BJP
INC
BSP
JSP
Nota
NOTA
IND
MSP
JSJD
IND
RLJP
PPI(D)
IND
JGJP
Bihar Election Result 2025 Live: वज़ीरगंज विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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Wazirganj Vidhan Sabha Result Live: वज़ीरगंज विधानसभा सीट पर BJP विशाल जीत की ओर! जानिए INC कितना पीछे?
Wazirganj Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के पाटलिपुत्र क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
वजीरगंज, बिहार के गया जिले का एक प्रखंड है. यह एक विधानसभा क्षेत्र भी है. यह गया से 29 किलोमीटर पूर्व की ओर, गया और नवादा जिलों की सीमा पर स्थित है. इसके आसपास के प्रमुख शहरों में हिसुआ, गया, बोधगया और राजगीर शामिल हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार, वजीरगंज की कुल जनसंख्या 2,21,731 थी, और जनसंख्या घनत्व 846 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था. साक्षरता दर 62.17 प्रतिशत रही, जिसमें पुरुष साक्षरता 72.88 प्रतिशत और महिला साक्षरता मात्र 50.91 प्रतिशत थी, जो यह दर्शाती है कि महिलाओं की शिक्षा को स्थानीय स्तर पर प्राथमिकता नहीं दी गई. हालांकि, लिंगानुपात अपेक्षाकृत बेहतर है- प्रति 1,000 पुरुषों पर 951 महिलाएं, और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में यह अनुपात 961 तक बढ़ा है.
वजीरगंज क्षेत्र में कुल 149 गांव और 34,568 घर थे, जिनमें से अधिकांश की आबादी 2,000 से कम थी. दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र में कोई नगरीय आबादी दर्ज नहीं की गई थी.
वजीरगंज की आबादी में अनुसूचित जातियों की भागीदारी 33.8 प्रतिशत थी. अपने नाम से मुस्लिम प्रतीत होने वाले इस क्षेत्र में हिंदू आबादी का वर्चस्व रहा है. 92.87 प्रतिशत लोग हिंदू थे, जबकि मुसलमानों की संख्या केवल 6.7 प्रतिशत थी.
वजीरगंज का ऐतिहासिक विवरण स्पष्ट नहीं है. चूंकि यह गया जिले का हिस्सा है, इसलिए माना जाता है कि इसका इतिहास प्राचीन गया नगर से जुड़ा हुआ है. ‘वजीर’ शब्द का अर्थ मंत्री होता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह नाम मुस्लिम शासन काल में पड़ा या किसी राज्य के मंत्री के नाम पर रखा गया.
राजनीतिक रूप से वजीरगंज का इतिहास अपेक्षाकृत नया है. यह 2008 में अलग विधानसभा क्षेत्र बना, उससे पहले यह शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था. अब तक यहां तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 2010 और 2020 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत हासिल की, जबकि 2015 में कांग्रेस विजयी रही. तीनों चुनावों में परिणाम स्पष्ट रहे हैं. भाजपा ने क्रमशः 17,776 और 22,430 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस ने 12,759 वोटों से जीत हासिल की.
2025 के आगामी चुनावों की बात करें तो, भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, खासकर तब जब उसके सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं और उन्होंने 2024 के गया लोकसभा चुनाव में वजीरगंज क्षेत्र में 23,696 वोटों की बढ़त हासिल की थी.
वजीरगंज एक सामान्य (अनारक्षित) सीट है, लेकिन यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है. अनुसूचित जाति लगभग 30.46 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 9.1 प्रतिशत हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार वजीरगंज में कोई नगरीय आबादी नहीं थी, लेकिन वोटर लिस्ट के मुताबिक, इसके 18.43 प्रतिशत मतदाता शहरी क्षेत्र के थे. यह अंतर इसलिए है क्योंकि वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र में गया नगर निगम के छह वार्ड भी शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में वजीरगंज में कुल 3,13,544 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से केवल 56.18 प्रतिशत ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,22,739 हो गई थी.
वजीरगंज एक ऐसा इलाका है जो इतिहास और राजनीति दोनों में संभावनाओं से भरा है. जनसंख्या संरचना, सामाजिक विविधता और बदलते राजनीतिक समीकरण इसे बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाते हैं.
(अजय झा)
Shashi Shekhar Singh
INC
Shital Parsad Yadav
IND
Chitranjan Kumar
BSLP
Shreedhar Prasad
RLSP
Rajeev Kumar
JAP(L)
Rajendra Kumar Verma
IND
Ram Bilash Prasad
IND
Vandana Singh
IND
Ranjay Kumar Singh
IND
Nota
NOTA
Raju Sao
SKBP
Sanjay Prasad
BBMP
Ramvijay Paswan
IND
Binod Das
IND
Indran Paswan
PPI(D)
Jwala Mehta
BLD
Suman Saurav
PBP
Ram Prasad Manjhi
JGJP
Suraj Kumar
IND
Mrityunjay Kumar Singh
SHS
Rita Devi
IND
Dipak Kumar
BRD
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार में दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गया के वजीरगंज में एक रैली को संबोधित किया. उन्होंने अपने भाषण में कांग्रेस, आरजेडी और समाजवादी पार्टी पर माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा. सीएम योगी ने कहा, 'लोगों ने कहा कि ये तो कुख्यात माफिया है, तो मैंने कहा फिर बुलडोजर की कार्रवाई हो जाए ना.' उन्होंने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे उनकी सरकार ने माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर एक्शन लिया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार कर रहे माननीयों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. गया और कैमूर जिले में बीजेपी के वीरेंद्र सिंह और संगीता कुमारी के साथ-साथ हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के विधायक अनिल कुमार से जनता ने उनके पांच साल के काम का हिसाब मांगा.
बिहार विधानसभा चुनाव में नेताओं को जनता के तीखे सवालों और गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. गया के टिकारी और वजीरगंज के साथ-साथ कैमूर के मोहनिया में जब मौजूदा विधायक वोट मांगने पहुंचे, तो मतदाताओं ने उन्हें घेर लिया और पिछले पांच साल के काम का हिसाब मांगा. टिकारी में जीतन राम मांझी की पार्टी विधायक अनिल कुमार को घेर लिया.