बख्तियारपुर, जिसे बख्तियारपुर भी लिखा जाता है, बिहार के पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल का एक ब्लॉक स्तरीय नगर है. यह नगर राज्य की राजधानी पटना से 46 किलोमीटर पूर्व में स्थित है, जबकि बाढ़, जो अनुमंडल मुख्यालय है, मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके अलावा, बिहारशरीफ (30 किमी दक्षिण) और मोकामा (40 किमी पूर्व) इसके प्रमुख निकटवर्ती नगर हैं. गंगा नदी इसके पास से बहती है, और यहां की जमीन गंगा के मैदानों की तरह समतल और उपजाऊ है. बख्तियारपुर दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन भी है.
इस नगर की स्थापना 1203 ईस्वी में बंगाल विजय के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने की थी, जिसने नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों को नष्ट किया था. पिछले 800 वर्षों से यह नगर इसी विवादित इतिहास के साथ जुड़ा रहा है. इसे नए नाम से पुकारने की मांग समय-समय पर उठती रही है, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन मांगों को हमेशा खारिज किया है. उन्होंने इस पर मात्र इतना कहा, "क्या बकवास है? नाम क्यों बदला जाएगा? यह मेरी जन्मभूमि है."
यह सच है कि बख्तियारपुर नीतीश कुमार का जन्मस्थान है, लेकिन विडंबना यह है कि उनकी पार्टियां—पहले समता पार्टी और अब जनता दल (यूनाइटेड)- यहां से कभी चुनाव नहीं जीत पाईं. यह आशंका कि नाम बदलने से मुस्लिम समुदाय नाराज हो सकता है, भी तथ्यात्मक नहीं लगती, क्योंकि 2020 के आंकड़ों के अनुसार यहां केवल 9,094 मुस्लिम मतदाता पंजीकृत थे, जो कुल 2,84,192 मतदाताओं में मात्र 3.2 प्रतिशत हैं. यहां मुस्लिम समुदाय की चुनावी प्रभावशीलता नगण्य है.
बख्तियारपुर को 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया था, उसी वर्ष जब नीतीश कुमार का जन्म हुआ. तब से यहां 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है और इसमें बख्तियारपुर के अलावा दनियावां और खुसरूपुर (दोनों पटना सिटी अनुमंडल के अंतर्गत) सामुदायिक विकास खंड आते हैं.
1952 से 1990 के बीच हुए 11 में से 10 चुनाव कांग्रेस ने जीते, लेकिन उसके बाद से उसका प्रभाव समाप्त हो गया. 2000 के बाद से यहां भाजपा और राजद के बीच मुकाबला होता रहा है. दोनों पार्टियों ने अब तक तीन-तीन बार यह सीट जीती है. इसके अलावा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने 1972 में और जनता दल ने 1995 में एक-एक बार विजय प्राप्त की.
अगर वर्तमान रुझान जारी रहे, तो इस बार जीत की बारी भाजपा की हो सकती है. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने इस सीट पर 20,672 वोटों से जीत दर्ज की थी. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस (जो राजद की सहयोगी है) ने बख्तियारपुर विधानसभा खंड में 9,941 वोटों की बढ़त ली.
भाजपा के लिए यहां समीकरण बदलने के लिए अनुसूचित जाति के मतदाताओं, जो कुल मतदाताओं का 21.01 प्रतिशत हैं, में पैठ बनानी होगी. इसके साथ ही, ग्रामीण मतदाताओं को साधना भी जरूरी है, क्योंकि क्षेत्र में शहरी मतदाता केवल 15.45 प्रतिशत हैं. साथ ही, भाजपा को उन लगभग 40 प्रतिशत मतदाताओं को भी सक्रिय करना होगा, जिन्होंने 2020 में मतदान नहीं किया था.
बख्तियारपुर की राजनीति इतिहास, जातीय समीकरण और सामयिक रणनीतियों का एक दिलचस्प संगम है, जो आगामी चुनावों में और भी रोमांचक रूप ले सकता है.
(अजय झा)
BSP
JSP
AAP
RJD
LJPRV
JSJD
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Ranvijay Singh
BJP
Nota
NOTA
Vinod Yadav
RLSP
Sita Devi
IND
Raju Kumar Singh
RJLP(S)
Shambhu Singh
IND
Kundan Kumar
PP
Ram Jatan Choudhary
IND
Purusotam Kumar
JAP(L)
Umesh Pandit
JKM
Krishna Prasad
IND
Avantika Singh
BJKD(D)
Naresh Kumar
ADP
Randhir Kumar
SP(L)
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