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Bihar Election Result 2025 Live: जहानाबाद विधानसभा सीट पर RJD को दोबारा मिली जीत
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बिहार के दक्षिणी भाग में स्थित जहानाबाद एक ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है जिसका उल्लेख 16वीं शताब्दी की मुगल इतिहास पुस्तक "आईन-ए-अकबरी" में मिलता है. इसे मुगल सम्राट अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा था और अकबर के परपोते औरंगजेब के शासनकाल के दौरान संशोधित किया गया था. इस ग्रंथ में वर्णित है कि 17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में एक भीषण अकाल पड़ा था, जिससे मजबूर होकर सम्राट औरंगजेब ने अपनी बहन जहांआरा के नाम पर एक राहत बाजार स्थापित किया. समय के साथ, इस शाही उदारता ने इस स्थान की पहचान को जहांआराबाद से बदलकर जहानाबाद बना दिया.
यह जहानाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है. जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र 1951 में अपनी स्थापना के बाद से अब तक 17 चुनाव देख चुका है. यह शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ था, जहां पहले नौ में से छह चुनाव कांग्रेस ने जीते. हालांकि, 1952 में सोशलिस्ट पार्टी और 1969 में शोसित दल के अप्रत्याशित जीतने से कांग्रेस का वर्चस्व थोड़ा टूट गया. इस सीट पर कांग्रेस की आखिरी जीत 1985 में हुई थी, जिसके बाद पार्टी का प्रभाव खत्म हो गया.
राजद (राष्ट्रीय जनता दल) का प्रभाव 2000 में शुरू हुआ और तब से अब तक पार्टी इस सीट पर छह बार जीत दर्ज कर चुकी है. इस जीत की संख्या सात हो सकती थी, यदि 2010 में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार न उतारा होता, जिसने 13,000 से अधिक वोट काट लिए थे. यह राजद को मिले कुल मतों के लगभग आधे थे. इस विभाजन का फायदा उठाकर जदयू (जनता दल यूनाइटेड) ने जीत हासिल की. वर्तमान में, यह सीट राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव के पास है.
इन दो प्रमुख दलों के अलावा, जहानाबाद के चुनावी इतिहास में अन्य पार्टियों ने भी कभी-कभी जीत दर्ज की है- सोशलिस्ट पार्टी, शोसित दल, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू और एक बार एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी जीत हासिल की थी. लेकिन भाजपा और उसकी पूर्ववर्ती पार्टी भारतीय जनसंघ यहां हमेशा संघर्ष करती रही हैं और कभी भी गंभीर दावेदार के रूप में उभर नहीं पाई. यही कारण है कि 2025 में एनडीए के लिए यह सीट जीतना एक कठिन चुनौती होगी, क्योंकि यहां राजद की स्थिति मजबूत बनी हुई है.
जनसांख्यिकी के लिहाज से, जहानाबाद में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 17.07% है, जबकि मुस्लिम मतदाता 8.5% हैं. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां 74.23% मतदाता गांवों में रहते हैं, जबकि शहरी मतदाता केवल 25.77% हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में, जहानाबाद में 2,98,388 पंजीकृत मतदाता थे और मतदान प्रतिशत 53.66% था. 2024 के लोकसभा चुनावों तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,04,861 हो गई, जिसमें राजद को 42% और जदयू को 32.83% वोट मिले.
2025 के चुनावों के मद्देनजर, जहानाबाद बिहार की राजनीति का एक रोचक समीकरण प्रस्तुत करता है. राजद अपने परंपरागत वोट बैंक के साथ मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है. वहीं, एनडीए के लिए चुनौती यह होगी कि वह राजद विरोधी वोटों को एकजुट करे और पिछले 25 वर्षों से इस सीट पर राजद के लगातार प्रभाव को तोड़ने का तरीका खोजे.
(अजय झा)
Krishan Nandan Prasad Verma
JD(U)
Indu Devi Kashyap
LJP
Manoj Kumar Singh
BSP
Mritunjay Kumar
BSLP
Nota
NOTA
Sijantri Kumari
IND
Sanjay Kumar
IND
Sultan Ahmad
JAP(L)
Satish Kumar
RPI(A)
Sachidanand Sinha
JRVP
Kalam Uddin
RJJP
Raju Kumar
SUCI
Anil Kumar Singh
JD(S)
Devendra Prasad
AKP
Amit Kumar
PMS
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच, आज तक की टीम ने रोहतास, कैमूर, गया और जहानाबाद समेत कई जिलों का दौरा कर जनता का मन टटोला, जहां नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, जीतन राम मांझी और प्रशांत किशोर की रणनीतियों पर सबकी नजर है.
आज तक की खास पेशकश 'पदयात्रा बिहार' में श्वेता सिंह जहानाबाद और अरवल पहुंचीं, जहां उन्होंने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के शासन पर जनता की राय ली. इस क्षेत्र में जहां लोग नीतीश सरकार में बेहतर कानून-व्यवस्था और विकास की बात करते हैं, वहीं भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
अरुण कुमार अपने विवादित बयानों के लिए भी जाने जाते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री पर उनकी एक टिप्पणी की सूबे की सियासत में अक्सर चर्चा होती है, जब उन्होंने नीतीश कुमार की 'छाती तोड़ने' की बात कही थी.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव चुनावी मौसम में एक और यात्रा पर निकलने के लिए तैयार हैं. तेजस्वी यादव 16 सितंबर को जहानाबाद से बिहार अधिकार यात्रा पर निकलेंगे.
तेजस्वी यादव ने 'बिहार अधिकार यात्रा' का फैसला किया है. यह यात्रा 16 सितंबर से जहानाबाद से शुरू होगी. पांच दिनों में तेजस्वी यादव इस यात्रा के जरिए बिहार के 10 जिलों का दौरा करेंगे. यात्रा का समापन 20 सितंबर को वैशाली में किया जाएगा. इस यात्रा का नाम 'बिहार अधिकार यात्रा' दिया गया है. इससे पहले राहुल गांधी की 'बोट यात्रा' निकली थी.