JD(U)
INC
JSP
Nota
NOTA
IND
AAP
RSANP
BP(L)
VVIP
IND
IND
JTLP
Bihar Election Result 2025 Live: हरनौत विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Harnaut Vidhan Sabha Result Live: हरनौत सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Harnaut Vidhan Sabha Result Live: हरनौत सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Harnaut Vidhan Sabha Result Live: हरनौत में JD(U) कैंडिडेट Hari Narayan Singh निकले सबसे आगे
बिहार के नालंदा जिले का एक प्रमुख प्रखंड, हरनौत, अपने ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व के लिए जाना जाता है. यह प्रखंड नालंदा के प्राचीन खंडहर (23 किमी), राजगीर (40 किमी) और पावापुरी (13 किमी) जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों का प्रवेश द्वार भी है. हरनौत के आसपास के प्रमुख नगरों में जिला मुख्यालय बिहार शरीफ (20 किमी), बख्तियारपुर (15 किमी), बाढ़ (30 किमी) और राज्य की राजधानी पटना (55 किमी) शामिल हैं.
हरनौत पंचाने नदी के किनारे बसा है और इसके आसपास धोबा, मुहाने, कररुआ और पंचाने जैसी कई छोटी नदियाँ बहती हैं. गंगा नदी भी यहां से महज 10 किमी की दूरी पर है. इन नदियों की उपस्थिति से हरनौत की भूमि काफी उपजाऊ हो गई है, जिससे यह क्षेत्र खेती के लिए उपयुक्त है. इसके अलावा, यहां एक रेलवे कैरेज रिपेयर वर्कशॉप भी स्थित है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है. कृषि के साथ-साथ पर्यटन और रेलवे कार्यशाला हरनौत की आर्थिक धारा को प्रभावित करते हैं.
हरनौत को बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के गृहक्षेत्र के रूप में विशेष पहचान मिली है. उनका पैतृक गांव कल्याण बिगहा हरनौत से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यही वजह है कि उन्होंने जिन राजनीतिक दलों (लोक दल, समता पार्टी, जनता दल (यू)) का प्रतिनिधित्व किया, वे पिछले आठ विधानसभा चुनावों में हरनौत सीट पर अजेय रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार को उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में, 1977 और 1980 में हरनौत के मतदाताओं ने दो बार नकारा था, लेकिन बाद में उन्होंने यहीं से अपनी "आम से खास" की यात्रा शुरू की.
हरनौत विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1972 में हुई और 1977 में पहला चुनाव हुआ. यह एक सामान्य सीट है और नालंदा लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. हरनौत विधानसभा क्षेत्र में तीन विकास खंड–हरनौत, चंडी और नगरनौसा शामिल हैं. अब तक कुल 12 चुनावों में से तीन बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, जबकि शेष सभी चुनाव नीतीश कुमार या उनकी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीते हैं. किसी अन्य दल को आज तक यहां सफलता नहीं मिली है, जो इसे नीतीश कुमार का एक अभेद्य किला बना देता है. स्वयं नीतीश कुमार ने इस सीट से दो बार जीत और दो बार हार का अनुभव किया है.
2020 के विधानसभा चुनावों में हरनौत में कुल 3,08,138 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जातियों का प्रतिशत 24.15% था, जबकि मुस्लिम मतदाता मात्र 0.5% थे, जो इसे बिहार की 243 विधानसभा सीटों में सबसे कम मुस्लिम आबादी वाली सीट बनाता है. यह एक पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता शून्य हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,20,752 हो गई.
हालांकि, मतदान प्रतिशत लगातार कम रहा है- 2015 में 50.44%, 2019 लोकसभा चुनाव में 50.74% और 2020 में 51.99% ही रहा. इसका एक कारण यह भी है कि लोगों को यह विश्वास रहता है कि नीतीश कुमार या उनके उम्मीदवार की जीत तय है.
इसके बावजूद, जदयू के हरी नारायण सिंह ने हरनौत सीट पर 2010 में 15,042, 2015 में 14,295, और 2020 में 27,241 वोटों से जीत हासिल की. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) हर बार दूसरे स्थान पर रही, जबकि 2020 में कांग्रेस, जो राजद नीत महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ी थी, मात्र 13.3% वोट के साथ तीसरे स्थान पर रही.
अब जब लोजपा एनडीए का हिस्सा बन चुकी है, तो वह हरनौत से अपना उम्मीदवार उतारने की संभावना नहीं रखती. इसके अलावा, जदयू ने लोकसभा चुनावों में भी इस क्षेत्र में बड़ी बढ़त हासिल की है जिसमें 2024 में 31,656 वोट, 2019 में 40,535 वोट, और 2014 में 19,705 वोटों की लीड शामिल है.
(अजय झा)
Mamta Devi
LJP
Kundan Kumar
INC
Kaushlendra Kumar Singh
BSP
Ashok Kumar Singh
IND
Sanjay Singh
JAP(L)
Karuna Kumari
RJJP
Vijay Kumar
PMS
Rekha Kumari
PVMP
Mukesh Kumar
IND
Jagatnarayan
IND
Bahumulya Kumar Singh
PBP
Nota
NOTA
Dharmendra Kumar
IND
Shashi Ranjan Suman
AJPR
Alok Kumar
STBP
Priyanka Kumari
SSD
Alok Kumar
IND
Chandra Uday Kumar
PP
Ganesh Kumar
SMP
Kanhaiyalal Yadav
SP(L)
Pintu Kumar
IND
Lallu Ram
NCP
Shiv Narayan
IND
Ashutosh Kumar Sinha
India
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने शनिवार को अपने दूसरे चरण की उम्मीदवार सूची जारी की. इस बार कुल 65 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है.