हिसुआ बिहार के मगध क्षेत्र में स्थित नवादा जिले का एक उपमंडलीय कस्बा है. यह तिलैया नदी के दाहिने किनारे पर गया-नवादा मार्ग पर स्थित है. यह क्षेत्र नवादा के साथ एक धुंधली लेकिन दिलचस्प ऐतिहासिक पृष्ठभूमि साझा करता है. लंबे समय तक यहां जमींदारी प्रथा रही, जिसमें जमींदार किसानों से कर वसूलते थे.
19वीं सदी के मध्य में, हिसुआ के सैकड़ों मजदूरों को गिरमिटिया श्रमिकों के रूप में मॉरीशस, रीयूनियन द्वीप और कैरेबियाई द्वीपों पर भेजा गया था. यह प्रवास क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाल गया.
हिसुआ की स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. हालांकि, कुछ छोटे पैमाने के पारिवारिक उद्योग भी उभरे हैं, लेकिन वे पर्याप्त रोजगार देने में असमर्थ हैं. इस कारण बड़ी संख्या में लोगों को आजीविका की तलाश में क्षेत्र से बाहर जाना पड़ता है.
यहां की प्रमुख भाषाएं मगही और हिंदी हैं, जो जनजीवन की पहचान का हिस्सा हैं.
हिसुआ, नवादा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है और 1957 से एक अलग विधानसभा क्षेत्र रहा है. पिछले 63 वर्षों में यहां के मतदाताओं ने केवल छह नेताओं को ही विधानसभा भेजा है, जो मतदाताओं की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
शुरुआत में कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा. राजकुमारी देवी ने 1957 और 1962 में जीत दर्ज की, उसके बाद शत्रुघ्न शरण सिंह ने 1967, 1969 और 1972 में लगातार जीत हासिल की.
1977 में पहली बार जनता पार्टी के बाबू लाल सिंह ने कांग्रेस को हराया. इसके बाद आदित्य सिंह ने 1980, 1985 और 2000 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में, और 1990, 1995 व 2005 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की. वे लगातार छह बार विधायक रहे.
उनका प्रभुत्व 2005 के दूसरे विधानसभा चुनाव में समाप्त हुआ, जब भाजपा के अनिल सिंह ने सीट जीती. अनिल सिंह ने लगातार तीन बार चुनाव जीते, लेकिन 2020 में कांग्रेस की नीतू कुमारी ने उन्हें 17,091 मतों से हराकर सीट पर कब्जा किया.
हालांकि 2020 का चुनाव भाजपा के लिए झटका था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवार विवेक ठाकुर ने हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में 19,085 वोटों की बढ़त ली, जो भाजपा के लिए उत्साहजनक संकेत है.
हालांकि हिसुआ सामान्य (जनरल) सीट है, लेकिन यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की हिस्सेदारी 28.07% है और मुस्लिम समुदाय के मतदाता 10.7% हैं. क्षेत्र की 93.36% आबादी ग्रामीण है, जबकि केवल 6.64% शहरी मतदाता हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में हिसुआ में कुल 3,77,781 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से केवल 50.49% ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,84,422 हो गई.
लाल बाबू सिंह एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने हिसुआ का केवल एक बार प्रतिनिधित्व किया है, जबकि अन्य सभी ने कई बार जीत दर्ज की है. वर्तमान विधायक नीतू कुमारी यदि दोबारा टिकट से वंचित होती हैं तो इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा. हालांकि, 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा ने हिसुआ को प्रमुख लक्षित क्षेत्रों में शामिल किया है, जिससे आगामी चुनावी मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है.
(अजय झा)
BJP
INC
BSP
JSP
JGJP
RLJP
SBSP
PPI(D)
INSAF
VVIP
IND
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Anil Singh
BJP
Nota
NOTA
Uttam Kumar Chaudhary
BSP
Azad Geeta Prasad Sharma
IND
Anil Kumar Sharma
RJJP
Suresh Paswan
PPI(D)
Ganesh Rajvanshi
IND
Sudhir Kumar
SSD
बेगूसराय में राजद जिलाध्यक्ष मोहित यादव पर फेसबुक लाइव में डीएम पर लूट और मतगणना में धांधली के आरोप लगाने के बाद एफआईआर दर्ज हुई है. उन्होंने वीडियो में हजारों समर्थकों से मतगणना केंद्र पहुंचने की अपील की थी. सीओ रवि शंकर के आवेदन पर साइबर थाने में आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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बिहार विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल बताते हैं कि चिराग पासवान से जिस तरह की सफलता की उम्मीद थी वो दिखाई नहीं दे रही है. चुनावों के पहले तक खुद को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की तरह प्रोजेक्ट कर रहे चिराग कहीं फंस तो नहीं गए हैं?
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बिहार एग्जिट पोल पर कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने गुस्सा जताया है. उन्होनें कहा 'चुनाव परिणामों को लेकर कई दबाव और मजबूरियां होती हैं, जिससे एक्जिट पोल में बढ़त दिखाना जरूरी हो जाता है. हालांकि हजारों से कम सैंपल के आधार पर निर्णय लेना उचित नहीं है. कई सर्वे ऐसे भी हैं जो महागठबंधन की बढ़त को दर्शाते हैं.'
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जेडीयू नेता नीरज कुमार ने मतगणना कीतारीख पर बयान दिया है. उन्होनें सभी राजनीतिक दलों के अभिकर्ताओं से अपील की है कि वे समय पर पहुंचें ताकि प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके. बिहार के घटक दलों के उम्मीदवारों ने संगठनिक तैयारी पूरी कर ली है ताकि मतगणना समय पर हो और यह बिहार के विकास में सहायक साबित हो.
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