फुलवारी विधानसभा क्षेत्र बिहार के पटना जिले में स्थित है और यह पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का एक हिस्सा है. यह सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. यह क्षेत्र मुख्यतः दो ब्लॉकों- फुलवारी और पुनपुन में बंटा हुआ है. फुलवारी पटना सदर उपखंड में जबकि पुनपुन मसौढ़ी उपखंड का हिस्सा है. यह सीट बिहार की राजधानी पटना के निकट स्थित है और मुख्य रूप से पटना के ग्रामीण बाहरी इलाकों को समाहित करती है.
हालांकि, इन दोनों ब्लॉकों के बीच एक स्पष्ट सामाजिक और सांस्कृतिक अंतर दिखाई देता है. पुनपुन, जिसका नाम प्राचीन और पवित्र पुनपुन नदी से पड़ा है, हिंदुओं के लिए एक प्रमुख श्राद्ध तीर्थ स्थल है. वहीं, फुलवारी जिसे फुलवारी शरीफ भी कहा जाता है, मुस्लिम समुदाय के लिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि यह इस्लामी शिक्षा और सूफी परंपरा का केंद्र रहा है.
इतिहास की दृष्टि से देखें तो यह क्षेत्र मगध का हिस्सा रहा है और मौर्य तथा गुप्त साम्राज्य के अधीन रहा. बाद में यह दिल्ली सल्तनत और मुस्लिम शासकों के अधीन आया. हालांकि, मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल में स्थानीय इतिहास को जानबूझकर दबाया गया, जिससे इस क्षेत्र का समृद्ध अतीत आम जनता की स्मृति से ओझल हो गया.
फुलवारी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1977 में हुई थी. अब तक यहाँ कुल 12 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यहां चार बार, कांग्रेस ने तीन बार और जनता दल (यूनाइटेड) ने दो बार जीत हासिल की है. इसके अलावा जनता पार्टी, जनता दल और भाकपा (माले-लिबरेशन) को भी एक-एक बार जीत मिली है.
इस सीट से सबसे ज्यादा बार जीतने वाले नेता हैं श्याम रजक, जो छह बार विधायक रह चुके हैं, एक बार जनता दल, तीन बार राजद, और दो बार जदयू के टिकट पर. अब वे पुनः राजद में लौट चुके हैं और 2025 में इस सीट के प्रबल दावेदार हो सकते हैं.
लेकिन इस परिदृश्य में एक असमंजस की स्थिति भी बन रही है. वर्ष 2010 और 2015 में जब श्याम रजक ने जदयू की टिकट पर जीत दर्ज की थी, उसके बाद 2020 में राजद ने यह सीट अपने नए सहयोगी भाकपा (माले-लिबरेशन) को दे दी. उस चुनाव में भाकपा (माले) ने 13,857 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी और अब वे इस सीट को छोड़ने के मूड में शायद न हों. गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र सीट जीतते समय, फुलवारी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त राजद को ही मिली थी.
2020 के आंकड़ों के अनुसार, फुलवारी में 23.45 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 14.9 प्रतिशत मुस्लिम वोटर थे. यह सीट एक ग्रामीण प्रधान क्षेत्र है, जहां केवल 26.33 प्रतिशत मतदाता शहरी क्षेत्र से आते हैं. 2020 में यहां कुल 3,64,523 मतदाता थे, जिनमें से 57.38 प्रतिशत ने ही मतदान किया. 2024 लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,84,189 हो गई.
यदि मतदाताओं के रुझान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है, तो यह सीट राजद-नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के पक्ष में जा सकती है. हालांकि, अगर अंदरूनी मतभेद उभरते हैं, तो यह सीट हाथ से फिसल भी सकती है.
(अजय झा)
JSP
AAP
JD(U)
RLJP
SMP
CPI(ML)(L)
BLCP
PBP
RRPP
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Arun Manjhi
JD(U)
Kumari Pratibha
AIMIM
Kamlesh Kant Choudhary
BLCP
Gajendra Manjhi
BSLP
Nota
NOTA
Sheela Devi
LTSP
Laxmi Kumari
IND
Amarendra Kumar
SKVP
Satyendra Paswan
JAP
Shriraj Paswan
PBP
Ravi Kumar
PP
Surendra Paswan
NCP
Pratima Kumari (santosh Kumar)
IND
Dhuri Das
PPI(D)
Kumar Jainendra Prasad
BND
Shankar Kumar
IND
Kailash Paswan
RJRP
Rameshwar Paswan
RJSBP
Bachhu Paswan
BMP
Moti Ram
ANC
Manohar Prakash Choudhary
IND
Pratima Kumari (sanjay Paswan)
IND
Radhe Raman
BHDP
Satyam Kumar Rajak
BAAP
Amar Paswan
IND
Arjun Paswan
IND
बिहार चुनाव में लगभग 18% मुस्लिम आबादी के वोटों को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. एक ओर तेजस्वी यादव का महागठबंधन अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण को साधने में जुटा है, तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस वोट बैंक में अपनी हिस्सेदारी के लिए जोर लगा रही हैं. सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी के प्रभाव से वोटों के बंटवारे की आशंका बढ़ गई है, जैसा 2020 के चुनाव में हुआ था जब उनकी पार्टी ने 5 सीटें जीतकर महागठबंधन को सत्ता से दूर करने में भूमिका निभाई थी.
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