JD(U)
CPI(ML)(L)
JSP
AAP
Nota
NOTA
IND
IND
RLJP
SMP
IND
BLCP
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RRPP
Phulwari (SC) Election Results 2025 Live: फुलवारी (एससी) विधानसभा सीट पर JD(U) ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Shyam Rajak को मिली कितनी बड़ी जीत
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फुलवारी विधानसभा क्षेत्र बिहार के पटना जिले में स्थित है और यह पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का एक हिस्सा है. यह सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. यह क्षेत्र मुख्यतः दो ब्लॉकों- फुलवारी और पुनपुन में बंटा हुआ है. फुलवारी पटना सदर उपखंड में जबकि पुनपुन मसौढ़ी उपखंड का हिस्सा है. यह सीट बिहार की राजधानी पटना के निकट स्थित है और मुख्य रूप से पटना के ग्रामीण बाहरी इलाकों को समाहित करती है.
हालांकि, इन दोनों ब्लॉकों के बीच एक स्पष्ट सामाजिक और सांस्कृतिक अंतर दिखाई देता है. पुनपुन, जिसका नाम प्राचीन और पवित्र पुनपुन नदी से पड़ा है, हिंदुओं के लिए एक प्रमुख श्राद्ध तीर्थ स्थल है. वहीं, फुलवारी जिसे फुलवारी शरीफ भी कहा जाता है, मुस्लिम समुदाय के लिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि यह इस्लामी शिक्षा और सूफी परंपरा का केंद्र रहा है.
इतिहास की दृष्टि से देखें तो यह क्षेत्र मगध का हिस्सा रहा है और मौर्य तथा गुप्त साम्राज्य के अधीन रहा. बाद में यह दिल्ली सल्तनत और मुस्लिम शासकों के अधीन आया. हालांकि, मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल में स्थानीय इतिहास को जानबूझकर दबाया गया, जिससे इस क्षेत्र का समृद्ध अतीत आम जनता की स्मृति से ओझल हो गया.
फुलवारी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1977 में हुई थी. अब तक यहाँ कुल 12 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यहां चार बार, कांग्रेस ने तीन बार और जनता दल (यूनाइटेड) ने दो बार जीत हासिल की है. इसके अलावा जनता पार्टी, जनता दल और भाकपा (माले-लिबरेशन) को भी एक-एक बार जीत मिली है.
इस सीट से सबसे ज्यादा बार जीतने वाले नेता हैं श्याम रजक, जो छह बार विधायक रह चुके हैं, एक बार जनता दल, तीन बार राजद, और दो बार जदयू के टिकट पर. अब वे पुनः राजद में लौट चुके हैं और 2025 में इस सीट के प्रबल दावेदार हो सकते हैं.
लेकिन इस परिदृश्य में एक असमंजस की स्थिति भी बन रही है. वर्ष 2010 और 2015 में जब श्याम रजक ने जदयू की टिकट पर जीत दर्ज की थी, उसके बाद 2020 में राजद ने यह सीट अपने नए सहयोगी भाकपा (माले-लिबरेशन) को दे दी. उस चुनाव में भाकपा (माले) ने 13,857 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी और अब वे इस सीट को छोड़ने के मूड में शायद न हों. गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र सीट जीतते समय, फुलवारी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त राजद को ही मिली थी.
2020 के आंकड़ों के अनुसार, फुलवारी में 23.45 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 14.9 प्रतिशत मुस्लिम वोटर थे. यह सीट एक ग्रामीण प्रधान क्षेत्र है, जहां केवल 26.33 प्रतिशत मतदाता शहरी क्षेत्र से आते हैं. 2020 में यहां कुल 3,64,523 मतदाता थे, जिनमें से 57.38 प्रतिशत ने ही मतदान किया. 2024 लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,84,189 हो गई.
यदि मतदाताओं के रुझान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है, तो यह सीट राजद-नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के पक्ष में जा सकती है. हालांकि, अगर अंदरूनी मतभेद उभरते हैं, तो यह सीट हाथ से फिसल भी सकती है.
(अजय झा)
Arun Manjhi
JD(U)
Kumari Pratibha
AIMIM
Kamlesh Kant Choudhary
BLCP
Gajendra Manjhi
BSLP
Nota
NOTA
Sheela Devi
LTSP
Laxmi Kumari
IND
Amarendra Kumar
SKVP
Satyendra Paswan
JAP
Shriraj Paswan
PBP
Ravi Kumar
PP
Surendra Paswan
NCP
Pratima Kumari (santosh Kumar)
IND
Dhuri Das
PPI(D)
Kumar Jainendra Prasad
BND
Shankar Kumar
IND
Kailash Paswan
RJRP
Rameshwar Paswan
RJSBP
Bachhu Paswan
BMP
Moti Ram
ANC
Manohar Prakash Choudhary
IND
Pratima Kumari (sanjay Paswan)
IND
Radhe Raman
BHDP
Satyam Kumar Rajak
BAAP
Amar Paswan
IND
Arjun Paswan
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.