JD(U)
RJD
JSP
Nota
NOTA
BSP
IND
RJSBP
RLJP
IND
Dhoraiya (SC) Chunav Results Live: धोरैया (एससी) निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Manish Kumar ने 22426 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
Dhoraiya (SC) Vidhan Sabha Result Live: बिहार इलेक्शन रिजल्ट अपडेट्स कैसे चेक करें?
Dhoraiya (SC) Assembly Election Results Live: Bihar की Dhoraiya (SC) सीट पर मुकाबला एकतरफा! JD(U) ने ली बड़ी बढ़त
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Dhoraiya (SC) Assembly Election Result Live: धोरैया (एससी) में RJD पीछे, JD(U) आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
धोरैया, बिहार के बांका जिले का एक ग्रामीण प्रखंड है, जो कई कस्बों और शहरों से घिरा हुआ है. यह जिला मुख्यालय बांका से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो भागलपुर डिवीजन का हिस्सा है. इसके आसपास के अन्य प्रमुख शहरों में अमरपुर (20 किमी), झारखंड का गोड्डा (25 किमी), भागलपुर (70 किमी) और राज्य की राजधानी पटना (297 किमी) शामिल हैं. इस क्षेत्र के आस-पास आधा दर्जन नदियां बहती हैं, जिनकी दूरी 8 से 16.8 किलोमीटर तक है. इन नदियों की वजह से धोरैया की समतल भूमि अत्यंत उपजाऊ है, जिससे यह क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त बनता है और यही इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.
धोरैया विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और इसमें राजौन तथा धोरैया के सामुदायिक विकास प्रखंड शामिल हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, धोरैया की जनसंख्या 2,39,762 थी, जबकि राजौन की जनसंख्या 1,97,601 थी. यहां लिंगानुपात क्रमशः 909 और 907 महिलाएं प्रति 1,000 पुरुष था. साक्षरता दर के मामले में राजौन धोरैया से आगे था. राजौन में यह 50.72 प्रतिशत थी, जबकि धोरैया में 46.94 प्रतिशत थी. दोनों प्रखंडों में कुल मिलाकर 392 गांव हैं.
1951 में स्थापित यह विधानसभा क्षेत्र बांका लोकसभा सीट के छह हिस्सों में से एक है. 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां कुल 2,96,749 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 13.56 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाताओं की 18 प्रतिशत थी. इस क्षेत्र में कोई भी शहरी मतदाता नहीं था.
अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में धोरैया ने किसी एक दल को प्राथमिकता नहीं दी है. कांग्रेस, सीपीआई और जेडीयू (समता पार्टी सहित) ने इस सीट को पांच-पांच बार जीता है. 1969 में एक निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था, जबकि राजद ने 2020 में पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की, जो एनडीए में अंदरूनी कलह का परिणाम था.
धोरैया उन 25 सीटों में से एक थी जहां लोजपा ने एनडीए से अलग होकर जेडीयू का खेल बिगाड़ा. जेडीयू यहां लगातार पांच बार जीत दर्ज कर चुका था और छठी बार भी जीत की संभावना थी. राजद की जीत का अंतर केवल 2,687 वोटों का था, जबकि लोजपा को 4,081 वोट मिले, जो जेडीयू की जीत में बाधा बने.
हालांकि धोरैया में यादव समुदाय की आबादी 15.8 प्रतिशत है, फिर भी राजद को उनकी पहली पसंद नहीं माना जाता. राजद को यह सीट जेडीयू के तीन बार के विधायक भूदेव चौधरी के सहयोग से मिली, जो 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजद में शामिल हो गए थे. भूदेव चौधरी 2009 में जेडीयू के टिकट पर जमुई से सांसद बने थे, लेकिन 2014 में पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने राजद का दामन थाम लिया, जिसने उन्हें 2015 में धोरैया से टिकट दिया. हालांकि वे उस चुनाव में 24,154 वोटों से हार गए, लेकिन 2020 में लोजपा और नीतीश कुमार के बीच टकराव के चलते उन्हें जीत मिल गई.
2024 के लोकसभा चुनाव में लोजपा के एनडीए में वापसी के साथ गठबंधन की एकजुटता का असर साफ दिखा. जेडीयू ने धोरैया विधानसभा क्षेत्र में बढ़त हासिल की.
धोरैया की निम्न साक्षरता दर कभी भी चुनावी भागीदारी में बाधा नहीं बनी. हर चुनाव में यहां मतदान प्रतिशत बढ़ता गया. 2015 में 57.6 प्रतिशत, 2019 में 60.06 प्रतिशत और 2020 में 61 प्रतिशत रहा.
आज भी विकास की बाट जोह रहा यह साधारण सा इलाका आगामी विधानसभा चुनावों में एक बार फिर राजनीतिक मुकाबले का केंद्र बन सकता है. जहां राजद अपनी जीत दोहराने की कोशिश करेगा, वहीं एनडीए को भरोसा है कि धोरैया एक बार फिर उसकी झोली में जा सकता है.
(अजय झा)
Manish Kumar
JD(U)
Dipak Kumar Paswan
LJP
Nota
NOTA
Shiv Shankar
RLSP
Ranjeet Sharma
IND
Bilkshan Ravidas
JAP(L)
Pooja Devi
IND
Sadanand Tanti
IND
Mirtunjay Kumar Ray
VSP
Ashok Das
NCP
Amod Harijan
BHDP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.