BJP
CPI(ML)(L)
JSP
Nota
NOTA
IND
BSP
BMAP
PPI(D)
IND
AKBHJS
GTSP
BPJM
JTAWP
SUCI
Bihar Election Result 2025 Live: आरा विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Arrah Vidhan Sabha Result Live: बिहार इलेक्शन रिजल्ट अपडेट्स कैसे चेक करें?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Arrah Vidhan Sabha Result Live: आरा विधानसभा सीट पर BJP विशाल जीत की ओर! जानिए CPI(ML)(L) कितना पीछे?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
आरा नाम ने कभी ब्रिटिश हुकूमत के दिलों में खौफ भर दिया था, जिसका श्रेय यहां के लोगों की बहादुरी और निडरता को जाता है. एक स्थानीय कहावत इस भावना को दर्शाती है: "आरा जिला घर बा त, कवन बात के डरबा" (If you belong to Arrah, there is nothing to fear)). इस साहस का प्रतीक बाबू कुंवर सिंह थे, जो एक 80 वर्षीय योद्धा थे और जिन्होंने 1857 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ बिहार में पहला स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया. उनकी वीरता ने उन्हें "वीर कुंवर सिंह" की उपाधि दिलाई.
कुंवर सिंह जगदीशपुर रियासत के शासक थे. उन्होंने 25 जुलाई 1857 को दानापुर में विद्रोह करने वाले सैनिकों की कमान संभाली. दो दिन बाद, उन्होंने आरा पर कब्जा कर लिया. , उस वक्त आरा जिला मुख्यालय था. इस विद्रोह के दौरान, उनकी सेना को गंगा पार करते समय एक कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ा. ब्रिटिश सैनिकों ने उनकी नाव पर गोलीबारी की, जिससे एक गोली कुंवर सिंह की बाईं कलाई पर लगी और उनका हाथ बेकार हो गया. संक्रमण के खतरे को भांपते हुए, उन्होंने अपनी तलवार निकाली, अपनी बांह को कोहनी के पास से काट दिया और गंगा में अर्पित कर दिया, इसे अपनी बलिदान की निशानी बनाया. उनकी सेना ने सैकड़ों ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराया, जिनमें से कई दानापुर छावनी के एक परित्यक्त कब्रिस्तान में दफन हैं. उनकी गुरिल्ला युद्ध रणनीति से ब्रिटिश सेना भयभीत हो गई, और वे कभी भी उन्हें पकड़ नहीं पाए. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ को स्वतंत्र कराने के बाद, वे वृद्धावस्था के कारण पीछे हट गए और 1858 में वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन उनकी बहादुरी की गाथाएं आज भी जीवंत हैं.
आरा की यह निडरता राजनीति में भी दिखाई देती है, क्योंकि यहां चुनावी मुकाबले कड़े होते हैं. 1951 में स्थापित आरा विधानसभा क्षेत्र आरा लोकसभा सीट का हिस्सा है, जिसमें कुल सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें कांग्रेस ने सात बार जीत दर्ज की (आखिरी बार 40 साल पहले), बीजेपी ने पांच बार, जनता दल ने दो बार, जबकि जनता पार्टी, राजद और एसएसपी ने एक-एक बार जीत हासिल की.
बीजेपी का दबदबा 2000 में शुरू हुआ, जब उसने लगातार चार चुनाव जीते. हालांकि, 2015 में राजद के मोहम्मद नवाज आलम ने यह सिलसिला तोड़ते हुए बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप सिंह को सिर्फ 666 वोटों से हरा दिया. 2020 में अमरेंद्र प्रताप सिंह ने फिर से सीट जीती, लेकिन उनकी जीत का अंतर मात्र 3,002 वोटों का था, जो यहां करीबी मुकाबलों के रुझान को दर्शाता है.
2025 का चुनाव दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि जहां बीजेपी के पास विधानसभा सीट है, वहीं 2024 लोकसभा चुनाव में भाकपा (माले) ने आरा संसदीय सीट पर जीत दर्ज की. खास बात यह है कि बीजेपी केवल आरा विधानसभा क्षेत्र में आगे थी, जबकि भाकपा (माले) अन्य छह क्षेत्रों में आगे रही.
बीजेपी के पांच बार के विजेता अमरेंद्र प्रताप सिंह के लिए आगामी चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है. जुलाई 2025 तक वे 78 वर्ष के हो जाएंगे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तय 75 वर्ष की आयु सीमा को पार कर जाएगा, जो चुनाव लड़ने या मंत्री पद संभालने की अधिकतम सीमा है. अब बीजेपी को यह तय करना होगा कि उनके लिए कोई अपवाद बनाया जाए या नया उम्मीदवार उतारा जाए. इसके अलावा, मतदाताओं की उदासीनता भी एक चिंता का विषय है, क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में केवल 48.44 प्रतिशत मतदान हुआ था.
आरा, जो भोजपुर जिले का मुख्यालय है, में एक विविध मतदाता समूह है. अनुसूचित जाति के मतदाता यहां की कुल आबादी का लगभग 12.1 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 11.7 प्रतिशत हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल मतदाता 3,29,572 थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,34,622 हो गए. 2025 के चुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम मतदाता सूची में यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.
जैसे-जैसे आरा एक और चुनावी लड़ाई के लिए तैयार हो रहा है, इसकी बहादुरी और कांटे की टक्कर वाले मुकाबलों का इतिहास यह सुनिश्चित करता है कि आने वाला चुनाव रोमांचक होने वाला है.
(अजय झा)
Quyamuddin Ansari
CPI(ML)(L)
Hakim Prasad
IND
Shiv Das Singh
IND
Nota
NOTA
Brajesh Kumar Singh
JAP(L)
Praveen Kumar Singh
RLSP
Gorakh Ram
VPI
Dilip Kumar Singh
RJLP(S)
Anil Kumar Singh
JNP
Shabana
IND
Kajal Kumari
ABYP
Chandra Bhanu Gupta
IND
Sanjay Shekhar Shukla
IND
Shobhnath Yadav
IND
Kumar Ashutosh
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार के आरा में दिए 'कट्टे' वाले बयान पर राजनीतिक घमासान छिड़ गया है, जिस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि 'आरजेडी ने कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर सीएम पद चोरी कर लिया'.
पवन सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान कर विवादों को टालने की कोशिश की है, लेकिन आगे का प्लान भी तैयार लगता है. संभव है, पवन सिंह की जगह उनकी मां चुनाव मैदान में दिखें, लेकिन वो भी अस्थाई व्यवस्था होगी, ऐसी खबरें आ रही हैं.
इंडिया गठबंधन की तरफ से वोटर अधिकार यात्रा निकाली जा रही है. यह यात्रा 1 सितंबर को पटना में खत्म होगी. शनिवार को यह यात्रा भोजपुर जिले के आरा में पहुंची. हालांकि, यहां होने वाली इंडिया गठबंधन की एक सभा का वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एनडीए के नेताओं के नाम की कुर्सी लगी है.