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धनार्जय नदी के किनारे बसा रजौली, बिहार के नवादा जिले में स्थित एक अनुमंडल है. यह मगध प्रमंडल के अंतर्गत आता है. यह झारखंड की सीमा से सटा हुआ है और छोटे-बड़े पहाड़ियों से घिरा है. कभी खनिजों से भरपूर यह क्षेत्र ग्रेनाइट और अभ्रक (माइका) की खदानों के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन झारखंड के गठन के बाद अधिकांश खदानें वहां स्थानांतरित हो गईं.
प्राकृतिक दृष्टि से भी रजौली कभी मानसूनी और घास के मैदानों वाले जंगलों से घिरा था, जिनमें विविध वन्यजीव निवास करते थे. समय के साथ ये जंगल समाप्त हो गए, लेकिन आज भी राजौली अपनी पहाड़ी मंदिरों, 200 साल पुराने भव्य गुरुद्वारे और स्थानीय मिठाई 'बालूशाही' के लिए प्रसिद्ध है.
जहां नवादा जिला मुख्यालय के ऐतिहासिक विवरण सीमित हैं, वहीं रजौली का अतीत फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के 1872–73 की रिपोर्ट के कारण अच्छी तरह से दर्ज है.
1811-12 में रजौली से गुजरते समय फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन ने एक फकीर द्वारा लगाए गए आम के सुंदर बागानों का उल्लेख किया. इस फकीर के कार्य से प्रभावित होकर कामगार खान नामक व्यक्ति ने उन्हें बड़ी जमीन दान में दी, जिस पर उन्होंने खेती और सजावटी पौधों की बागवानी की.
ASI की रिपोर्ट में जेडी बेगलर ने रजौली को सप्तऋषियों की भूमि बताया है, जिनके नाम पर यहां की पहाड़ियों का नामकरण हुआ. यह रिपोर्ट क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को विस्तार से प्रस्तुत करती है.
नगर के मध्य में स्थित गुरुद्वारा राजौली संगत एक किला नुमा संरचना है, जो चार एकड़ क्षेत्र में फैला है और 19वीं सदी की शुरुआत में बना था. बुकानन-हैमिल्टन ने भी 1811 की रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया था. स्थानीय मान्यता है कि सिख धर्मगुरु गुरु नानक देव जी ने बोधगया यात्रा के दौरान यहां विश्राम किया था.
1875 तक राजौली पक्की सड़क से जुड़ गया था, जो उस समय दुर्लभ था. 1906 में आईसीएस अधिकारी एल.एस.एस. ओ'मैली ने यहां के एक प्राचीन जल निकासी प्रणाली का उल्लेख किया, जो उपेक्षा के कारण अवरुद्ध हो गई थी.
1951 से विधानसभा क्षेत्र बने राजौली ने कभी किसी पार्टी को लगातार समर्थन नहीं दिया. अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित यह क्षेत्र नवादा लोकसभा सीट का एक हिस्सा है. अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने पहले पांच में से चार बार जीत दर्ज की, लेकिन 1969 में भारतीय जनसंघ (बाद में भाजपा) ने कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ दिया.
इसके बाद कांग्रेस ने 1972 में एक बार और जीत हासिल की, जो यहां उसकी अंतिम प्रमुख जीत थी. भाजपा ने कुल चार बार जीत दर्ज की, जिसमें जनसंघ की 1972 की जीत भी शामिल है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भी चार बार जीत हासिल की. स्वतंत्र उम्मीदवारों ने दो बार और जनता पार्टी तथा जनता दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की.
2000 के बाद से यह क्षेत्र RJD और भाजपा के बीच एक नियमित मुकाबला बन गया है. RJD ने 2000 और 2005 में जीत दर्ज की, लेकिन 2005 के पुनःचुनाव और 2010 में भाजपा विजयी रही. RJD ने 2015 और 2020 में फिर वापसी की.
2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की बढ़त को देखते हुए, 2025 के विधानसभा चुनाव में उसकी संभावनाएं मजबूत मानी जा रही हैं.
रजौली की कुल मतदाता संख्या 2020 में 3,32,577 थी, जिसमें मतदान प्रतिशत 50.48% रहा. 2024 लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,36,054 हो गई. यहां SC समुदाय के मतदाता 30.23% हैं जबकि मुस्लिम मतदाता 10.3% हैं. RJD को इन दोनों समुदायों के एकजुट होने पर लाभ मिलता है, वहीं भाजपा की रणनीति इन्हें अलग रखने की रही है.
भाजपा अब केवल शहरी और सवर्णों की पार्टी नहीं रही, उसने दलित समुदाय में अपनी पैठ मजबूत की है.
रजौली की 93% आबादी ग्रामीण है, और यह सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि से एक अनूठा क्षेत्र बना हुआ है. जहां इतिहास, धर्म और राजनीति की एक अनोखी कहानी बुनी जाती है.
यदि रुझान कायम रहा, तो 2025 में रजौली एक बार फिर राजनीतिक हलचल का केंद्र बनने को तैयार है.
(ओजय झा)
Kanhaiya Kumar
BJP
Arjun Ram
IND
Prema Chaudhary
IND
Banwari Ram
IND
Prithaviraj Basant
IND
Ranjit Kumar
IND
Balmiki Ram
IND
Mithilesh Rajvanshi
RLSP
Nota
NOTA
Chandan Kumar Chaudhary
IND
Rakesh Kumar
IND
Deepak Kumar
JAP(L)
Rabindra Rajbanshi
IND
Shyam Sundar Kumar Ravi
BSLP
Shravan Kumar
IND
Dilip Paswan
RSJP
Vishwanath Tanti
LNKP
Mohan Chaudhary
PBP
Naresh Ram
SSD
Priyanka Devi
MSP
Dushyant Paswan
JMBP
Durga Rajbanshi
PPI(D)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.