HAM(S)
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Bihar Election Result 2025 Live: सिकंदरा (एससी) विधानसभा सीट पर HAM(S) को दोबारा मिली जीत
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बिहार के जमुई जिले में स्थित सिकंदरा एक महत्वपूर्ण प्रखंडीय शहर है, जिसकी 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 1,48,711 है. यहां की जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है. लगभग 1,530 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर. लिंगानुपात 936 महिलाओं प्रति 1,000 पुरुष है, जो क्षेत्र की सामाजिक संरचना को दर्शाता है.
शिक्षा के क्षेत्र में सिकंदरा को अभी लंबा सफर तय करना है. क्षेत्र की कुल साक्षरता दर केवल 48.93 प्रतिशत है, यानी आधे से अधिक लोग (51.07 प्रतिशत) निरक्षर हैं. पुरुषों की साक्षरता दर 57.77 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर केवल 39.50 प्रतिशत है, जो कि लैंगिक विषमता की स्पष्ट झलक पेश करती है.
इस प्रखंड में कुल 25,454 परिवार रहते हैं, जो 68 गांवों में फैले हुए हैं. इनमें से चार गांवों की आबादी 200 से भी कम है, जबकि सात गांवों में 5,000 से अधिक लोग रहते हैं. दो गांवों की आबादी तो 10,000 से भी अधिक है.
सिकंदरा की स्थानीय भाषा मैथिली है, लेकिन हिंदी और उर्दू भी आमतौर पर बोली जाती हैं. इसके नजदीकी शहरों में जमुई, लखीसराय, शेखपुरा और बरहिया शामिल हैं. यह प्रखंड लखीसराय और नवादा जिलों की सीमाओं के पास स्थित है.
सिकंदरा का नामकरण अभी भी स्पष्ट नहीं है, पर माना जाता है कि इसका संबंध लोधी वंश के अंतिम शासक सिकंदर लोदी से हो सकता है, जिन्होंने दिल्ली सल्तनत का विस्तार बिहार तक किया था.
धार्मिक दृष्टिकोण से, सिकंदरा जैन समुदाय के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. लचुआर गांव में 1874 में निर्मित एक भव्य जैन मंदिर और 65-कमरों वाली धर्मशाला स्थित है, जो क्षत्रिय कुंड ग्राम की यात्रा का प्रवेश द्वार है. इस कुंड ग्राम को भगवान महावीर का जन्मस्थल माना जाता है. इस मंदिर में भगवान महावीर की 2,600 वर्ष पुरानी काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है, जिसका वजन लगभग 250 किलोग्राम है. यह स्थान जमुई मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है.
सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1962 में हुई थी और यह अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट है. यह जमुई लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इस क्षेत्र में राजनीतिक बदलाव अक्सर देखने को मिलते हैं. अब तक कांग्रेस ने पांच बार, भाकपा (CPI) और जनता दल (यू) ने दो-दो बार जीत दर्ज की है. इसके अलावा एसएसपी, जनता पार्टी, कोशल पार्टी, लोजपा, हम (HAM), और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक-एक बार विजय हासिल की है.
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए की ओर से हम (HAM) के प्रत्याशी प्रफुल कुमार सिंह ने कांग्रेस के मौजूदा विधायक सुधीर कुमार को 5,505 मतों से हराया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में लोजपा (रामविलास) को बढ़त मिली, जिससे एनडीए की पकड़ और मजबूत हुई है.
सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र की पूरी मतदाता आबादी ग्रामीण है. कुल मतदाताओं में अनुसूचित जाति के मतदाता 18.93 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 12.8 प्रतिशत हैं. मतदाता पंजीकरण की संख्या भी बढ़ रही है. 2020 में यह 2,88,763 थी, जिसमें 53.17 प्रतिशत मतदान हुआ था. जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,08,005 हो गई.
(अजय झा)
Sudhir Kumar
INC
Subhash Chandra Bose
IND
Ravishankar Paswan
LJP
Indrajeet Prasad Gupta
IND
Nandlal Ravidas
RLSP
Sindhu Kumar Paswan
IND
Shivshankar Choudhary
IND
Nota
NOTA
Rameshwar Paswan
IND
Dharmendra Paswan
IND
Brahmdev Anand Paswan
AJP
Vishnu Priya
BMP
Shivbalak Paswan
PPI(D)
Reva Ravidas
BSLP
Rajkumar Paswan
JTLP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.