JD(U)
CPI(ML)(L)
JSP
BSP
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SBSP
IND
IND
IND
SWSP
IND
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जीरादेई, बिहार के सीवान जिले का एक छोटा सा कस्बा है, जो आधुनिक भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि यह भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली है. 3 दिसंबर 1884 को जन्मे डॉ प्रसाद अब तक के एकमात्र राष्ट्रपति रहे हैं जिन्होंने दो कार्यकालों तक सेवा दी. कुल 12 वर्षों तक इस पद पर बने रहे. वे 1946 में हुए चुनावों में संविधान सभा के निर्वाचित अध्यक्ष भी थे.
जीरादेई एक और प्रसिद्ध व्यक्ति, मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव की जन्मभूमि भी है. उन्हें नटवरलाल के नाम से जाना जाता है. दिलचस्प बात यह है कि डॉ प्रसाद और नटवरलाल दोनों मध्यमवर्गीय कायस्थ परिवारों से आते थे. वे अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की. जहां डॉ प्रसाद एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और राजनीतिज्ञ बने, वहीं नटवरलाल अपनी साहसी ठगी के कारनामों के लिए कुख्यात हुआ. नटवरलाल ने संसद भवन, लाल किला और ताजमहल जैसे प्रतिष्ठित स्मारकों को विदेशी नागरिकों को बेचने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया. दोनों ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और वकालत की, लेकिन उनके रास्ते अलग हो गए, डॉ प्रसाद राजनीति में आ गए, जबकि नटवरलाल अपराध की दुनिया में चला गया और एक किंवदंती बन गया.
जीरादेई का नाम मोहम्मद शहाबुद्दीन से भी जुड़ा है, जो एक विवादास्पद अपराधी से नेता बने. वे जीरादेई विधानसभा सीट से दो बार जीते. लालू प्रसाद यादव के शासनकाल के दौरान शहाबुद्दीन अपराध और राजनीति के घालमेल का प्रतीक बने. लालू शासनकाल को "जंगल राज" कहा जाने लगा. शहाबुद्दीन ने 1990 और 1995 में जीरादेई सीट जीती और बाद में 1996 से 2009 तक लगातार चार बार सीवान से लोकसभा सांसद रहे. 2005 में उनकी गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक करियर समाप्त हो गया. 2021 में, अपनी सजा के दौरान दिल्ली के एक अस्पताल में COVID-19 के कारण उनकी मृत्यु हो गई.
शहाबुद्दीन का दावा था कि उन्हें उच्च जाति के हिंदुओं का समर्थन प्राप्त था, जो इस क्षेत्र में माओवादियों के बढ़ते प्रभाव का विरोध करना चाहते थे. यह दावा 2020 में सही साबित हुआ जब सीपीआई(एमएल) नेता अमरजीत कुशवाहा ने अपने तीसरे प्रयास में जीरादेई सीट पर 25,000 से अधिक मतों से जीत दर्ज की और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रत्याशी को हराया.
1957 में स्थापित, जीरादेई विधानसभा क्षेत्र में जीरादेई, नौतन और मैरवा प्रखंड शामिल हैं. यह सीवान लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इन वर्षों में, जीरादेई ने 17 बार अपने विधायक का चुनाव किया. कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर सबसे अधिक- पांच बार जीत दर्ज की है. कांग्रेस की आखिरी जीत 1985 में हुई थी. निर्दलीय, जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार जीत दर्ज की है, जबकि स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सीपीआई(एमएल) ने एक-एक बार यह सीट जीती है.
गौरतलब है कि राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने इस सीट पर दो बार जीत हासिल की. 2015 में जद (यू) और 2020 में सीपीआई(एमएल) की जीत इस गठबंधन का हिस्सा रही. हालांकि, कोई भी पार्टी जीरादेई को अपना गढ़ नहीं बना पाई, क्योंकि इस क्षेत्र ने पिछले दो दशकों में किसी भी उम्मीदवार को लगातार दो बार नहीं चुना है. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में जीरादेई विधानसभा क्षेत्र में जद (यू) की बढ़त ने बिहार के सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के लिए उम्मीद की किरण जगाई.
जीरादेई विधानसभा क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र है, जहां 93.61% मतदाता ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जबकि शहरी मतदाता केवल 6.4% हैं. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 10.93%, अनुसूचित जनजाति के मतदाता 4.14% और मुस्लिम मतदाता 12.4% के आसपास हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में जीरादेई विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2,77,386 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 2,83,758 हो गई. यह संख्या 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा जारी नई मतदाता सूची में और बढ़ सकती है.
(अजय झा)
Kamala Singh
JD(U)
Vinod Tiwari
LJP
Ugam Pathak
IND
Shri Niwas Yadav
IND
Nota
NOTA
Kumar Santosh
IND
Mahatma Singh
JNP
Rakesh Kumar Pandey
IND
Achchhelal Kumar
SWSP
Rahul Dravid
BSP
Dhanu Prasad
IND
Markandey Kumar Upadhyay
PP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.