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कला-संस्कृति

Kathak Dance

चेहरे के भाव, आंखों की भंगिमा... कथक की इस विधा में बैठे-बैठे ही नृत्य रच देता है नर्तक

19 मार्च 2025

कथक की कला में विशेष रूप से इसकी कहानी कहने की शैली में सहज अभिव्यक्ति (इम्प्रोवाइजेशन) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कथक कलाकार कहानी की भावनात्मक टेंडेंसी को न सिर्फ मंचन के दौरान आत्मसात कर पाते हैं, बल्कि जब वे अपने मानसिक चित्रों को मंच पर भाव के जरिए गढ़ रहे होते हैं तब, वह चेहरे के भावों और शारीरिक मुद्राओं के जरिए उन्हीं भावों को  अंदर से बाहर भी लाते हैं. सहज अभिव्यक्ति की सबसे चुनौती पूर्ण शैलियों में से एक है बैठक. इसे कथक का बैठकी भाव भी कहते हैं. 

Odissi Dance

ओडिसी नृत्य ने रचा भाव-भक्ति और ताल का अनूठा संगम... मंच पर ही सजी काशी, जीवंत हुआ मधुबन

18 मार्च 2025

मौका था, उत्‍सव एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी द्वारा आयोजित और पद्मश्री व संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित गुरु रंजना गौहर की शिष्याओं द्वारा ‘नृत्य मोहा’ की प्रस्तुति का. ओडिसी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों पर ऐसी सम्मोहिनी शक्ति चलाई कि, 21वीं सदी का मौजूदा जनसमूह समय में पीछे की ओर सफर करते हुए शताब्दियों के प्राचीन सफर पर निकल पड़ा.

Dhola Maru love story

ढोला-मारू की प्रेम कहानी, जिससे निकला 'केसरिया बालम' गीत और बन गया राजस्थान की पहचान

16 मार्च 2025

जैसे हीर-रांझा, सोहनी-महिवाल हैं और शीरीं-फरहाद मशहूर हैं, वैसे ही रेतीली जमीन में प्यार के फूल खिलाए थे, ढोला और मारू ने. आज भी राजस्थान में नए दूल्हा-दूल्हन के जोड़े को ढोला-मारू की जोड़ी कह देते हैं. ढोला शब्द तो पति और प्रेमी का पर्यायवाची बन गया है. जानिए 'केसरिया बालम' गीत की कहानी

Holi Festival

फाग, राग, रंग, मस्ती और मल्हार... वसंत का चढ़ता खुमार और होली के ये 5 यार!

14 मार्च 2025

होली का त्योहार तो कई दिन पहले से धीरे-धीरे आता है धीरे-धीरे सबको रंगों और उमंगों में सराबोर करता चलता है. होली भी केवल रंगों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसमें लोक संगीत, परंपराएं और सामाजिक मेलजोल भी गहराई से जुड़े होते हैं. ये सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत रूप है. होली के पांच यार- फाग, राग, रंग, मस्ती और मल्हार ऐसी धूम मचाते हैं कि होली भुलाए नहीं भूलती.

Holi 2025

होलिका, ढुंढी, पूतना और कामदेव... वे कथाएं जिनके क्लाइमैक्स से हुई होली की शुरुआत

13 मार्च 2025

होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं. इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की. विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार- प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था. ब्रह्मदेव की तपस्या करके उसने ऐसा वरदान मांग लिया, जिससे उसकी स्वाभाविक मृत्यु तो असंभव सी हो गई और वह लगभग अमरता पाने के बराबर हो गया. अब उसके अत्याचार बढ़े. उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी.

Nawab Wazid Ali Shah

'होली खेले वज़ीर...', 52 जुमा एक होली के विवाद पर शायर मीर तकी 'मीर' का वो 300 साल पुराना किस्सा

12 मार्च 2025

मुहर्रम के मातम के बाद नवाब वाज़िद अली शाह ने पूछा कि शहर में होली क्यों नहीं मनाई जा रही? उन्हें जब वजह बताई गई, तो वाज़िद अली शाह ने कहा कि हिंदुओं ने मुसलमानों की भावनाओं का सम्मान किया इसलिए अब ये मुसलमानों का फर्ज बनता है कि वो हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करें.

 Mathura Holi

कंस के अत्याचारों का विरोेध कैसे बन गया ब्रज में होली का उल्लास?

12 मार्च 2025

ब्रज में होली की शुरुआत लड्डुओं की होली से होती है. बरसाना गांव से शुरू होने वाली इस होली को निमंत्रण का प्रतीक माना जाता है. मान्यता के अनुसार, राधा प्रतीक रूप से नंदगांव लड्डू लेकर जाती हैं और नंदगांव के हुरियारे हुड़दंग शुरू कर देते हैं. मीठे लड्डुओं की इस होली का नजारा देखने लायक होता है.

Holi ke Rasiya

होली के रसिया... राल दर्शन के साथ रंग खेलना, ब्रज से कितना अलग है राजस्थान में रंगों का त्योहार

11 मार्च 2025

रसिया शब्द की उत्तपत्ति ही रास से हुई है और अपनी उत्पत्ति के कारण ही यह श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र से जाकर जुड़ जाता है. इसीलिए रसिया गीतों में श्रीकृष्ण नायक हैं और राधा रानी इसकी नायिका हैं. राधा की अन्य सखियां, इन गीतों में साथी कलाकारों की तरह अलग-अलग प्रसंगों के वर्णन में आती हैं और रसिया जमता जाता है.

raja ravi verma

राजा रवि वर्मा... उस चितेरे की कहानी, जिसने भारतीय इतिहास को रंगीन बना दिया

09 मार्च 2025

राजा रवि वर्मा को भारत का प्राचीन और सबसे उत्कृष्ट चित्रकार माना जाता है. आज देवी-देवताओं के जिन पौराणिक स्वरूपों को हम इतने सहज तरीके से कागज पर जीवंत हुए देखते हैं, इसका पहला प्रयास उन्होंने ही किया था. प्रख्यात चित्र देवी सरस्वती उन्होंने तकरीबन 1896 में बनाया था, लेकिन यह इतना आसान नहीं था.

Raja Ravi Verma Painting

राजा रवि वर्मा से अमृता शेरगिल तक, कैनवास पर आकार लेते रहे हैं महिलाओं के हर एहसास

08 मार्च 2025

नारीवाद के लिए चित्रकला एक क्रांतिकारी मीडियम रहा है और इसने रंगों के सहारे पितृसत्तात्मक समाज की जटिल संरचनाओं को चुनौती दी. ऐसा नहीं है कि सिर्फ आधुनिक समाज में ही स्त्री परक विषय को खुलकर जगह मिली है, बल्कि सुविख्यात चित्रकार राजा रवि वर्मा भी जब 150 साल पहले भारतीय चित्रकला की नई पौध तैयार कर रहे थे, तब भी उन्होंने स्त्री रूपकों को सहजता के साथ अपनी रंगत दी है.

Naga Sadhu

क्यों आता है गुस्सा, क्या है चिलम पीने की वजह? फोटो प्रदर्शनी में नागा साधु ने खोले कई रहस्य

07 मार्च 2025

हाल ही में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में नागा साधुओं की अद्भुत छवियां देखने को मिलीं. सात वर्षों में दो कुंभ मेलों में खींची गई इन तस्वीरों को एक प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया. इन चित्रों में नागा साधुओं के दैनिक जीवन, उनकी साधना और उनकी विशिष्ट जीवनशैली को दर्शाया गया. 

Sitar Rishabh Sharma

'व्हाइट हाउस में परफॉर्मेंस से किया था इनकार, फिर...', युवा सितार वादक ऋषभ शर्मा ने सुनाया किस्सा

07 मार्च 2025

ऋषभ शर्मा ने बताया कि शुरुआत में वे गिटार बजाते थे, लेकिन फिर उन्हें सितार की ध्वनि और उसके प्राकृतिक नाद ने अपनी ओर आकर्षित किया. मैं इसकी ओर खिंचता सा चला गया. सितार को वाद्ययंत्र के तौर पर अपनाने का मेरा अनुभव मेरे लिए बेहद ही दिलचस्प रहा और फिर इसके बाद मेरे भीतर जो बदलाव आने शुरू हुए, वह मेरे लिए स्वाभाविक था."

Bhasmang the way of the Naga sadhu

सत्य की खोज, शिव हो जाने की यात्रा... नागा साधुओं के अबूझ रहस्यों से पर्दा उठा रहा है 'भस्मांग'

28 फरवरी 2025

इस सीरीज की हर तस्वीर शुरुआत से ही आपको अपने मोहपाश में जकड़ लेगी. यह एक अलग ही तरीके की विवेचना है कि जो तस्वीरें संसार के हर बंधन, हर मोह से अलगाव का उदाहरण हैं, उनको भी देखने का एक अलग ही मोह देखने वाले की आंखें में जागेगा ही जागेगा. गैलरी की शुरुआत में ही जटा बिखेरे खड़े नागा साधु की आदमकद तस्वीर आपको उनकी रहस्यमयी दुनिया को झांक आने का आमंत्रण देती हुई लगती है.

Classical Dance

भरतनाट्यम, कथक से गरबा और भांगड़ा तक... हमारी संस्कृति की धड़कन है नृत्य

23 फरवरी 2025

भारत में शास्त्रीय नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि एक साधना है. यह नृत्य रूप नाट्यशास्त्र पर आधारित होते हैं और इनमें भाव, राग, ताल एवं मुद्राओं का गहन समन्वय देखने को मिलता है. प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य अलग-अलग प्रदेशों की खासियत के साथ सामने आता है.

 chromalog canvas painting

भागवत का उपदेश, रंगों का संदेश और जीवन उद्देश्य... क्रोमालॉग, जहां कैनवस पर बिखरी हैं रुहानी कहानियां

22 फरवरी 2025

द स्टेनलेस गैलरी में 22 फरवरी से 25 फरवरी 2025 तक 'क्रोमालॉग: कलर्स एंड कन्वर्सेशंस' कला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. 'द आर्ट एक्सचेंज प्रोजेक्ट' की ओर से आयोजित इस सातवें सामूहिक प्रदर्शन में 15 कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित की जा रही हैं.

Dance Nritya

सनातन से शास्त्र और सृष्टि से संहार तक... कला ही नहीं योग-साधना भी है नृत्य

21 फरवरी 2025

नृत्य केवल एक कला का रूप नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है. भारतीय पौराणिक कथाओं, दर्शन और धार्मिक ग्रंथों में भी इसका खास स्थान है. यह न केवल अभिव्यक्ति का जरिया है, बल्कि देवताओं की आराधना, आध्यात्मिक साधना और सांस्कृतिक परंपराओं का अभिन्न अंग भी रहा है.

Natraj

सृजन, संरक्षण और संहार... नर्तक शिव नटराज के नृत्य में कितने प्रतीक शामिल हैं?

19 फरवरी 2025

शिव का दाहिना हाथ एक विशेष मुद्रा में उठाया होता है, जिसे अभय मुद्रा कहा जाता है, जो 'निर्भीक मुद्रा' के रूप में परिभाषित होती है. यह मुद्रा शिव के भक्तों को सुरक्षा और उनके आशीर्वाद का आश्वासन देती है. सृजन और विनाश के निरंतर चक्र के बीच भी, इसमें एक आशा और सुरक्षा की भावना है.

यज्ञ बनाम तप – देवदत्त पटनायक ने खोले कुंभ स्नान के आध्यात्मिक पहलू

16 फरवरी 2025

प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने साहित्य आजतक के मंच से समझाया कुंभ स्नान का वास्तविक अर्थ क्या है. यज्ञ और तप के बीच क्या अंतर है? वेदों में अग्नि और यज्ञ का महत्व समझें. शिव के नृत्य से जानें मंत्रों का गूढ़ अर्थ. भभूत और विभूति का रहस्य. यज्ञ में देवताओं का आह्वान और आहुति का महत्व. मन के परिवर्तन की आवश्यकता. तीर्थ यात्रा का असली उद्देश्य क्या होना चाहिए? वेदों में भूख और भोग का सिद्धांत. यज्ञ में नैवेद्य और प्रसाद का महत्व. ऋण और मुक्ति का संबंध.

धर्म की रक्षा कैसे संभव? देखें सत्ता, आस्था और आत्मज्ञान पर देवदत्त पटनायक का दृष्टिकोण

16 फरवरी 2025

प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने धर्म की रक्षा और आत्मज्ञान के बीच संबंध पर गहन चर्चा की. सनातन धर्म, महावीर और हनुमान जी के उदाहरणों से समझाया गया कि सच्चा धर्म क्या है. अहंकार और आत्मज्ञान के बीच अंतर, पैगंबर और दिगंबर परंपरा की तुलना, तथा रामायण और महाभारत से लिए गए प्रसंगों द्वारा धार्मिक कथाओं का वास्तविक अर्थ समझाया गया है. धर्म के नाम पर स्पर्धा और व्यावसायिकता पर भी चर्चा की गई है.

लाभ का मतलब ऋण? देवदत्त पटनायक ने समझाया सफलता का अनसुना सच

16 फरवरी 2025

प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पठानिया ने महत्वाकांक्षा और ऋण के बीच संबंध पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि भोग बिना ऋण नहीं होता और जितना लाभ, उतना ऋण. पठानिया ने बताया कि बिलियनेयर्स सबसे बड़े ऋणी होते हैं. उन्होंने यज्ञ परंपरा और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के बीच तुलना की. पठानिया ने कहा कि मोक्ष का मतलब ऋण से मुक्ति है और केवल डुबकी मारने से ऋण मुक्ति नहीं होती. उन्होंने लोगों को महत्वाकांक्षा से बचने की सलाह दी.

शिव भक्त रावण का असली रूप – देवदत्त पटनायक ने बताया छिपा हुआ सत्य

16 फरवरी 2025

प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा- रामायण के पात्रों के गहरे अर्थ को समझने की जरूरत है. वाल्मीकि ने रावण को शिव भक्त और वेद ज्ञानी क्यों दिखाया? राम और रावण के चरित्र में क्या अंतर है? यज्ञ का वास्तविक अर्थ क्या है? ज्ञान देने और लेने में पाचन शक्ति का क्या महत्व है? सरस्वती और लक्ष्मी के बीच चुनाव कैसे करें? इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें यह लेख.

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