BJP
RJD
Nota
NOTA
JSP
IND
AAP
RSANP
IND
IND
PPSP
PPI(D)
IND
IND
Bihar Election Result 2025 Live: बाढ़ विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Barh Vidhan Sabha Result Live: बाढ़ सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Barh Vidhan Sabha Result Live: बाढ़ में BJP कैंडिडेट Siyaram Singh निकले सबसे आगे
Barh Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Barh Election Result 2025 Live: बाढ़ का रिजल्ट जानना है? यहां मिलेगा हर अपडेट
बाढ़, बिहार के पटना जिले का एक अनुमंडल है, जो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यह न केवल एक विधानसभा क्षेत्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान भी बेहद खास है. गंगा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित बारह, बख्तियारपुर (20 किमी), मोकामा (25 किमी), बिहार शरीफ (50 किमी), पटना (60 किमी) और मुंगेर (90 किमी) जैसे प्रमुख शहरों से घिरा हुआ है. बारह को भारत के सबसे पुराने अनुमंडलों में से एक माना जाता है. इसकी स्थापना की सटीक तिथि दस्तावेजों में दर्ज नहीं है, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण बताते हैं कि यह ब्रिटिश शासन से पहले ही एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई रहा है. गंगा के किनारे होने के कारण यह व्यापार और परिवहन का अहम केंद्र रहा है.
बाढ़ का इतिहास मुगलकाल से पहले के दौर में भी उल्लेखनीय है. 1495 में यहां सिकंदर लोदी और बंगाल के शासकों के बीच "बाढ़ की शांति संधि" हुई थी, जिसमें यह तय हुआ कि बारह के पूर्व का इलाका बंगाल के अधीन और पश्चिम का इलाका दिल्ली के अधीन रहेगा. 16वीं सदी की शुरुआत में शेरशाह सूरी ने यहां व्यापारियों और यात्रियों के लिए 200 कमरों वाली भव्य सराय बनवाई थी. 1877 में बाढ़ उन पहले शहरों में शामिल हुआ जहां रेलवे स्टेशन स्थापित किया गया. लेकिन 1898 से 1901 के बीच बारह प्लेग महामारी की चपेट में आ गया, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई और जनसंख्या में भारी गिरावट आई.
बारह को 1928 में एक दुखद सती कांड के कारण भी जाना जाता है, जब एक युवा विधवा संपति कुवेर ने अपने पति की चिता पर आत्मदाह कर लिया. यह उस समय की एक चौंकाने वाली घटना थी क्योंकि सती प्रथा पहले ही गैरकानूनी घोषित हो चुकी थी. ब्रिटिश प्रशासन ने इस मामले में उसके भाई सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया था.
बाढ़ नाम की उत्पत्ति को लेकर कई मत प्रचलित हैं. एक मत के अनुसार इसका नाम "बाढ़" (फ्लड) शब्द से आया है, क्योंकि यह इलाका गंगा के किनारे नीचला और बाढ़-प्रवण है. दूसरा मत कहता है कि यह "बारह" (12) शब्द से आया, क्योंकि यह कोलकाता से आने वाले जहाजों का 12वां ठिकाना हुआ करता था. तीसरा मत 1934 में आयोजित पहले "बार" अधिवेशन से जुड़ा है, जिसमें भारतीय और ब्रिटिश वकीलों और न्यायविदों ने भाग लिया था.
एक समय पूरी तरह कृषि पर निर्भर रहने वाली बाढ़ की अर्थव्यवस्था को अब NTPC बाढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन से नई ताकत मिली है. यह संयंत्र 3300 मेगावाट की क्षमता में से वर्तमान में 2640 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रहा है, जो बिहार, झारखंड, सिक्किम, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों को आपूर्ति की जाती है.
1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित बाढ़ ने अब तक 17 चुनाव देखे हैं. एक समय कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाला यह क्षेत्र अब भाजपा का मजबूत क्षेत्र बन चुका है. कांग्रेस ने यहां आखिरी बार 1985 में जीत दर्ज की थी और कुल छह बार विजयी रही है. जेडीयू ने यहां चार बार जीत दर्ज की है, जिनमें से एक समता पार्टी के टिकट पर थी. जनता दल और भाजपा ने दो-दो बार, जबकि जनक्रांति दल, जनता पार्टी और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने एक-एक बार सीट जीती है.
वर्तमान विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने 2005 और 2010 में जेडीयू से, और 2015 तथा 2020 में भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार जीत हासिल की है. 2014 में उन्होंने जेडीयू की राजद से गठबंधन के खिलाफ जाकर पार्टी छोड़ दी थी, जिससे भाजपा को यहां मजबूती मिली. हालांकि, हाल ही में उन्होंने भाजपा नेतृत्व की आलोचना कर नीतीश कुमार के प्रति नरम रुख अपनाया है, जिससे उनका राजनीतिक भविष्य असमंजस में दिखता है.
बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में अथमलगोला, बेलछी और बारह प्रखंड के अलावा पंडारक प्रखंड की चार ग्राम पंचायतें शामिल हैं. 2020 के चुनाव में यहां कुल 2,80,165 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें अनुसूचित जातियां 19.07% और मुस्लिम मतदाता 3.3% थे. क्षेत्र अभी भी मुख्यतः ग्रामीण है, केवल 14.85% मतदाता शहरी हैं. मतदान प्रतिशत में लगातार गिरावट देखी गई है- 2015 में 55.31%, 2019 लोकसभा चुनाव में 54.02%, और 2020 में 53.66% फीसदी रहा था. ज्ञानेंद्र सिंह की जीत का अंतर भी घटा है. 2010 में 19,395 से घटकर 2020 में केवल 10,240 मत मिला.
(अजय झा)
Satyendra Bahadur
INC
Karnveer Singh Yadav
IND
Ranvir Kumar Pankaj
IND
Rana Sudhir Kumar Singh
IND
Rahul Raj
BSLP
Nota
NOTA
Shyamdeo Prasad Singh
JAP(L)
Raj Kumari
IND
Vinay Singh
IND
Siyaram Pandit
BJKD(D)
Rakesh Kumar
RLSP
Madhukar Jay Vijay
IND
Krishna Kumar Singh
ABMVMP
Pratima Sinha
IND
Balmiki Prasad
IND
Mohan Prasad Singh
JSVP
Dina Saw
BRD
Subodh Kumar
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
मोकामा के बाद अब बाढ़ विधानसभा सीट पर चुनावी हिंसा की खबर है. आरजेडी उम्मीदवार लल्लू मुखिया और उनके समर्थकों पर जेडीयू समर्थक वरुण कुमार ने मारपीट और धमकी का आरोप लगाते हुए पंडारक थाने में शिकायत दर्ज कराई है.
बिहार के दुलारचंद यादव हत्याकांड मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है जिसमें बाहुबली नेता और जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. पटना पुलिस ने अनंत सिंह को अरेस्ट किया. इस हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी के बाद अब सभी की निगाहें पुलिस की अगली कार्रवाई और इसके चुनावी असर पर टिकी हैं.
बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह, जेडीयू के टिकट पर मोकामा से नामांकन दाखिल करने को लेकर चर्चा में हैं. नामांकन के लिए निकलते समय उनका काफिला एक बंद रेलवे फाटक पर रुक गया, जिसके बाद उनके समर्थकों ने ट्रेन को जल्दी आगे बढ़वाने के लिए इंजन के पास पहुंचकर हंगामा किया.