JD(U)
RJD
JSP
Nota
NOTA
IND
BSP
IND
IND
IND
BMF
IND
PPI(D)
LJD
RSLAP
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बिहार के नालंदा जिले में स्थित इस्लामपुर एक नोटिफाइड एरिया है. तकनीकी रूप से इसे न तो पूरी तरह से कस्बा कहा जा सकता है और न ही गांव. यह नालंदा जिले के मुख्यालय बिहार शरीफ से 42 किमी, नालंदा से 40 किमी, राज्य की राजधानी पटना से 65 किमी, राजगीर से 60 किमी और गया से 85 किमी दूर स्थित है.
इसलामपुर का इतिहास नालंदा से गहराई से जुड़ा हुआ है, हालांकि इसके स्थानीय इतिहास पर दस्तावेज बहुत कम उपलब्ध हैं. इसके नाम की उत्पत्ति को लेकर आज भी संशय बना हुआ है, खासकर तब जबकि यहां मुस्लिम आबादी अपेक्षाकृत कम है. एक अनुमान के अनुसार, जब इस्लामी आक्रमणकारियों ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट किया था, तब उन्होंने आस-पास के किसी गांव को अपनी धार्मिक पहचान दर्शाने के लिए ‘इस्लामपुर’ नाम दे दिया होगा. आज यह क्षेत्र आधा दर्जन से अधिक दरगाहों का घर है, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं.
आज का इस्लामपुर सड़क और रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. यहां कई लंबी दूरी की ट्रेनें रुकती हैं और यह कुछ इंटरसिटी ट्रेनों का आरंभिक और अंतिम स्टेशन भी है.
राजनीतिक रूप से इस्लामपुर 1951 में एक विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित हुआ और यह नालंदा लोकसभा सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. पिछले 17 चुनावों में इस क्षेत्र के मतदाताओं ने समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों को 11 बार चुना है. वामपंथी रुझान भी यहां परिलक्षित हुआ है, जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने तीन बार जीत हासिल की है, जो कि कांग्रेस की चार जीतों से बस एक कम है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला होने के कारण, इस्लामपुर पर उनकी राजनीतिक पकड़ हमेशा मजबूत रही है. उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) और उससे पहले की समता पार्टी ने 2000 से 2015 तक लगातार छह बार इस सीट पर जीत दर्ज की. लेकिन 2020 में यह सिलसिला टूट गया जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने यह सीट 3,698 वोटों से जीत ली. इसका एक बड़ा कारण लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) द्वारा एनडीए से अलग होकर जद(यू) के अनुसूचित जाति वोट बैंक में सेंध लगाना था. LJP को इस क्षेत्र में 8,597 वोट मिले, जिससे यह उन 25 सीटों में शामिल हो गया जहां पार्टी ने जद(यू) को नुकसान पहुंचाया, भले ही खुद सिर्फ एक सीट जीत पाई.
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में जब LJP फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गई, तब इस्लामपुर में जद(यू) को 12,862 वोटों की बढ़त मिली, जो इस नए गठबंधन के प्रभाव को दर्शाता है.
2020 के विधानसभा चुनावों में इस्लामपुर में 2,93,139 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 तक बढ़कर 3,10,086 हो गए. 2020 में यहां अनुसूचित जाति के मतदाता 17.28 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 6.9 प्रतिशत थे. यह इलाका अभी भी मुख्यतः ग्रामीण है, जहां केवल 10.49 प्रतिशत मतदाता शहरी माने जाते हैं.
नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के अंतिम चरण में पहुंचने के साथ ही यह देखना रोचक होगा कि क्या इस्लामपुर की जनता एक बार फिर उन्हें समर्थन देने के लिए एकजुट होती है.
(अजय झा)
Chandrasen Prasad
JD(U)
Naresh Prasad Singh
LJP
Mahendra Singh Yadav
IND
Bharat Prasad Singh
RLSP
Meena Devi
IND
Shatrudhan Prasad Malakar
SKVP
Sameer Kumar
IND
Nota
NOTA
Siyasharan Prasad Singh
NCP
Ajay Kumar
IND
Vikash Kumar Gaurav
NJRP
Munna Kumar Kesari
JD(S)
Dayanand Prasad
PP
Ajit Kumar
RJWP(S)
Madan Kumar
PMS
Pankaj Kumar
BBMP
Kumar Pankaj Prasad
BIP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
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बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.