BJP
CPI(ML)(L)
IND
JSP
Nota
NOTA
IND
BSP
SBSP
Bihar Election Result 2025 Live: दरौंदा विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Daraunda Vidhan Sabha Result Live: बिहार इलेक्शन रिजल्ट अपडेट्स कैसे चेक करें?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Daraunda Vidhan Sabha Result Live: दरौंदा सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
दरौंदा विधानसभा क्षेत्र बिहार के सीवान जिले में स्थित है और यह सीवान लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र दरौंदा और सिसवन प्रखंडों के साथ-साथ हसनपुरा प्रखंड के 10 ग्राम पंचायतों को मिलाकर बना है. इसका गठन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था.
इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना लगभग समतल और उपजाऊ है, जिसे लगभग 40 किलोमीटर दूर बहने वाली गंडक नदी की सिंचाई सुविधा का भरपूर लाभ मिलता है. कृषि यहां की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है, जिसमें धान, गेहूं और गन्ना मुख्य फसलें हैं. इसके अलावा, चावल मिल और ईंट भट्ठों जैसी लघु उद्योगों से भी स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है.
सड़क और रेलमार्ग के माध्यम से दरौंदा क्षेत्र अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. जिला मुख्यालय सीवान यहां से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि छपरा 55 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और गोपालगंज लगभग 42 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. राज्य की राजधानी पटना दरौंदा से लगभग 140 किलोमीटर दूर है.
दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में अब तक पांच विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2011 और 2019 में दो उपचुनाव भी शामिल हैं. 2010 में हुए पहले चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) की उम्मीदवार जगमतो देवी ने जीत दर्ज की थी. उनके निधन के बाद 2011 में उपचुनाव हुआ, जिसमें उनकी बहू कविता सिंह ने जीत हासिल की. 2015 के चुनाव में भी उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी. 2019 के लोकसभा चुनाव में कविता सिंह ने सीवान संसदीय सीट से जीत हासिल की, जिससे दरौंदा में दूसरा उपचुनाव हुआ. इसमें जेडीयू ने कविता सिंह के पति अजय कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार करणजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने 27,279 वोटों के बड़े अंतर से हराया. बाद में करणजीत सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाकपा (माले) के अमरनाथ यादव को 11,320 वोटों से पराजित किया.
दरौंदा का पूरा मतदाता आधार ग्रामीण है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां कोई भी शहरी मतदाता नहीं था. 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल 3,19,225 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से लगभग 11.78% (37,605) अनुसूचित जाति के और 11.70% (37,349) मुस्लिम मतदाता थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,29,715 हो गई थी. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2020 के बाद से 4,288 मतदाता क्षेत्र से बाहर पलायन कर चुके हैं. यहां के युवाओं में रोजगार के लिए पलायन आम है, जो बिहार के औद्योगिक ठहराव को दर्शाता है.
2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की विजयलक्ष्मी देवी ने दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में 27,462 वोटों की बढ़त हासिल की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के लिए इस सीट को एनडीए से छीनना एक बड़ी चुनौती होगी.
(अजय झा)
Amarnath Yadav
CPI(ML)(L)
Rohit Kumar Anurag
IND
Nota
NOTA
Laichi Bansafor
IND
Shailendra Kumar Yadav
JAP(L)
Kaushlendra Singh
IND
Anand Kumar Singh
JMBP
Rajesh Giri
IND
Ajit Kumar Yadav
IND
Bebi Pandey
BLNP
Rama Ganesh Shyam
SBSP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.