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Sonepur Assembly Election Result Live: बिहार की इस सीट पर Vinay Kumar Singh ने Dr. Ramanuj Prasad को हराया, जानें किसे मिले कितने वोट
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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सोनपुर, जिसे सोनेपुर भी कहा जाता है, बिहार के सारण जिले का एक अनुमंडल स्तरीय नगर है, जो अपने विश्वप्रसिद्ध पशु मेला सोनपुर मेला के लिए प्रसिद्ध है. यह भारत का सबसे बड़ा पशु मेला है, जिसमें हर साल लाखों पर्यटक शामिल होते हैं. यहां हाथी और घोड़े खरीदने का विशेष आकर्षण रहता है, और सजे-धजे हाथी इस मेले की सबसे बड़ी खासियत माने जाते हैं.
हर साल यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन, यानी नवंबर महीने में आरंभ होता है और पंद्रह दिनों से लेकर एक महीने तक चलता है. गंडक नदी के किनारे स्थित प्राचीन हरिहरनाथ मंदिर इस मेले की आध्यात्मिक शुरुआत का केंद्र होता है, जहां श्रद्धालु पवित्र स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं. बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा पर्यटकों के लिए स्विस कॉटेज की व्यवस्था की जाती है और गंडक पर नौका सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं.
ऐतिहासिक दृष्टि से यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. कहा जाता है कि मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य (321 ईसा पूर्व – 297 ईसा पूर्व) ने अपने सैनिकों के लिए हाथी खरीदने हेतु इस मेले में भाग लिया था. उस समय मध्य एशिया समेत विभिन्न देशों के व्यापारी यहां आया करते थे.
सोनपुर गंडक नदी के किनारे स्थित है, जहां यह नदी गंगा से मिलती है. यह हाजीपुर से मात्र 3 किमी दूर है, जो वैशाली जिले का मुख्यालय है. वर्तमान में सोनपुर और राज्य की राजधानी पटना के बीच की दूरी लगभग 25 किमी है, जो नए गंगा पुल के पूर्ण होने के बाद और कम हो जाएगी. यह नगर मुजफ्फरपुर से 58 किमी और सारण जिला मुख्यालय छपरा से 60 किमी की दूरी पर स्थित है.
सोनपुर और हाजीपुर को केवल गंडक नदी अलग करती है, लेकिन इनके बीच भाषाई अंतर आश्चर्यजनक है. हाजीपुर में जहां मैथिली बोली जाती है, वहीं सोनपुर में भोजपुरी भाषा का वर्चस्व है. दोनों नगर सड़क और रेलवे पुलों द्वारा आपस में जुड़े हुए हैं. सोनपुर रेलवे स्टेशन क्षेत्रीय परिवहन का प्रमुख केंद्र रहा है, और एक समय में यह भारत का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म (738 मीटर) होने का रिकॉर्ड भी रखता था.
1951 में गठित सोनपुर विधानसभा क्षेत्र, सारण लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है. इसमें सोनपुर और दिघवारा प्रखंड शामिल हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां कुल 2,88,143 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 11.09% अनुसूचित जाति और 5.30% मुस्लिम समुदाय से संबंधित थे. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जहां शहरी मतदाता केवल 17.64% हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाता संख्या बढ़कर 2,98,216 हो गई.
सोनपुर विधानसभा सीट कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं का गवाह रही है. 1980 में लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री राम सुंदर दास को हराकर विधानसभा में प्रवेश किया. 1985 में जीत दोहराने के बाद, लालू ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सीट छोड़ दी, जिसे स्थानीय मतदाताओं ने अपमान के रूप में देखा. इसका बदला उन्होंने 2010 में उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हराकर लिया, जिन्हें बीजेपी के विनय कुमार सिंह ने 20,685 वोटों से पराजित किया. इसके बाद लालू परिवार ने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा, हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने सारण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और सोनपुर खंड में 3,969 वोटों से बढ़त हासिल की.
अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में इस सीट से मिश्रित नतीजे सामने आए हैं. कांग्रेस ने यहां चार बार जीत हासिल की, लेकिन अंतिम बार 1972 में. लालू की पार्टी आरजेडी ने भी चार बार जीत दर्ज की है, जिनमें 2015 और 2020 की जीत शामिल है. भाजपा, जनता दल और जनता पार्टी ने दो-दो बार तथा निर्दलीय, भाकपा और लोक दल ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
हालांकि 2015 और 2020 की लगातार जीत के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि सोनपुर के मतदाता आरजेडी से फिर जुड़ गए हैं, फिर भी यह सीट बीजेपी के लिए अब भी संभावनाओं से भरी हुई है. 2015 में 36,936 मतों की जीत 2020 में घटकर मात्र 6,686 रह गई. 2025 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए मतदाता सहभागिता बढ़ाना निर्णायक साबित हो सकता है, विशेषकर तब जब 2020 में यहां सर्वाधिक मतदान प्रतिशत सिर्फ 59.01% रहा था.
(अजय झा)
Vinay Kumar Singh
BJP
Chandan Lal
IND
Ramesh Kumar
IND
Suman Kumar
IND
Hem Narayan Singh
IND
Pinki Kumar Prasad
IND
Dharamveer Kumar
NCP
Nota
NOTA
Hari Shankar Kumar
RLSP
Amod Gop
IND
Asha Kumari
PP
Baijnath Ram
IND
Anil Kumar Singh
SJDD
Suvodh Kumar
SYVP
Rajeev Ranjan
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.