JD(U)
RJD
JSP
Nota
NOTA
BSP
IND
IND
SBSP
IND
IND
AKP
Ekma Vidhan Sabha Election Results Live: एकमा विधानसभा सीट के नतीजे सामने आए, JD(U) ने RJD को दी शिकस्त
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बिहार के सारण जिले में स्थित एकमा विधानसभा क्षेत्र, महाराजगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह क्षेत्र सबसे पहले 1952 में अस्तित्व में आया था, लेकिन 1957 से 2008 तक यह निष्क्रिय रहा. इसके बाद निर्वाचन क्षेत्र पुनर्निर्धारण आयोग की सिफारिशों के आधार पर इसे पुनः स्थापित किया गया और 2010 विधानसभा चुनाव से यह एक नियमित निर्वाचन क्षेत्र बन गया. यह एक सामान्य श्रेणी की सीट है जिसमें एकमा और लहलादपुर प्रखंड, मंझी प्रखंड के 9 ग्राम पंचायत और एकमा प्रखंड के 3 ग्राम पंचायत शामिल हैं.
एकमा शहर छपरा-सिवान रेलवे लाइन पर स्थित है और सड़क मार्ग से आसपास के शहरी क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है. यह छपरा (जिला मुख्यालय) से लगभग 35 किलोमीटर पश्चिम, सिवान से 25 किलोमीटर पूर्व, और राज्य की राजधानी पटना से लगभग 110 किलोमीटर पश्चिम स्थित है. आसपास के प्रमुख शहरों में महाराजगंज (30 किमी), गोपालगंज (60 किमी) और उत्तर प्रदेश का बलिया (70 किमी) शामिल हैं. यह क्षेत्र उपजाऊ घाघरा-गंडक मैदानी इलाके में आता है, जहां धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती प्रमुख है. क्षेत्र में कुछ छोटे चावल मिल और ईंट भट्टे मौजूद हैं, लेकिन उद्योगों का अभाव रोजगार के विकल्पों को सीमित करता है.
एकमा क्षेत्र में इसके पुनर्जीवन के बाद तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 1952 में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी, जबकि 2010 और 2015 में जेडीयू को जीत मिली. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के श्रीकांत यादव ने जेडीयू की सीता देवी को 13,927 वोटों के अंतर से हराया था. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के उम्मीदवार कमेश्वर कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे लेकिन उन्होंने 29,948 वोट हासिल किए, जो कि राजद की जीत के अंतर से दोगुने से भी अधिक थे. एलजेपी द्वारा एनडीए छोड़ने और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के उद्देश्य से किए गए प्रयासों का जेडीयू पर व्यापक असर पड़ा, जिससे राज्य भर में कम से कम 25 सीटों पर नुकसान हुआ.
एकमा की पूरी जनसंख्या ग्रामीण है. 2020 में यहां 3,03,364 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 12.27% अनुसूचित जाति (37,223) और 3.67% अनुसूचित जनजाति (11,133) के मतदाता थे. मुस्लिम मतदाता लगभग 10% (30,336) थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 3,12,376 हो गई, जबकि 2020 के 3,411 मतदाता दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित हो गए. एक गंभीर चिंता की बात यह है कि लगभग आधे मतदाता मतदान में भाग नहीं लेते हैं. 2020 में मतदान प्रतिशत मात्र 50.71% रहा.
2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने एकमा विधानसभा क्षेत्र में 16,574 वोटों से बढ़त हासिल की और 52.53% वोट शेयर प्राप्त किया. कांग्रेस, जो राजद नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रही थी, को 41.6% वोट मिले. चूंकि एलजेपी अब फिर से एनडीए में शामिल हो चुकी है, इसलिए 2020 की तरह विरोधी मतों के बंटवारे की संभावना कम हो गई है. इससे राजद को एकमा सीट बचाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
(अजय झा)
Seeta Devi
JD(U)
Kameshwar Ku Singh
LJP
Ranjeet Singh
IND
Nota
NOTA
Rahul Kumar Sah
IND
Kushwaha Rajbal Singh
RLSP
Narendra Pratap Mishra
IND
Sriram Chaudhary
IND
Lakshman Singh
JAP
Manoj Kumar Sharma
IND
Manish Manoranjan
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.