अपने ही देश में, अपने ही घर की मिट्टी से एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, बल्कि 31 साल दूर रहकर अपने ही मुल्क में विस्थापित होने का दर्द कश्मीरी पंडित झेल रहे हैं. वो कश्मीरी पंडित जिनकी पीढ़ियां आज की तारीख 19 जनवरी को कभी भूल नहीं सकतीं. आज ही के तारीख है, साल 1990 में, आज ही के तारीख है, कश्मीर में अपने ही घरों से कश्मीरी पंडितों को दरबदर करने की रात आई थी. देखिए आजतक संवाददाता सुनील जी भट की रिपोर्ट.
कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित इंटरनेशल बॉर्डर पर सीमा सड़क संगठन की श्वेत क्रांति जारी है. जहां BRO के रणबांकुरे इतनी ठंड में भी दिन-रात चीन और पाकिस्तान के पैरों तले सड़क खिसकाने में जुटे हुए है. इन रणबांकुरे के कंधों पर यह जिम्मेदारी है कि अगर भारतीय सेना को अगर जरूरत पड़ने पर लाइन ऑफ कंट्रोल तक पहुंचना हो, तो ऐसी स्थिति में जरा सी भी देरी न हो. इन इलाकों में आने वाली एवलांच, तूफानों और कश्मीर में इस साल जितनी बर्फबारी हुई है, उनके बीच ये सब कर पाना काफी मुश्किल होता है. लेकिन बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने ये दिखाया है कि क्यों चीन उनसे चिढता है और पाकिस्तान उनसे डरता है. देखें यह रिपोर्ट.
लद्दाख के जंस्कार क्षेत्र की चादर ट्रैकिंग काफी मशहूर है. दरअसल लद्दाख जंस्कार नाम की नदी है. गर्मियों में इस नदी में पानी का तेज बहाव होता है तो सर्दियों में यह जम जाती है. इस दौरान लोग इसपर ट्रैकिंग भी करते दिखाई देते हैं. ठंड में बर्फ की चादर जैसे दिखने वाली इस नदी पर होने वाली ट्रैकिंग को इसी वजह से चादर ट्रैकिंग का नाम दिया गया है. देखें यह रिपोर्ट.
डबल हम्पबैक कैमल को ठंडे रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है. यह लद्दाख के इलाके में पाया जाता है. अब सेना इन ऊंटों अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है. इनकी खासियत है कि यह किसी भी तापमान में भी काम कर सकते हैं. इसके अलावा यह अपने साथ लगभग 170 किलो तक का भार ले जा सकते हैं. साथ ही इस जानवर के दाने पानी में भी काफी कम खर्च आता है. देखें यह रिपोर्ट.
हाल ही में हुए डीडीसी चुनावों पर टिप्पणी करते हुए सज्जाद लोन ने कहा कि इस गठबंधन को त्याग की जरूरत थी. हर पार्टी को साथी सहयोगियों को जगह देने को लेकर जमीनी स्तर पर त्याग करने की जरूरत थी. लेकिन कोई भी पार्टी जगह देने को तैयार नहीं है, कोई भी पार्टी त्याग देने को तैयार नहीं है.
पहाड़ों पर इस समय जमकर बर्फबारी हो रही है. इस दौरान रविवार को लद्दाख में न्यूनतम तापमान माइनस 18 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. जबसे ठंड की शुरुआत हुई है तबसे लद्दाख में तापमान कभी ऊपर आया ही नहीं. लद्दाख के अन्य उपरी इलकों में तो कभी-कभी तापमान -30 डिग्री तक भी लुढ़क जाता है. वहीं रविवार को यहां अधिकतम तापमान -5 डिग्री रिकार्ड किया गया. देखिये ग्राउंड ज़ीरो से आजतक संवाददाता अशरफ वानी की रिपोर्ट.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला रविवार को जम्मू में थे. यहां उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां कोरोना के संकट को लेकर हंसी मजाक किया.
लद्दाख में माइनस 30 डिग्री तापमान के बीच जहां चीन परेशान हो रहा है, उसी वादी में हिन्दुस्तान के जवान जय हिंद का नारा लगा रहे हैं. अपनी दिलेरी, जांबाजी, शौर्य का परिचय देते हुए हमारे वीर जवान सरहद की हिफाजत में जुटे हैं. एक तरफ जमाने वाली ठंड में चीन की अकड़ ढीली पड़ गई. 10 हजार फौजियों को पीछे हटाना पड़ा. लेकिन -30 डिग्री में भी भारत डटा है. जवान मोर्चे पर हैं और खुद पर भरोसा इतना है कि अब एलएसी तक जाने की पाबंदी भी हटा दी गई. देखें एलएसी से आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट.
पहाड़ों पर पिछले एक पखवाड़े से हो रही बर्फबारी से पारा गिरते गिरते माइनस में पहुंच गया है. श्रीनगर में जहां डल झील जमकर बर्फ का दरिया बन गई है, वहीं लद्दाख में पारा माइनस में 30 डिग्री तक पहुंच गया है. यहां सब कुछ जम गया है. आजतक संवाददाता अशरफ बानी से जानिए लद्दाख का ताजा हाल.
सीमा पर तनाव कम होने के बाद अब एलएसी से सटे कुछ इलाकों में पर्यटकों को दोबारा आने-जाने की इजाजत होगी. लद्दाख में कई सौ किलोमीटर तक फैली चीन से लगने वाली सीमा पर पिछले साल पूरी तरह से तनाव बना रहा.
भैया जी जोशी ने इस मौके पर कहा कि यह धन संग्रह नहीं, बल्कि समर्पण का कार्यक्रम है और समाज अपनी श्रद्धा एवं इच्छा से जो सहयोग करेगा वह सब स्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर भव्य बनेगा और भगवान के लिए समाज अपनी सामर्थ्य के अनुसार स्वयं प्रेरणा से सहयोग करेगा.