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Bikram Vidhan Sabha Chunav Result Live: Siddharth Saurav का वर्चस्व कायम, बिक्रम विधानसभा सीट पर लहराया परचम
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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Bikram Vidhan Sabha Result Live: बिक्रम में BJP कैंडिडेट Siddharth Saurav निकले सबसे आगे
Bikram Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
बिक्रम, बिहार के पटना जिले का एक प्रखंड है और यह पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाला एक विधानसभा क्षेत्र भी है. यह पटना से लगभग 36 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है और पालीगंज अनुमंडल के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र पटना और भोजपुर जिलों की सीमा पर बसा है. यहां की प्रमुख भाषाएं मगही और भोजपुरी हैं, हालांकि हिंदी का भी व्यापक प्रयोग होता है.
बिक्रम क्षेत्र की भूमि समतल है और यहां की मिट्टी सोन नदी द्वारा उपजाऊ बनी रहती है, जो पास से बहती हुई गंगा नदी में मिल जाती है. इस कारण यह क्षेत्र कृषि के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है.
पटना के निकट होने के कारण बिक्रम का इतिहास प्राचीन पाटलिपुत्र से जुड़ा हुआ है, जो मौर्य और गुप्त साम्राज्यों की राजधानी रहा है (322 ई.पू. से 240 ई. के बीच). हालांकि, स्वयं बिक्रम का विस्तृत दस्तावेजी इतिहास उपलब्ध नहीं है.
विधानसभा क्षेत्र में बिक्रम और नौबतपुर प्रखंड शामिल हैं, साथ ही बिहटा प्रखंड के कई ग्राम पंचायत भी आते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, बिक्रम प्रखंड की कुल जनसंख्या 1,69,510 थी, जिनमें 22,486 शहरी और 1,47,024 ग्रामीण निवासी थे. यहां का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 916 महिलाएं था, और जनसंख्या घनत्व 1,138 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर रहा. साक्षरता दर 59.83% थी, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 68.61% और महिलाओं की 50.25% थी.
नौबतपुर, जो पटना से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है, तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहा है. यहां की कुल जनसंख्या 2011 में 2,03,594 थी, जिसमें 25,011 शहरी और 1,78,583 ग्रामीण हैं. लिंगानुपात यहां 900 और जनसंख्या घनत्व 1,230 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी रहा. राजधानी के निकट होते हुए भी साक्षरता दर मात्र 56.40% थी, जिसमें पुरुष 64.88% और महिला 46.99% साक्षर है. शहरीकरण के चलते यह आंकड़े 2011 के बाद काफी बदल चुके होंगे.
बिक्रम विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1957 में भारत के दूसरे आम चुनावों के दौरान हुई थी. तब से अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस ने 6 बार जीत दर्ज की है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 1980 से 1995 के बीच लगातार 4 बार जीत हासिल की. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीन बार यह सीट जीती है. इसके अलावा, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की.
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने 2015 और 2020 में लगातार दो बार यह सीट जीती, लेकिन अब 2024 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरव BJP में शामिल हो गए हैं. विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय लंबित होने के कारण, उन्हें दलबदल कानून के तहत अभी अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता, और जब तक नए चुनाव घोषित नहीं होते, यह मुद्दा निष्प्रभावी ही रहेगा.
सिद्धार्थ के BJP में शामिल होने से पूर्व BJP विधायक अनिल कुमार की संभावनाओं को बड़ा झटका लगा. अनिल कुमार 2005 और 2010 में यह सीट जीत चुके थे, लेकिन 2020 में बागी बनकर BJP के आधिकारिक प्रत्याशी अतुल कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ा, जिसमें अतुल को मात्र 8% वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. अतुल कुमार की दोबारा उम्मीदवारी को तो खारिज कर दिया गया, लेकिन अनिल कुमार की पार्टी में वापसी और टिकट की उम्मीदें भी सिद्धार्थ के आगमन से समाप्त हो गईं. सिद्धार्थ ने 2015 में 44,311 और 2020 में 35,460 मतों से भारी जीत हासिल की थी. हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव में BJP को बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में 4,730 वोटों से पीछे रहना पड़ा, जिससे उसकी बढ़त कुछ हद तक कम हो गई.
2020 के विधानसभा चुनावों में बिक्रम क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता 20.51% और मुस्लिम मतदाता 5% थे. शहरी मतदाता कुल मतदाताओं का 11.05% रहे. उस समय कुल 3,08,429 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 58.59% ने मतदान किया. 2024 लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,16,053 हो गई.
(अजय झा)
Anil Kumar
IND
Atul Kumar
BJP
Nagendra Kumar
IND
Arun Kumar
BSP
Mamtamai Priyadarshni
PP
Surendra Yadav
IND
Chandrashekhar Yadav
JAP
Nota
NOTA
Sunil Kumar
JNP
Manoj Kumar
IND
Punam Devi
STBP
Vikash Kumar
RJJP
Arvind Kumar
IND
Vishwanath Prasad
JDR
Dilip Kumar
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण केंद्र में है, खासकर भूमिहार समुदाय को लेकर, जो कई सीटों पर निर्णायक माना जाता है. बीजेपी ने जहां 32 भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया है, वहीं महागठबंधन ने भी 15 प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है, परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर माना जाने वाला यह समुदाय इस बार बंटा हुआ नजर आ रहा है.