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Sherghati Election Results Live: शेरघाटी निर्वाचन क्षेत्र में LJPRV को मिली जीत, जानें पूरा रिजल्ट
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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गया जिले का उपमंडल शेरघाटी, बिहार के समृद्ध इतिहास का साक्षी है. यहां बिखरे पुरातात्विक अवशेष इसकी प्राचीन महत्ता की गवाही देते हैं. शेरघाटी को विज्ञान के इतिहास में भी एक अनोखा स्थान प्राप्त है. यहां 25 अगस्त 1865 को मंगल ग्रह से आया एक उल्कापिंड गिरा था. यह उल्कापिंड आज लंदन के एक संग्रहालय में संरक्षित है. इसे ‘शेरगोटी मीटियोराइट’ के नाम से जाना जाता है.
शेरघाटी के चारों ओर मोरहर नदी बहती है और यह झारखंड के चतरा जिले की सीमा पर स्थित है. झारखंड के घने जंगल शेरघाटी की सीमा पर आकर समाप्त हो जाते हैं. ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र पहले चेरो राजाओं के अधीन था और लगभग 1700 ईस्वी में रोहिला सरदार आजम खान के अधीन आया.
शेरघाटी नाम अपने आप में एक कहानी बयां करता है. अंग्रेजी में इसका अर्थ है "Lion Valley" यानी "शेरों की घाटी". एक समय में यहां शेर पाए जाते थे, जो अब केवल गुजरात में देखे जाते हैं. कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां फरीद खान ने एक शेर का शिकार किया और "शेर शाह" की उपाधि हासिल की. बाद में उन्होंने हुमायूं को हराकर सम्राट शेर शाह सूरी के रूप में इतिहास रचा. हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस स्थान का नाम पहले क्या था, लेकिन माना जाता है कि इसी घटना के कारण इसे "शेरघाटी" कहा जाने लगा.
शेरघाटी के लोग हमेशा से शेर जैसी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं. स्थानीय इतिहास बताता है कि औरंगजेब की सेना को जब उन्होंने मोरहर नदी पर रोका था, तब उन्होंने भारी क्षति पहुंचाई थी. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी इस क्षेत्र ने कई स्वतंत्रता सेनानी दिए, जिनमें से अब कुछ ही जीवित हैं.
शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही है. यह सीट पहली बार 1957 में बनी, फिर 1977 में समाप्त कर दी गई और 2010 में फिर से स्थापित की गई. पहले चरण में कांग्रेस ने 1957, 1962 और 1972 में जीत दर्ज की, जबकि 1967 और 1969 में क्रमशः जन क्रांति दल और एक निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे.
33 वर्षों के बाद 2010 में जब शेरघाटी को फिर से विधानसभा सीट का दर्जा मिला, तब राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका था. जेडीयू ने 2010 और 2015 में जीत दर्ज की, जबकि 2020 में आरजेडी ने यह सीट जीत ली. यह जीत भी विशेष परिस्थितियों में हुई. एलजेपी ने चुनाव से ठीक पहले एनडीए से अलग होकर 24,107 वोट प्राप्त किए. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि ये सभी वोट जेडीयू को ही मिलते, लेकिन आंकड़ों के अनुसार एनडीए के विभाजन ने आरजेडी को 16,690 वोटों के अंतर से जीतने में मदद की. यदि एनडीए एकजुट होता, तो नतीजा कुछ और हो सकता था.
अब जबकि एलजेपी फिर से एनडीए में शामिल हो चुकी है, 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बेहतर प्रदर्शन किया. एनडीए के जीतन राम मांझी (हम पार्टी) ने गया सीट से आसानी से जीत दर्ज की और शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र में 14,389 वोटों की बढ़त ली. यह एक संकेत है कि 2025 में आरजेडी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
शेरघाटी अभी भी मुख्य रूप से ग्रामीण इलाका है. यहां के 90.22 प्रतिशत मतदाता गांवों में रहते हैं. यह सामान्य सीट है, लेकिन अनुसूचित जातियों की भागीदारी 34.2 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम आबादी 14.5 प्रतिशत है. 2020 में यहां कुल 2,74,401 पंजीकृत मतदाता थे और 63.11 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2024 तक यह संख्या बढ़कर 2,80,517 हो गई है.
शेरघाटी एक ऐसा स्थान है जहां इतिहास, विज्ञान और राजनीति की त्रिवेणी बहती है. यह न सिर्फ बिहार के गौरवशाली अतीत की झलक देता है, बल्कि आने वाले समय की राजनीति का रुख भी तय कर सकता है. यह एक ऐसी भूमि है जहां शेरों की कहानी सिर्फ नाम तक सीमित नहीं, बल्कि लोगों के स्वभाव और साहस में भी बसी है.
(अजय झा)
Vinod Prasad Yadav
JD(U)
Mukesh Kumar Yadav
LJP
Masaroor Alam
AIMIM
Omair Khan
JAP(L)
Nota
NOTA
Mukesh Prasad
SSD
Ramchandra Prasad Yadav
IND
Manju Devi
IND
Karan Raj
APOI
Vinod Kumar Singh
PPI(D)
Chanderdev Kumar Yadav
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.