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Bihar Election Result 2025 Live: राजगीर (एससी) विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Rajgir (SC) Vidhan Sabha Result Live: राजगीर (एससी) सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Rajgir (SC) Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Rajgir (SC) Election Result 2025 Live: राजगीर (एससी) का रिजल्ट जानना है? यहां मिलेगा हर अपडेट
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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राजगीर, जो नालंदा जिले का एक अनुमंडल है, बोधगया के साथ बिहार के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है. पांच पहाड़ियों के बीच बसा यह प्राचीन नगर लगभग 4000 वर्षों के इतिहास को समेटे हुए है. प्राचीन काल में इसे राजगृह कहा जाता था, जिसका अर्थ है "राजाओं का निवास स्थान". यह नगर हर्यंक, प्रद्योत, बृहद्रथ और मगध साम्राज्य जैसी अनेक राजवंशों की राजधानी रहा है. राजगीर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में अत्यंत पवित्र माना जाता है.
महाभारत में राजगीर को जरासंध का साम्राज्य बताया गया है- एक शक्तिशाली और भयावह राजा जो अपनी सैन्य ताकत के लिए प्रसिद्ध था. भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के साथ राजगीर आए थे ताकि इस अत्याचारी राजा से मुक्ति दिलाई जा सके. भीम ने जरासंध को कुश्ती में पराजित किया और उसके शरीर को दो हिस्सों में चीरकर अलग-अलग दिशाओं में फेंक दिया ताकि वे फिर से जुड़ न सकें. इस ऐतिहासिक युद्धस्थल को आज जरासंध अखाड़ा के नाम से जाना जाता है. हिंदू शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि भगवान राम अपने भाइयों के साथ जनकपुर (वर्तमान नेपाल) की यात्रा के दौरान राजगीर आए थे.
हर्यंक वंश के राजा बिम्बिसार और उनके पुत्र अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य की राजधानी के रूप में राजगीर से शासन किया था. बाद में अजातशत्रु के पुत्र उदायिन ने राजधानी को पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) स्थानांतरित कर दिया.
गौतम बुद्ध और जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने राजगीर में लंबा समय बिताया और महत्वपूर्ण उपदेश दिए. यह भी माना जाता है कि 12वें तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का जन्म यहीं हुआ था. उनके नाम पर बना प्राचीन मंदिर आज भी यहां स्थित है, साथ ही कई अन्य जैन मंदिर भी। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए राजगीर को एक आधार के रूप में प्रयोग किया था. एक अद्भुत 2500 वर्ष पुरानी साइक्लोपियन दीवार आज भी विद्यमान है, जिसे रक्षा और बाढ़ नियंत्रण के लिए बनाया गया था.
राजगीर में स्थित ब्रह्मकुंड एक पवित्र गर्म जलस्रोत है, जहां सात अलग-अलग झरनों का जल एकत्र होता है. माना जाता है कि इस जल में स्नान करने से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है.
राजगीर से मात्र 12 किमी दूर नालंदा महाविहार स्थित है, जबकि जिला मुख्यालय बिहारशरीफ 25 किमी और राज्य की राजधानी पटना 110 किमी दूर है. गया यहां से 75 किमी की दूरी पर है.
राजगीर 1957 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया, और इसे अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित किया गया. यह नालंदा लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है.
अब तक राजगीर में 16 बार चुनाव हो चुके हैं, और यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बारे में यह धारणा तोड़ती है कि यह केवल सवर्णों की पार्टी है. भाजपा ने यहां नौ बार जीत दर्ज की है, जिसमें दो बार भारतीय जनसंघ के रूप में भी शामिल है. कांग्रेस, सीपीआई और जेडीयू ने दो-दो बार और जनता पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की है.
2020 में इस सीट पर 2,94,082 मतदाता पंजीकृत थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,10,086 हो गए. अनुसूचित जाति के मतदाता यहां 25.12% हैं, जिससे सीट की आरक्षण स्थिति न्यायसंगत बनी रहती है. मुस्लिम मतदाता 6.5% और शहरी मतदाता केवल 16.3% हैं, जिससे यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण बना हुआ है.
भाजपा के सत्यदेव नारायण आर्य, जो आगे चलकर त्रिपुरा और हरियाणा के राज्यपाल बने, ने यहां से आठ बार जीत दर्ज की, जिसमें 1977 का जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव भी शामिल है. 2015 में उनकी हार हुई जब जेडीयू के रवि ज्योति कुमार ने उन्हें 5,390 वोटों से हराया. बाद में जब भाजपा और जेडीयू ने पुनः गठबंधन किया, तब 2020 में जेडीयू के कौशल किशोर ने कांग्रेस में जा चुके रवि ज्योति कुमार को 16,048 वोटों से पराजित किया. 2024 लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने इस विधानसभा क्षेत्र में 33,108 वोटों की बढ़त दर्ज कर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली.
हालांकि भाजपा की इस सीट पर दावेदारी बनी हुई है, लेकिन जेडीयू फिलहाल इसे छोड़ने को तैयार नहीं दिखती. यदि कोई अप्रत्याशित राजनीतिक परिवर्तन न हुआ, तो यह तय माना जा सकता है कि राजगीर सीट एनडीए के पाले में ही रहेगी, चाहे उम्मीदवार भाजपा से हो या जेडीयू से.
(अजय झा)
Ravi Jyoti Kumar
INC
Manju Devi
LJP
Shambhu Kumar
BSP
Ashok Kumar
IND
Satish Manjhi
BSLP
Upendra Prasad
IND
Amit Kumar Paswan
JD(S)
Nota
NOTA
Satyendra Kumar
IND
Surender Kumar Arya
MVJP
Sanjay Kumar
RSMJP
Rakesh Paswan
BRD
Sonu Kumar
LJVM
Jagdeo Das
JMBP
Suresh Kumar Das
IND
Vilas Paswan
IND
Pappu Paswan
NCP
Arti Devi
SSD
Kumari Gunja Sinha
JAP(L)
Mahesh Paswan
BBMP
Suresh Ram
IND
Balram Das
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.