JD(U)
RJD
IND
JSP
Nota
NOTA
NPEP
IND
BSP
IND
AJP
Bihar Election Result 2025 Live: झाझा विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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बिहार के जमुई जिले में स्थित झाझा एक प्रखंड है, जो झारखंड की सीमा के बिल्कुल निकट स्थित है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से झाझा की जानकारी सीमित है, लेकिन ब्रिटिश काल में यह हावड़ा-मुगलसराय (अब पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन) रेलवे मार्ग पर एक महत्वपूर्ण स्टेशन हुआ करता था. उस समय यहां भाप इंजनों के लिए एक बड़ा लोको शेड था. लेकिन जब रेलवे पटरियों का विद्युतीकरण हुआ, तो झाझा की यह महत्ता धीरे-धीरे घट गई.
आज झाझा अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और हरियाली के लिए जाना जाता है. इसके एक ओर झारखंड की पहाड़ियां फैली हुई हैं, जो इसके सौंदर्य को और निखारती हैं.
झाझा की भौगोलिक स्थिति इसे कई पक्षी अभयारण्यों के पास होने का लाभ देती है. विशेष रूप से नागी डैम और नकटी डैम अभयारण्य यहां के आकर्षण का केंद्र हैं. यह दोनों संरक्षित क्षेत्र पहाड़ी चट्टानों के बीच स्थित हैं, जहां गहरे जलाशय और स्वच्छ जल प्रवाह देखने को मिलता है. इन जल स्रोतों से न केवल वन्य जीवों की जरूरतें पूरी होती हैं, बल्कि आस-पास के किसानों की खेती के लिए भी यह संजीवनी साबित होते हैं. यहां की उपजाऊ जमीन कृषि को मुख्य व्यवसाय बनाती है, जिस पर अधिकांश जनसंख्या निर्भर है.
जैसे झाझा जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, वैसे ही इसकी राजनीति भी बहुरंगी रही है. 1951 में विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद से झाझा ने लगभग हर बड़ी पार्टी को मौका दिया है. अब तक 18 चुनावों (एक उपचुनाव सहित) में यहां से आठ अलग-अलग दलों के प्रतिनिधि चुने जा चुके हैं. कांग्रेस ने यहां सात बार, जनता दल (यूनाइटेड) और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने पांच बार, समाजवादी पार्टी और संयुक्त समाजवादी पार्टी ने तीन बार, जबकि जनता पार्टी, जनता दल और भाजपा ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने झाझा में अपनी पहली जीत के बेहद करीब पहुंचकर भी हार झेली. राजद प्रत्याशी राजेन्द्र प्रसाद केवल 1,679 वोटों से जदयू के दामोदर रावत से हार गए. दिलचस्प बात यह रही कि 2024 के लोकसभा चुनाव में लोजपा (रामविलास) के अरुण भारती, जो जमुई से सांसद चुने गए, उन्होंने झाझा विधानसभा क्षेत्र में 7,615 मतों की बढ़त हासिल की.
झाझा सामान्य वर्ग की सीट है. यहां अनुसूचित जातियों की जनसंख्या लगभग 15.85%, अनुसूचित जनजातियों की 4.42% और मुस्लिम समुदाय की लगभग 11.2% है. मतदाता संरचना में ग्रामीण वोटर स्पष्ट रूप से हावी हैं. कुल मतदाताओं का 88.89% ग्रामीण क्षेत्रों से आता है, जबकि मात्र 11.11% शहरी मतदाता हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में झाझा में 3,16,049 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 61.58% ने मतदान किया. 2024 में यह संख्या बढ़कर 3,41,013 हो गई.
अगर 2024 के लोकसभा चुनावों का रुझान कुछ संकेत देता है, तो राजद को झाझा में जीत दर्ज करने के लिए केवल प्रयास नहीं, बल्कि एक ठोस रणनीति और जनसमर्थन की जरूरत होगी.
(अजय झा)
Rajendra Prasad
RJD
Vinod Pd Yadav
BSP
Rabindra Yadav
LJP
Nota
NOTA
Rahul Kumar Singh
IND
Vijay Kumar
IND
Vinod Kumar Sinha
IND
Ajeet Kumar
JMM
Pankaj Thakur
IND
Mukesh Kumar Yadav
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.