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Bihar Election Result 2025 Live: मखदुमपुर (एससी) विधानसभा सीट पर RJD को दोबारा मिली जीत
Makhdumpur (SC) Assembly Election Result Live: RJD उम्मीदवार 73455 वोट पाकर सबसे आगे, कौन दूसरे नंबर पर? जानिए मखदुमपुर (एससी) सीट का हाल
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बिहार के मगध क्षेत्र के जहानाबाद जिले में स्थित मखदूमपुर एक प्रमुख प्रखंड स्तरीय कस्बा है, जो जमुना नदी के पास और दर्दहा नदी से महज चार किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है. यह पटना से लगभग 60 किलोमीटर और गया से 30 किलोमीटर दूर स्थित है. इस कस्बा से एक रोचक विरोधाभास जुड़ा हुआ है, जहां एक ओर यहां कोई कॉलेज नहीं है, वहीं दूसरी ओर इसकी साक्षरता दर 69.08% है, जो कि बिहार की औसत साक्षरता दर 61.80% से कहीं अधिक है.
मखदूमपुर क्षेत्र का सबसे बड़ा आकर्षण बराबर पहाड़ियों में स्थित प्राचीन बराबर गुफाएं हैं. ये गुफाएं शहर से 11 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित हैं, जो मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) के काल की हैं. इन्हें भारत की सबसे पुरानी चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं के रूप में जाना जाता है. इनमें लोमस ऋषि गुफा, जिसे सतघरवा गुफा भी कहा जाता है, सबसे प्रसिद्ध है. ये गुफाएं प्राचीन बौद्ध वास्तुकला और आजीवक संप्रदाय के उद्भव से जुड़ी हुई हैं. सात गुफाओं का यह समूह प्रकृति की अद्भुत सुंदरता और ऐतिहासिक रहस्यों को समेटे हुए है.
प्राचीन ग्रंथों में बराबर को "खलित पर्वत" या "नागार्जुनी पर्वत" के नाम से जाना गया है. महाभारत काल में इसे "गोरठगिरी" कहा जाता था, ऐसा माना जाता है कि राक्षस राजा वनासुर का यहां शासन था और उसके द्वारा बनवाया गया किला आज भी खंडहर रूप में मौजूद है.
सम्राट अशोक ने अपनी एक रानी के अनुरोध पर यहां आजीवक संन्यासियों के लिए गुफाएं बनवाई थीं. उनके पोते दशरथ ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया और आजीवक एवं बौद्ध भिक्षुओं के लिए कई गुफाएं बनवाईं.
हालांकि मखदूमपुर नाम सुनकर यह मुस्लिम बहुल इलाका प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यहां की 93.18% आबादी हिंदू है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या मात्र 6.57% है. हिंदुओं में अनुसूचित जातियां 22.1% की बड़ी भागीदारी रखती हैं.
1951 में स्थापित मखदूमपुर एक आरक्षित (अनुसूचित जाति) विधानसभा क्षेत्र है, जो जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें कांग्रेस ने 7 बार जीत दर्ज की (अंतिम बार 1990 में). इसके अलावा एक-एक बार स्वतंत्र उम्मीदवार, संयुक्त समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल ने जीत दर्ज की है.
1995 के बाद से, जनता दल से निकली पार्टियों का वर्चस्व रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 4 बार, जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. हाल के वर्षों में RJD की पकड़ मजबूत रही है, जिसने 2015 और 2020 सहित पिछले चार में से तीन चुनाव जीते हैं.
2020 में मखदूमपुर में कुल 2,42,754 मतदाता थे, जिनमें से 56.76% ने मतदान किया. 2024 लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 2,47,962 हो गई. इनमें से 90.81% ग्रामीण मतदाता हैं जबकि शहरी मतदाता केवल 9.19% हैं. अनुसूचित जाति मतदाता लगभग 22.89% और मुस्लिम मतदाता लगभग 6.7% हैं.
2020 में RJD ने जहानाबाद लोकसभा सीट पर 1,52,591 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी और मखदूमपुर सहित सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई थी. NDA के लिए सबसे बड़ी चुनौती 43.24% उन मतदाताओं को सक्रिय करना है, जिन्होंने 2020 में मतदान नहीं किया था. यही वर्ग भविष्य के चुनावों में समीकरण बदल सकता है.
(अजय झा)
Devendra Kumar
HAM(S)
Byas Muni Das
BSP
Dharmendra Kumar
IND
Nota
NOTA
Avadh Paswan
NFDP
Ranjit Paswan
IND
Ful Chand Manjhi
SKVP
Mukesh Dayal
PP
Shravan Manjhi
JGJP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.