बारबीघा बिहार के नवीनतम और सबसे कम आबादी वाले जिले शेखपुरा का एक प्रखंड है, जिसे 1994 में मुंगेर जिले से अलग करके स्थापित किया गया था. यह शेखपुरा जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर पूर्व और बिहार शरीफ से 25 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 94 किलोमीटर की दूरी पर है. फल्गु नदी के समीप स्थित यह इलाका समतल भूभाग पर फैला हुआ है, जो कृषि के लिए उपयुक्त माना जाता है. बारबीघा शेखपुरा जिले का सबसे बड़ा वाणिज्यिक केंद्र भी है.
हालांकि बारबीघा बहुत अधिक प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन इसका इतिहास अत्यंत समृद्ध रहा है. ऐसा माना जाता है कि 'बारबीघा' नाम दो हिंदी शब्दों- 'बारह' और 'बीघा' से मिलकर बना है. बीघा एक पारंपरिक भूमि माप की इकाई है. 12 बीघा लगभग पांच हेक्टेयर के बराबर होता है, जो संभवतः इस गांव का मूल आकार रहा होगा. बारबिघा का सबसे पहला उल्लेख 1812 में स्कॉटिश सर्जन, वनस्पति विज्ञानी और भूगोलवेत्ता फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन की रिपोर्ट में 'बारबीघा' नाम से मिलता है. उन्होंने भारत में एक विस्तृत सर्वेक्षण किया था जिसमें उन्होंने देश की वनस्पति, जीव-जंतु और स्थानीय भूगोल का दस्तावेजीकरण किया.
बारबीघा में 1894 में डाकघर और 1901 में थाना स्थापित किया गया. 1903 की एक रिपोर्ट में बारबीघा और शेखपुरा को जोड़ने वाली सड़क के निर्माण का उल्लेख मिलता है. 1919-20 में बारबिघा थाना क्षेत्र में दिल्ली सल्तनत काल के 96 प्राचीन सिक्कों का खजाना मिलने की भी रिपोर्ट दर्ज की गई थी.
बारबीघा बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह की जन्मभूमि है. प्रसिद्ध राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' भी यहां एक स्थानीय विद्यालय में प्रधानाचार्य रह चुके हैं.
बारबीघा एक विधानसभा क्षेत्र है और नवादा लोकसभा सीट का हिस्सा है. इसमें बारबीघा और शेखोपुरसराय प्रखंड के साथ-साथ शेखपुरा प्रखंड की 10 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. 1951 में इसके विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद से अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. जनता दल (यूनाइटेड) ने तीन बार, निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो बार और जनता पार्टी ने एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया है.
वर्तमान विधायक जदयू के सुदर्शन कुमार हैं, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस को महज 113 वोटों के अंतर से हराया था. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 2015 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 15,717 वोटों के बड़े अंतर से यही सीट जीती थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि बारबीघा में अब भी कांग्रेस के प्रति एक नरम रुख है. सुदर्शन कुमार की 2020 की जीत का एक कारण यह भी माना जाता है कि वे पूर्व सांसद और विधायक राजे सिंह के पोते हैं, जिन्होंने शेखपुरा को अलग जिला बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
हालांकि एनडीए के लिए अब तक का सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शन 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की 29,072 वोटों की बढ़त रही है. यह बढ़त भाजपा को 2025 के विधानसभा चुनावों में बारबीघा सीट की दावेदारी को लेकर प्रोत्साहित कर सकती है.
2020 के विधानसभा चुनावों में बारबीघा में कुल 2,26,165 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 2,32,941 हो गए. अनुसूचित जाति के मतदाता यहां की आबादी का 22.22 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 4.1 प्रतिशत हैं. बारबीघा मुख्यतः ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां केवल 15.61 प्रतिशत मतदाता शहरी क्षेत्र से आते हैं.
चाहे इस सीट से जदयू लड़े या भाजपा, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि बारबीघा अब कांग्रेस का अभेद्य गढ़ नहीं रह गया है.
(अजय झा)
INC
BSP
JSP
JD(U)
TPP
RTRP
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Gajanand Shai Urf Munna Sahi
INC
Madhukar Kumar
LJP
Rakesh Ranjan
IND
Gopal Kumar
RJJP
Nota
NOTA
Deepak Kumar Sharma
IND
Mritunjay Kumar
RLSP
Rajendra Prasad
IND
Md. Azam Khan
IND
Navin Kumar
NCP
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