JD(U)
RJD
JSP
IND
Nota
NOTA
IND
AKBHJS
IND
PPI(D)
RJLP(S)
IND
TPP
Sandesh Vidhan Sabha Chunav Result: Radha Charan Sah ने संदेश विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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Sandesh Assembly Election Result Live: JD(U) उम्मीदवार 80598 वोट पाकर सबसे आगे, कौन दूसरे नंबर पर? जानिए संदेश सीट का हाल
संदेश विधानसभा क्षेत्र बिहार के भोजपुर जिले में स्थित है और यह आरा लोकसभा सीट का एक हिस्सा है. इस विधानसभा क्षेत्र में संदेश प्रखंड के अलावा, उदवंतनगर प्रखंड और कोईलवर प्रखंड के 10 ग्राम पंचायत शामिल हैं.
संदेश पूरी तरह से एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां 2020 के विधानसभा चुनावों में कुल 2,91,632 मतदाताओं में से केवल 4.66 प्रतिशत शहरी मतदाता थे. अनुसूचित जातियां यहां की एक बड़ी वोटिंग आबादी (16.15 प्रतिशत) हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 5 प्रतिशत हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,94,047 हो गई है. बिहार के अधिकांश क्षेत्रों की तरह, यहां भी वोटिंग प्रतिशत लगातार गिरावट पर है. 2015 में 56.11 प्रतिशत, 2019 में 54.09 प्रतिशत और 2020 में मात्र 53.09 प्रतिशत मतदान हुआ.
सोन नदी, जो गंगा की एक सहायक नदी है, के किनारे बसे इस क्षेत्र की भूमि अत्यंत उपजाऊ है, जिससे कृषि यहां की मुख्य आजीविका है. संदेश के निकटवर्ती शहरों में जिला मुख्यालय आरा और राजधानी पटना शामिल हैं.
संदेश विधानसभा सीट की स्थापना 1957 में हुई थी और यह आरा संसदीय क्षेत्र के सात हिस्सों में से एक है. तब से अब तक यहां 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं. यहां की राजनीति किसी एक पार्टी के प्रति वफादार नहीं रही है. कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यहां चार-चार बार जीत दर्ज की है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके पूर्व रूप जनसंघ ने तीन बार जीत हासिल की है. भाकपा (माले), जो अब महागठबंधन का हिस्सा है, दो बार विजयी रही है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, लोक दल और जनता दल ने एक-एक बार यह सीट जीती है. जदयू एकमात्र बड़ी पार्टी है जो अब तक यह सीट नहीं जीत सकी है, हालांकि उसने 2020 में भाजपा की जगह उम्मीदवार उतारा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा.
दिलचस्प बात यह है कि राय और महतो उपनाम समेत यादव समुदाय की आबादी लगभग 10.5 प्रतिशत है, इस समिदाय ने अब तक आठ बार इस सीट पर जीत हासिल की है.
2010 का चुनाव संदेश की राजनीति में सबसे चर्चित रहा, जब दो यादव भाई आमने-सामने आए. दो बार के राजद विधायक विजेंद्र कुमार यादव को उनके छोटे भाई अरुण कुमार यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनौती दी. इस संघर्ष में अरुण को 20.53 प्रतिशत वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे, जबकि विजेंद्र को 14.87 प्रतिशत वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर खिसक गए. अंततः भाजपा के संजय सिंह टाइगर 6,822 वोटों से जीत गए.
2015 में राजद ने विजेंद्र की जगह अरुण को टिकट दिया और यह दांव सफल रहा. अरुण ने भाजपा के संजय सिंह टाइगर को 25,527 वोटों से हराया. हालांकि बाद में अरुण कुमार यादव एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में चर्चा में आए. POCSO कोर्ट द्वारा समन के बावजूद अदालत में हाजिर न होने के चलते उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया. अंततः उन्होंने आत्मसमर्पण किया, गिरफ्तार हुए और 2019 में दोषी ठहराए गए. इसके चलते वे 2020 में चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए.
राजद ने उनकी जगह उनकी पत्नी किरण देवी यादव को टिकट दिया. उन्हें चुनौती देने के लिए जदयू ने विजेंद्र कुमार यादव को मैदान में उतारा, लेकिन वे एक बार फिर हार गए. किरण देवी यादव ने 50,607 वोटों के विशाल अंतर से जीत हासिल की.
इसके अलावा, राजद समर्थित भाकपा (माले) के उम्मीदवार ने संदेश विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के मुकाबले 20,604 वोटों की बढ़त बनाई, जो NDA के लिए एक और झटका साबित हुआ.
वर्तमान परिस्थितियों में राजद को 2025 के विधानसभा चुनावों में बढ़त मानी जा रही है. दूसरी ओर, NDA के सामने यह तय करना चुनौती है कि वह अपने गठबंधन में से किस पार्टी को टिकट दे. यदि वे फिर से विजेंद्र कुमार यादव पर दांव लगाते हैं, तो यह जीत की गारंटी नहीं होगी. उन्हें एक ऐसा मजबूत उम्मीदवार तलाशना होगा, जो विवादित अरुण कुमार यादव के स्थानीय प्रभाव को चुनौती दे सके, जो एक मुश्किल, यदि असंभव नहीं, तो अत्यंत कठिन कार्य है.
(अजय झा)
Vijayendra Yadav
JD(U)
Shweta Singh
LJP
Nota
NOTA
Shiv Shankar Prasad
RLSP
Baban Kumar
JAP(L)
Krishna Paswan
BKVP
Santosh Kumar Singh
RJJP
Manmohan Singh
RJLP(S)
Akhileshwar Tiwari
JSNP
Ramdev Singh
IND
Kamal Kumar Singh
VPI
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.