बिहार के बांका जिले का बेलहर सामुदायिक विकास खंड वास्तव में 'यादव-भूमि' कहा जा सकता है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आने वाली यह जाति यहां के कुल पंजीकृत मतदाताओं में लगभग 31.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है. क्षेत्र में यादवों का वर्चस्व इस हद तक है कि यहां अब तक आठ बार किसी न किसी पार्टी से यादव विधायक चुना गया है, यानी अब तक चुने गए कुल विधायकों में से 50 प्रतिशत इसी जाति से रहे हैं.
बेलहर कस्बे के पास हरिगढ़ और त्रिवेणी नामक दो नदियां बहती हैं, जो इस क्षेत्र को उपजाऊ बनाती हैं. यही कारण है कि बेलहर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है और यहाँ के अधिकांश लोग खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं.
बेलहर, बांका जिला मुख्यालय से 37 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. बांका जिले का गठन 1991 में भागलपुर से अलग कर किया गया था. यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन खड़गपुर है, जो 30 किलोमीटर की दूरी पर है. आस-पास के प्रमुख शहरों में झाझा (25 किमी), अमरपुर (20 किमी), मुंगेर (50 किमी), भागलपुर (80 किमी) और झारखंड का देवघर (70 किमी) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना बेलहर से लगभग 250 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है.
बेलहर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1962 में हुई थी और यह बांका लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इस विधानसभा क्षेत्र में बेलहर, फुलीडुमर और चंदन तीन सामुदायिक विकास खंड आते हैं. इन तीनों में से बेलहर सबसे अधिक जनसंख्या वाला ब्लॉक है.
2011 की जनगणना के अनुसार, बेलहर की कुल जनसंख्या 1,67,719 थी. यहां का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 909 महिलाएं था और साक्षरता दर 60.15 प्रतिशत दर्ज की गई थी. चंदन ब्लॉक की जनसंख्या 1,65,634 थी, जहां लिंगानुपात बेहतर (920) रहा, लेकिन साक्षरता दर महज 46.84 प्रतिशत थी. फुलीडुमर ब्लॉक इन तीनों में सबसे कम जनसंख्या वाला था, जिसकी कुल जनसंख्या 1,25,251 थी. वहां का लिंगानुपात 894 और साक्षरता दर 56.15 प्रतिशत थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में बेलहर में कुल 3,07,445 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,29,380 हो गए. अनुसूचित जातियों की भागीदारी 13.43 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों की 7.79 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाताओं की 5.5 प्रतिशत है. यह एक पूर्णतः ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता शून्य हैं.
बेलहर ने 1962 से लेकर अब तक कुल 16 विधानसभा चुनाव देखे हैं. इनमें कांग्रेस और जनता दल (यूनाइटेड) ने चार-चार बार जीत हासिल की है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने तीन बार, संयुक्त समाजवादी पार्टी ने दो बार, जबकि जनता पार्टी, एक निर्दलीय उम्मीदवार और जनता दल ने एक-एक बार इस सीट पर विजय प्राप्त की है.
बेलहर में कांग्रेस का दौर लगभग 35 साल पहले खत्म हो गया, जब उसने आखिरी बार 1990 में यहां से जीत दर्ज की थी. 2000 के बाद से यह क्षेत्र जेडीयू और आरजेडी के बीच राजनीतिक युद्धभूमि बन चुका है. जेडीयू ने इस सीट पर चार बार जीत दर्ज की है, जबकि आरजेडी तीन बार सफल रही है.
2020 में जेडीयू के मनोज यादव ने आरजेडी के तत्कालीन विधायक रामदेव यादव को महज 2,473 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट हथिया ली थी. एलजेपी ने जेडीयू को हराने की भरपूर कोशिश की, लेकिन सिर्फ जीत का अंतर कम कर पाई, हार नहीं दिला सकी. इससे पहले, रामदेव यादव ने 2019 के उपचुनाव में यह सीट जीती थी, जब जेडीयू के दो बार के विधायक गिरीधारी यादव ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था.
2024 के लोकसभा चुनाव में गिरीधारी यादव ने बांका सीट फिर से जीत ली और बेलहर विधानसभा क्षेत्र में 9,353 वोटों की बढ़त बनाई. इससे संकेत मिलता है कि आरजेडी को अगली बार इस सीट को दोबारा जीतने के लिए पूरी ताकत लगानी होगी, विशेष रूप से जब एलजेपी अब एनडीए में वापस लौट चुकी है और जेडीयू विरोधी वोटों को विभाजित नहीं करेगी.
बेलहर में मतदाता भागीदारी लगातार बढ़ रही है, जो लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत है. 2015 में यहां 54.52 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 59.32 प्रतिशत और 2020 के विधानसभा चुनाव में 59.62 प्रतिशत हो गया.
(अजय झा)
JSP
RJD
JD(U)
JGJP
SMP
SUCI
BHDP
IND
IND
IND
IND
IND
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Ramdeo Yadav
RJD
Brahmdev Ray
BSP
Binod Pandit
IND
Kumari Archana
LJP
Swati Kumari
IND
Nota
NOTA
Shailendra Kumar Singh
RLSP
Bhola Pd Yadav
BSLP
Heman Besra
IND
Vishnu Lal Marandi
AKP
Nand Kishore Pandit
JNP
Kabindra Pandit
SUCI
Muneshwar Prasad Yadav
PBP
Amrit Tanti
BHDP
Kumod Kumar
RJLP(S)
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बेगूसराय में राजद जिलाध्यक्ष मोहित यादव पर फेसबुक लाइव में डीएम पर लूट और मतगणना में धांधली के आरोप लगाने के बाद एफआईआर दर्ज हुई है. उन्होंने वीडियो में हजारों समर्थकों से मतगणना केंद्र पहुंचने की अपील की थी. सीओ रवि शंकर के आवेदन पर साइबर थाने में आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे कल आने वाले हैं लेकिन उससे पहले सियासत गरमा गई है. RJD और महागठबंधन ने आरोप लगाया है कि अगर काउंटिंग रुकी तो हालात नेपाल जैसे हो जाएंगे. वहीं लगातार काउंटिंग में धांधली की आशंका जताई जा रही है. NDA ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह हार की खीज है.
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बिहार विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल बताते हैं कि चिराग पासवान से जिस तरह की सफलता की उम्मीद थी वो दिखाई नहीं दे रही है. चुनावों के पहले तक खुद को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की तरह प्रोजेक्ट कर रहे चिराग कहीं फंस तो नहीं गए हैं?
आरजेडी एलएलसी सुनील सिंह ने मतगणना को लेकर विवादित और भड़काऊ बयान दिया है. इसको लेकर बिहार डीजीपी विनय कुमार के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. वहीं आरजेडी ने बचाव करते हुए कहा है कि बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है.
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