सॉफ्टवेयर सोच भी रहा है और खुद काम भी कर रहा है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 2: किस तरह काम करता है Artificial Intelligence?

    ये बात तो होती है कि AI अब सब कर देगा, लेकिन सवाल ये भी है कि AI ये कैसे करेगा? AI आपका असिस्टेंट है, जिसे आप पहले सब कुछ सिखाते हैं और फिर वो आपके हिसाब से खुद ही काम करने लगता है, इसे आप मशीन लर्निंग भी कहते हैं. अब क्यूंकि ये एक मशीन या सॉफ्टवेयर भी है तो ये अपने कुछ तय तरीकों से काम करता है. आपने AI को समझाया कि आप सिर्फ वेज खाना खाते हैं, तो वो आपके फोन की स्क्रीन पर सिर्फ उसी तरह के ऑप्शन बताएगा. यानी उसे बार-बार समझाना नहीं पड़ेगा, क्यूंकि वो दिए गए डेटा से सीखता है तो वो ये बात समझ जाता है. यही बात आर्टिफिशल इंटेलीजेंस को बाकी नॉर्मल मशीन से अलग करती है.

  • AI Ki Pathshala Chapter 1: क्या होता है Artificial Intelligence, आम मशीनों से कितना अलग?

    AI का मतलब है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी मशीन के अंदर इंसानों की तरह सोचने, समझने, फैसला लेने और बात करने की क्षमता. आपके घर से लेकर दफ्तर तक, बैंक से लेकर अस्पताल तक आज हर जगह किसी ने किसी रूप में AI से लैस मशीनें काम कर रही हैं. जैसे आपका मोबाइल, कंप्यूटर, कार में लगा इंफोटेनमेंट सिस्टम या फैक्ट्रियों में काम कर रहे रोबोट्स. पहले मशीनें सिर्फ वही काम करती थीं जिसके लिए उन्हें बनाया गया है या जो उन्हें सिखाया गया है लेकिन एआई की मदद से मशीनें डेटा के जरिए नई चीजें सीखती रहती हैं और फिर अपने हिसाब से फैसले लेती हैं यानी मशीनें समझदारी दिखाती हैं और इसी समझ का नाम है आर्टिफिशल इंटेलीजेंस.

  • AI Ki Pathshala Chapter 3: AI के कितने रूप, कौन-सा AI किस काम में आता है?

    निदा फ़ाज़ली कहते हैं, "हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी". ठीक वैसे ही, AI भी एक नहीं होता. हर काम के लिए एक अलग तरह का AI होता है — जैसे दुकान पर रखा कैल्कुलेटर अलग होता है और रास्ता बताने वाला गूगल मैप अलग. अगर AI किसी एक खास काम में माहिर है, जैसे गाने सजेस्ट करना या चेहरा पहचानना, तो वो Narrow AI होता है. लेकिन जो इंसानों की तरह हर चीज़ को समझे, सोचे और महसूस करे, वो General AI कहलाएगा — जो अभी भविष्य की चीज़ है. और जो आपके लिए कहानी, कविता या पोस्ट लिख दे — वो है Generative AI. मतलब हर AI की अपनी जगह है, जैसे हर औज़ार की अपनी ज़रूरत.

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