जमालपुर, बिहार के मुंगेर जिले का एक महत्वपूर्ण शहर है. यह मुंगेर शहर से मात्र 9 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है और गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है. अक्सर मुंगेर और जमालपुर को "जुड़वां शहर" कहा जाता है. जमालपुर के निकटवर्ती प्रमुख शहरों में भागलपुर (55 किमी पूर्व), बेगूसराय (98 किमी), पटना (199 किमी पश्चिम) और झारखंड का देवघर (135 किमी) शामिल हैं.
ब्रिटिश शासन ने 1862 में जमालपुर को रेलवे बस्ती के रूप में स्थापित किया था, जिससे इसका इतिहास प्राचीन मुंगेर की तुलना में नया है. यह शहर मुंगेर के रेलवे स्टेशन के रूप में कार्य करता है और अपने ब्रिटिश कालीन लोकोमोटिव वर्कशॉप के लिए प्रसिद्ध है. इस वर्कशॉप में लगभग 25,000 लोग कार्यरत हैं और इसका वार्षिक टर्नओवर ₹1056 करोड़ से अधिक है.
ब्रिटिशों ने रेलवे परियोजना के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचा तैयार किया, जिसके चारों ओर आधुनिक शहर विकसित हुआ. यहीं पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की स्थापना भी हुई, जिसने जमालपुर को तकनीकी शिक्षा और रेलवे प्रशिक्षण के केंद्र के रूप में स्थापित किया.
जमालपुर हिल्स पर स्थित काली पहाड़ ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां प्रारंभिक और मध्य पाषाण युग के क्वार्टजाइट उपकरण मिले हैं. पहाड़ी पर एक प्राचीन काली मंदिर भी स्थित है, जिसे महाभारत काल से भी पूर्व का माना जाता है. माना जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर में आए थे और महाभारत युद्ध से पहले विशेष पूजा-अर्चना की थी.
वर्तमान में, काली पहाड़ एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल और पर्यटन केंद्र बन चुका है. इसे और अधिक विकसित करने के लिए रोपवे निर्माण और अन्य पर्यटन सुविधाओं की योजनाएं प्रस्तावित हैं.
जमालपुर का राजनीतिक इतिहास भी अत्यंत रोचक है, जहां मतदाता अलग-अलग विचारधाराओं वाली पार्टियों को समर्थन देते आए हैं. जमालपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यह मुंगेर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है.
2020 में जमालपुर में 3,25,933 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,37,866 हो गए. 2020 के आंकड़ों के अनुसार, यहां अनुसूचित जाति के मतदाता 15.61%, अनुसूचित जनजाति के 2.43% और मुस्लिम मतदाता 3.7% थे. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जिसमें केवल 23.21% मतदाता शहरी हैं.
अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट पर चार बार जीत हासिल की है, जिसमें 2020 की जीत 58 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आई. जनता दल (यूनाइटेड) ने भी इस सीट पर चार बार जीत दर्ज की है. जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ (अब भाजपा), लोक दल और राष्ट्रीय जनता दल ने एक-एक बार इस सीट पर कब्जा किया है.
पूर्व जनसंघ नेता सुरेश कुमार सिंह के पुत्र शैलेश कुमार ने इस सीट को चार बार लगातार जीता था, लेकिन 2020 में कांग्रेस के अजय कुमार सिंह से मात्र 4,432 वोटों से हार गए. इससे पहले शैलेश कुमार ने इस सीट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. जदयू इस हार को आकस्मिक मानता है, जिसके पीछे एलजेपी उम्मीदवार की उपस्थिति और एनडीए में हुए मतभेदों को प्रमुख कारण माना गया. कांग्रेस की जीत का अंतर एलजेपी द्वारा प्राप्त मतों से भी कम था.
2024 के लोकसभा चुनावों में जदयू ने जमालपुर में 15,473 वोटों की बढ़त हासिल की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एनडीए की एकजुटता का लाभ मिला. 2020 में जदयू को हुए नुकसान के कारणों में से एक मतदान प्रतिशत में अप्रत्याशित गिरावट भी है. जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में 53.55% मतदान हुआ था, वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर 46.74% रह गया.
पिछले डेढ़ दशक में जदयू ने यहां एक बार को छोड़कर सभी चुनावों में जीत दर्ज की है और केवल एक बार वह भी कम अंतर से हार मिली है. ऐसे में 2025 का चुनाव जदयू के लिए अनुकूल दिखता है. हालांकि, कांग्रेस-राजद गठबंधन यदि अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने में सफल रहा तो यह चुनाव परिणामों में चौंकाने वाला मोड़ ला सकता है.
(अजय झा)
BSP
JSP
AAP
JD(U)
IIP
ABVP
IND
IND
IND
IND
IND
IND
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Shailesh Kumar
JD(U)
Durgesh Kumar Singh
LJP
Subodh Tanti
BSP
Pankaj Kumar
IND
Dolly Kumari
IND
Nota
NOTA
Pappu Yadav
IND
Mahesh Yadav
JAP(L)
Dhirendra Kumar
IND
Kameshwar Ram
SUCI
Deepak Kumar Raut
IND
Gopal Kumar Tanti
IND
Indra Deo Das
NCP
Priya Rai
IND
Rajkumar Ray
IND
Mangal Kumar
JNP
Kapiladev Mandal
IND
Panchanand Singh
JTLP
Rinku Paswan
BJKD(D)
बेगूसराय में राजद जिलाध्यक्ष मोहित यादव पर फेसबुक लाइव में डीएम पर लूट और मतगणना में धांधली के आरोप लगाने के बाद एफआईआर दर्ज हुई है. उन्होंने वीडियो में हजारों समर्थकों से मतगणना केंद्र पहुंचने की अपील की थी. सीओ रवि शंकर के आवेदन पर साइबर थाने में आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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आरजेडी एलएलसी सुनील सिंह ने मतगणना को लेकर विवादित और भड़काऊ बयान दिया है. इसको लेकर बिहार डीजीपी विनय कुमार के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. वहीं आरजेडी ने बचाव करते हुए कहा है कि बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है.
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बिहार एग्जिट पोल पर कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने गुस्सा जताया है. उन्होनें कहा 'चुनाव परिणामों को लेकर कई दबाव और मजबूरियां होती हैं, जिससे एक्जिट पोल में बढ़त दिखाना जरूरी हो जाता है. हालांकि हजारों से कम सैंपल के आधार पर निर्णय लेना उचित नहीं है. कई सर्वे ऐसे भी हैं जो महागठबंधन की बढ़त को दर्शाते हैं.'
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