


नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित ओडिसी नृत्य प्रस्तुति 'अनंत कथा – सम टेल्स नेवर एंड' में गुरु रंजना गौहर के प्रमुख शिष्य विनोद केविन बचन ने अपनी उत्कृष्ट नृत्य कला से दर्शकों का मन मोह लिया.
नई दिल्ली में ध्वनि संस्था ने पद्मश्री शंभूनाथ शुक्ला की 118वीं जयंती पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें पहली बार पंडित शंभू महाराज स्मृति पुरस्कार की शुरुआत की गई. यह पुरस्कार भारतीय शास्त्रीय कला में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कलाकारों को दिया जाएगा.
गुरु कुंदनलाल गंगानी फाउंडेशन द्वारा त्रिवेणी कला संगम में आयोजित 'संतति' सांस्कृतिक संध्या में जयपुर घराने की कथक शैली की विशेष प्रस्तुति दी गई. संजीत गंगानी और अन्य कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य की शाश्वत विरासत को जीवंत करते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में भरतनाट्यम नृत्यांगना सौम्या लक्ष्मी नारायणन ने पद्मश्री गीता चंद्रन की शिष्या के रूप में एकल प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की प्राचीन परंपरा और आध्यात्मिक सौंदर्य को जीवंत किया। इस प्रस्तुति में राग श्री, खमाज, शुद्ध सारंग और यमन कल्याण जैसे शास्त्रीय संगीत रागों का समावेश था.
मोहन खोखर ने नृत्य विधाओं को संरक्षित करने, नृत्य शिक्षण को बढ़ावा देने और नृत्य के दस्तावेजीकरण में अद्वितीय भूमिका निभाई. उनके द्वारा संकलित तस्वीरें और लेख भारतीय नृत्य के इतिहास का अमूल्य स्रोत हैं.
प्रोफेसर मोहन खोखर की 100वीं जन्म शताब्दी पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में एक भव्य आयोजन हुआ जिसमें भारत और विदेशों से प्रसिद्ध नृत्य गुरु, कलाकार और विद्वान शामिल हुए. इस अवसर पर मोहन खोखर की नृत्य परंपरा और संग्रह को सम्मानित किया गया.
नेपाल में मनाया जाने वाला इंद्रजात्रा पर्व प्राचीन हिंदू परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. यह पर्व वर्षा और समृद्धि के देवता इंद्र को समर्पित है, जिसमें मुखौटा नृत्य, झांकियां, रथ यात्राएं और लोककथाओं का मंचन होता है.
इंद्रजात्रा की शुरुआत 10वीं शताब्दी में काठमांडू शहर की स्थापना के उपलक्ष्य में राजा गुणकामदेव ने की थी. कुमारीजात्रा 18वीं शताब्दी के मध्य में शुरू हुई. यह उत्सव चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है, इसलिए तिथियां बदलती रहती हैं.
यह नाटक संदेह, शक्ति और आस्था जैसे गहरे विषयों को छूता है. आज के समय में, जब दुनिया में अविश्वास और झगड़े बढ़ रहे हैं, यह नाटक बहुत प्रासंगिक लगता है. यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम सच को पूरी तरह जान सकते हैं?
सन् 1947 का विभाजन केवल सीमाओं का बंटवारा भर नहीं था. यह भारत देश की आत्मा का अलगाव था. यह सिर्फ देश की स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी, बल्कि स्वतंत्रता दर्द में भिगोई गई थी. स्वतंत्रता दिवस के उत्सव के पीछे एक विशाल मानवीय त्रासदी : करोड़ों विस्थापित लोग, लाखों का वध, अनगिनत महिलाओं का चीड़-हरण किया गया और लाखों लोगों को अपनी पैतृक भूमि से मिटा दिया गया.
दिल्ली के सुंदर नर्सरी में SPIC MACAY द्वारा आयोजित लोक और जनजातीय कला एवं शिल्प महोत्सव में देशभर के कलाकारों ने मधुबनी, वारली, गोंड, टेराकोटा सहित विभिन्न पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन किया. तीन दिन चले इस आयोजन में वर्कशॉप, प्रदर्शनी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं, जिनमें लोक संगीत और नृत्य भी प्रस्तुत किए गए.
कार्तिक मास की देव उठनी एकादशी भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक है, जो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. इस दौरान पेट की अग्नि तेज होती है और खान-पान में बदलाव आता है. पुराणों में इसे हरिहर मिलन उत्सव कहा गया है, जहां शिव और विष्णु का मिलन होता है.
देवोत्थान एकादशी, जिसे देव उठनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं. इस दिन उनकी पूजा और जागरण के लिए पारंपरिक मंत्रों के साथ-साथ लोक गीतों का भी विशेष महत्व है.
वंदना कृष्णा की सोलो पेंटिंग प्रदर्शनी 'रिफ्लेक्शन्स' एनेक्सी आर्ट गैलरी इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली में 24 नवंबर से 30 नवंबर 2025 तक आयोजित है. उनकी कला मुंबई और दिल्ली के जीवन, बदलते शहरों और धुंधलके को दर्शाती है.
दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आरती उप्पल सिंगला ने अपनी सोलो पेंटिंग प्रदर्शनी 'ऑरेलिया- बिटवीन ब्रीथ एंड ब्लूम' का आयोजन किया. यह प्रदर्शनी महानगरीय जीवन की तेज़ी और प्रकृति की नाजुक सुंदरता के बीच के संतुलन को दर्शाती है.
नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 'विविंग वॉटर' नामक कला प्रदर्शनी में 15 महिला कलाकारों ने स्त्री संघर्ष को चित्रों और मूर्तियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है. यह प्रदर्शनी स्त्री अनुभवों को सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में प्रस्तुत करती है और 9 नवंबर तक चलेगी.