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Suryagarha Vidhan Sabha Chunav Result: Ramanand Mandal ने सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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सूर्यगढ़ा, बिहार के लखीसराय जिले का एक प्रखंड है. यह राज्य के मध्य भाग में स्थित है और यहां समतल मैदान और छोटे-छोटे पहाड़ हैं. सूर्यगढ़ा के उत्तर में गंगा नदी बहती है, और कई छोटी नदियां और उनकी सहायक नदियां भी इसके आसपास प्रवाहित होती हैं, जिससे यहां की भूमि अत्यंत उपजाऊ बन जाती है और खेती के लिए उपयुक्त है.
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में इस क्षेत्र का नाम 'सूर्यगढ़ा' दर्ज है, जबकि बिहार सरकार के दस्तावेज़ों में इसे 'सूरजगढ़' कहा गया है. यह चुनाव आयोग की लापरवाही का एक और उदाहरण है, जहां मतदाताओं और क्षेत्रों के नामों की वर्तनी में अक्सर गड़बड़ियां कर दी जाती हैं. चूंकि यह एक निर्वाचन क्षेत्र की प्रोफाइल है, अतः हम चुनाव आयोग की वर्तनी 'सूर्यगढ़ा' का ही प्रयोग करेंगे.
लखीसराय, जो कि जिले का मुख्यालय है, सूर्यगढ़ा से मात्र 8 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. बेगूसराय 30 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में, मुंगेर 40 किलोमीटर पूर्व में, और राज्य की राजधानी पटना 125 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है.
सूर्यगढ़ा का इतिहास भी अत्यंत रोचक है. वर्ष 1534 में, यहां शेरशाह सूरी और मुगल सम्राट हुमायूं के बीच एक बड़ा युद्ध हुआ था. इस युद्ध में शेरशाह ने हुमायूं को हराकर दिल्ली सल्तनत पर कब्जा कर लिया था. यह युद्ध इतिहास में ‘सूरजगढ़ का युद्ध’ के नाम से प्रसिद्ध है.
शेरशाह सूरी की मृत्यु के बाद भी इस क्षेत्र में एक और संघर्ष हुआ, जिसमें बीजापुर (अब कर्नाटक के विजयपुरा) के शासक आदिल शाह की हत्या मियां सुलेमान नामक व्यक्ति ने कर दी थी. हालांकि मियां सुलेमान के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. इसके अतिरिक्त, यह क्षेत्र बौद्ध प्रभाव में भी रहा है, कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने यहां की एक पहाड़ी पर तीन वर्षों तक निवास किया था.
सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यह मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. वर्ष 2020 में इस क्षेत्र में कुल 3,38,795 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,62,004 हो गए. अनुसूचित जाति के मतदाता यहां 14.77 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 3.5 प्रतिशत हैं. परंतु सबसे प्रभावशाली मतदाता समूह यहां यादव समुदाय (अहीर) का है, जिसकी आबादी 25 प्रतिशत से अधिक है और यह चुनाव परिणामों पर निर्णायक प्रभाव डालता है. सूर्यगढ़ा पूरी तरह से ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जिसमें कोई शहरी मतदाता नहीं है.
चुनावों में मतदान प्रतिशत में लगातार वृद्धि देखी गई है. 2015 में यह 51.96%, 2019 में 55.14% और 2020 में 56.04% तक पहुंच गया.
अब तक यहां कुल 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें कांग्रेस, भाकपा (CPI) और राजद (RJD) ने चार-चार बार जीत हासिल की है. निर्दलीय और भाजपा ने दो-दो बार विजय प्राप्त की है, जबकि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की है.
वर्तमान विधायक प्रहलाद यादव हैं, जो पांच बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने 1995 में निर्दलीय, 2000 और फरवरी 2005 में राजद उम्मीदवार के रूप में, और 2015 और 2020 में भी राजद से जीत दर्ज की. भाजपा ने अक्टूबर 2005 और 2010 के चुनावों में यह सीट जीती थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में प्रहलाद यादव और राजद की जीत में एलजेपी के चिराग पासवान की भूमिका भी अहम रही. चिराग ने 2020 में नीतीश कुमार के नेतृत्व से असहमति जताते हुए एनडीए से नाता तोड़ लिया, जिससे जदयू को 25 विधानसभा क्षेत्रों में नुकसान हुआ, जिनमें सूर्यगढ़ा भी शामिल था. उस चुनाव में प्रहलाद यादव ने 9,589 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी, जबकि एलजेपी को 44,797 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रही. जदयू के उम्मीदवार रमणंद मंडल को 52,717 मत प्राप्त हुए.
2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए की एकता का असर देखने को मिला. जदयू के उम्मीदवार और मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से विजेता राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) को सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 7,895 वोटों की बढ़त मिली. इससे यह स्पष्ट है कि 2025 का विधानसभा चुनाव सूर्यगढ़ा में काफी रोमांचक और नजदीकी हो सकता है. अब राजद के लिए इस सीट पर फिर से जीत हासिल करना आसान नहीं होगा, क्योंकि एनडीए पहले से कहीं अधिक संगठित और चुनाव के लिए तैयार है.
(अजय झा)
Ramanand Mandal
JD(U)
Ravishanker Prasad Singh
LJP
Bipin Kumar
IND
Ganesh Kumar
RLSP
Gangadhar Panday
IND
Ranjan Kumar
IND
Nota
NOTA
Murari Singh
IND
Shankar Sharma Alias Shankar Das Ji Maharaj
IND
Shravan Kumar Anand
IND
Shyam Kishor Singh
BSLP
Rupesh Kumar Shrivastava
IND
Abhishek Ranjan
IND
Pappu Singh
RJJP
Amarjit Patel
IND
Sandip Kumar
JTLP
Akhileshwar Bhagat
BHMP
Rana Amit Kumar Singh
JNP
Ajay Kumar
AJPR
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
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बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.