बिहार के अरवल जिले के पांच विकास खंडों में से एक कुर्था, मगध क्षेत्र में स्थित है. यह अरवल से 23 किलोमीटर पूर्व और जहानाबाद से 25 किलोमीटर दूर है. इसके आसपास के प्रमुख कस्बों में मखदुमपुर, जहानाबाद, मसौढ़ी और रफीगंज शामिल हैं. यह क्षेत्र सोन नदी के किनारे बसा हुआ है, जो गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है. यहां की उपजाऊ जलोढ़ भूमि में धान, गेहूं और दलहन जैसे प्रमुख फसलें होती हैं.
प्राचीन काल में कुर्था मगध साम्राज्य (छठी–चौथी शताब्दी ईसा पूर्व) का हिस्सा था. इसके बाद यह मौर्य, गुप्त और पाल वंशों के अधीन रहा. शेर शाह सूरी के शासनकाल में इसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया. 1857 की स्वतंत्रता संग्राम में भी इस क्षेत्र की भूमिका रही, जब स्थानीय जमींदारों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर कुंवर सिंह का साथ दिया.
कुर्था कभी बिहार के नक्सल-प्रभावित मगध जोन का हिस्सा रहा है, लेकिन 2020 के बाद से सुरक्षा में सुधार हुआ है. हालांकि कुछ गांव अब भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाते हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां माओवादी प्रभाव अब भी मतदाताओं के व्यवहार को प्रभावित करता है. 1990 और 2000 के दशक में यह क्षेत्र नक्सलियों के लिए जहानाबाद के जंगलों से गया की पहाड़ियों तक पहुंचने का एक ट्रांजिट कॉरिडोर हुआ करता था. बिहार पुलिस द्वारा 2020 से 2023 के बीच चलाए गए "ऑपरेशन ऑक्टोपस" के बाद से यहां कोई बड़ी हिंसक घटना सामने नहीं आई है. अब भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने इसे "कम तीव्रता" वाला क्षेत्र घोषित किया है, हालांकि सांगमा, पारसी और देवपुर जैसे गांवों में माओवादी असर अब भी चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है.
2011 की जनगणना के अनुसार कुर्था का क्षेत्रफल 121.97 वर्ग किलोमीटर था और इसकी जनसंख्या 1,21,818 थी और घनत्व 999 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है. यह संपूर्ण रूप से ग्रामीण क्षेत्र है जिसमें 70 गांव शामिल हैं जिनमें से 25 गांवों की आबादी 1,000 से कम है. साक्षरता दर मात्र 51.83 प्रतिशत थी, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 61.04 प्रतिशत और महिलाओं की केवल 41.86 प्रतिशत थी. लिंगानुपात 1,000 पुरुषों पर 924 महिलाएं था.
1951 में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में गठित कुर्था, जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. अब तक यहां 17 चुनाव हो चुके हैं. शुरुआती दौर में समाजवादी पार्टियों का दबदबा रहा, जिन्होंने पहले पांच में से चार चुनाव जीते. इसके बाद समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों ने दो-दो बार जीत दर्ज की, जिनमें जनता दल, लोजपा, जदयू और राजद शामल है. कांग्रेस भी दो बार जीती. चरम वाम और दक्षिणपंथी दलों को अभी तक यहां जमीन नहीं मिली है. 2020 में राजद के बगी कुमार वर्मा ने जदयू के दो बार के विधायक सत्यदेव सिंह को 27,810 वोटों के भारी अंतर से हराया, जिससे 2025 में एनडीए के किसी नए सहयोगी को यह सीट दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
कुर्था की राजनीति मुख्य रूप से कुशवाहा, यादव और भूमिहार समुदायों पर आधारित है, जो यहां की आबादी में प्रमुख हैं. यह एक सामान्य वर्ग की ग्रामीण सीट है, जिसमें कोई शहरी मतदाता नहीं है. अनुसूचित जातियां यहां 19.04 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 8.3 प्रतिशत हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में 2,48,759 पंजीकृत मतदाताओं में से 55.21 प्रतिशत ने वोट डाले थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 2,58,277 हो गई. राजद ने जहानाबाद की सभी छह विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की, जिसमें कुर्था भी शामिल है. इस परिणाम ने एनडीए को 2025 के लिए एक नया चेहरा उतारने पर विचार करने को मजबूर कर दिया है, ताकि 2020 में वोट नहीं डालने वाले लगभग 45 प्रतिशत मतदाताओं को फिर से जोड़ा जा सके.
(अजय झा)
BSP
JSP
AAP
RJD
JD(U)
SUCI
RLSP
IND
IND
IND
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Satyadeo Singh
JD(U)
Bhuwneshwar Pathak
LJP
Pappu Kumar
RLSP
Santosh Kumar Singh
IND
Jamaludin Ansari
JAP(L)
Ram Pravesh Yadav
SSD
Ajay Kumar
IND
Suchitra Sinha
BSLP
Abdulla Jammal Malik
PP
Rajender Yadav
LJD
Deepak Kumar
SKVP
Nota
NOTA
Subhash Saw
RSMHP
Binod Sharma
IND
Shafiqul Rahman
NCP
Subash Singh
IND
Rupesh Kumar
SUCI
Sunil Kumar
PPI(D)
Alok Kumar
JGJP
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना शुक्रवार सुबह 8 बजे से शुरू होगी और जनता बताएगी कि बिहार का मुस्तकबिल उसने किस गठबंधन के हाथ में दिया है. चुनाव परिणामों के पहले ही सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत का दावा कर रही हैं.
बेगूसराय में राजद जिलाध्यक्ष मोहित यादव पर फेसबुक लाइव में डीएम पर लूट और मतगणना में धांधली के आरोप लगाने के बाद एफआईआर दर्ज हुई है. उन्होंने वीडियो में हजारों समर्थकों से मतगणना केंद्र पहुंचने की अपील की थी. सीओ रवि शंकर के आवेदन पर साइबर थाने में आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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बिहार विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल बताते हैं कि चिराग पासवान से जिस तरह की सफलता की उम्मीद थी वो दिखाई नहीं दे रही है. चुनावों के पहले तक खुद को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की तरह प्रोजेक्ट कर रहे चिराग कहीं फंस तो नहीं गए हैं?
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिला वोटर्स की बढ़ती भागीदारी ने चुनावी परिदृश्य को बदल दिया है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.78% है जो पुरुषों के 62.98% से 9 प्रतिशत अधिक है. कई जिलों में महिलाओं ने पुरुषों से 14 प्रतिशत से अधिक मतदान किया है, जिसमें सुपौल, किशनगंज और मधुबनी प्रमुख हैं.
जेडीयू नेता नीरज कुमार ने मतगणना कीतारीख पर बयान दिया है. उन्होनें सभी राजनीतिक दलों के अभिकर्ताओं से अपील की है कि वे समय पर पहुंचें ताकि प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके. बिहार के घटक दलों के उम्मीदवारों ने संगठनिक तैयारी पूरी कर ली है ताकि मतगणना समय पर हो और यह बिहार के विकास में सहायक साबित हो.