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बिहार के कैमूर जिले में स्थित चैनपुर एक गांव और सामुदायिक विकास खंड है, जो चैनपुर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र चैनपुर, चंद, अधौरा और भगवानपुर ब्लॉकों को मिलाकर बना है. यहां का भूगोल अत्यंत विविध है. समतल मैदानों से लेकर दक्षिण में स्थित कैमूर पठार तक फैला हुआ है. दुर्गावती और कर्मनाशा नदियां इस क्षेत्र से होकर बहती हैं, जो कृषि को जीवनदायिनी बनाती हैं.
चैनपुर में कोई शहरी केंद्र नहीं है और यह जिला मुख्यालय भभुआ से 16 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. इसके नजदीकी कस्बों में मोहनिया (30 किमी उत्तर-पश्चिम), सासाराम (70 किमी पूर्व) और उत्तर प्रदेश का वाराणसी (100 किमी पश्चिम) शामिल हैं. बिहार की राजधानी पटना से चैनपुर लगभग 207 किमी दूर है.
मूलतः यह गांव "मलिकपुर" कहलाता था, जिसका नाम जमींदार मलिक खान के नाम पर पड़ा. चैनपुर की स्थापना 1600 के दशक की शुरुआत में हुई थी. ऐतिहासिक रूप से समृद्ध यह क्षेत्र शेर शाह सूरी के दामाद बख्तियार खान के मकबरे का भी स्थान है. इसके अलावा यहां पवित्र हर्षुब्रह्म स्थान है, जो एक अद्भुत किंवदंती से जुड़ा है. कहा जाता है कि ब्राह्मण पुजारी हर्षु पांडे की मृत्यु के बाद अपने चिता से जीवित हो गए थे.
मुगल काल में चैनपुर एक जागीर के रूप में फला-फूला और यहां "चैनपुर की रानी का किला" बना, जो भभुआ और मोहनिया को समेटता था. विडंबना यह है कि भभुआ और मोहनिया तो कस्बों में बदल गए, लेकिन चैनपुर आज भी एक गांव ही बना हुआ है.
2011 की जनगणना के अनुसार, चैनपुर गांव की आबादी 11,306 थी, जिसमें 1,653 परिवार बसते हैं. पूरे ब्लॉक की जनसंख्या 1,87,692 थी, जिसमें 30,189 परिवार शामिल है. यहां का लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर 939 महिलाएं) जिले के औसत 920 से बेहतर था. 0-6 आयु वर्ग में यह अनुपात 968 लड़कियां प्रति 1,000 लड़कों का था.
हालांकि, साक्षरता दर में पिछड़ापन देखा गयाय चैनपुर ब्लॉक की साक्षरता दर 62.53 प्रतिशत रही, जो जिला औसत 69.34 प्रतिशत से कम थी. पुरुषों की साक्षरता दर 73.04 प्रतिशत और महिलाओं की मात्र 51.25 प्रतिशत थी, जो लैंगिक विषमता को दर्शाती है. अनुसूचित जातियां कुल जनसंख्या का 20.06 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियां 4.87 प्रतिशत और मुसलमान 14.52 प्रतिशत हैं.
1951 में स्थापित चैनपुर विधानसभा क्षेत्र सासाराम लोकसभा सीट का हिस्सा है. 2020 में यहां 21 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 9.38 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 9.7 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता थे. यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है.
2020 के चुनाव में 3,18,231 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 64.75 प्रतिशत ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनावों तक मतदाता संख्या बढ़कर 3,33,388 हो गई.
चैनपुर की जनता कभी किसी एक पार्टी की वफादार नहीं रही. कांग्रेस, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ, भाजपा, जनता पार्टी, बसपा और राजद, सभी ने यहां जीत दर्ज की है, केवल वामपंथी और जदयू को सफलता नहीं मिली. यहां प्रत्याशी की लोकप्रियता को पार्टी से अधिक प्राथमिकता दी जाती है.
लालमुनी चौबे ने चार बार जीत हासिल की, पहले जनसंघ से, फिर जनता पार्टी और बाद में भाजपा से. उहोंने कभी पार्टी नहीं बदली, क्योंकि उनकी पार्टी का विलय भाजपा में हुआ था. वहीं महाबली सिंह ने 1995 से 2005 तक चार बार जीत दर्ज की, पहले बसपा से दो बार और फिर राजद से दो बार. लेकिन 2015 में जदयू के टिकट पर हार गए.
भाजपा के बृज किशोर बिंद ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की, लेकिन 2020 में बसपा के मोहम्मद जमा खान से 24,294 वोटों से हार गए. बाद में खान ने जदयू जॉइन कर ली और मंत्री बन गए. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चैनपुर में केवल 409 वोटों की मामूली बढ़त ली.
2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन दोनों में अंदरूनी संघर्ष देखने को मिल सकता है. कांग्रेस, जिसने 2020 में केवल 5,414 वोट हासिल किए थे, राजद की दावेदारी को चुनौती दे सकती है. उधर, जदयू मोहम्मद जमा खान की मौजूदगी के कारण सीट पर दावा कर सकता है, लेकिन भाजपा, जिसने चैनपुर से छह बार जीत दर्ज की है, यह सीट छोड़ने को शायद तैयार न हो. अगर सहमति नहीं बनी, तो बगावती उम्मीदवार एनडीए की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
जो भी 2025 में चैनपुर की सीट जीतेगा, उसे दो लड़ाइयां लड़नी होंगी, पहले गठबंधन के भीतर टिकट की लड़ाई और फिर प्रतिद्वंद्वी गठबंधन के उम्मीदवार से आम चुनाव.
(अजय झा)
Brij Kishor Bind
BJP
Niraj Pandey
IND
Prakash Kumar Singh
INC
Majnu Gond
IND
Diwan Arshad Husain Khan
IND
Prahalad Bind
IND
Ram Raj Sharma
LJP(S)
Madan Ram
IND
Renu Devi
HSJP
Deen Dayal Singh Kushwaha
BLRP
Shiv Shankar Singh
RSSD
Dharmendra Singh Rajput
RJLP(S)
Prabhu Singh
RSTP
Rituraj Patel
IND
Viswanath Bind
IND
Nota
NOTA
Pushpa Devi
SPKP
Ram Lal Singh
IND
Sahanawaj Ansari
PCP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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