JD(U)
RJD
BSP
IND
Nota
NOTA
JSP
IND
IND
IND
RJSBP
Barauli Vidhan Sabha Results Live: बिहार की बरौली विधानसभा सीट पर JD(U) का दबदबा, RJD को हराया
Barauli Chunav Results Live: बरौली निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Manjeet Kumar Singh ने 12393 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
Barauli Vidhan Sabha Election Results Live: बरौली विधानसभा सीट के नतीजे सामने आए, JD(U) ने RJD को दी शिकस्त
Barauli Vidhan Sabha Results Live: बिहार की बरौली विधानसभा सीट पर JD(U) का दबदबा, RJD को हराया
Barauli Vidhan Sabha Chunav Result Live: Manjeet Kumar Singh ने बरौली विधानसभा सीट पर लहराया परचम
Barauli Chunav Results Live: बरौली निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Manjeet Kumar Singh ने 10908 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित बरौली एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है, जो गोपालगंज (अनुसूचित जाति) लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इसमें बरौली और मांझा प्रखंड के साथ-साथ बैकुंठपुर प्रखंड के चुनिंदा ग्राम पंचायत शामिल हैं. बरौली को ‘नोटिफाइड एरिया’ यानी अधिसूचित क्षेत्र भी घोषित किया गया है, जो गांव से बड़ा लेकिन शहर का दर्जा प्राप्त न करने वाला क्षेत्र होता है.
यह इलाका पश्चिमी गंगा के मैदानी भाग में स्थित है, जहां की उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी धान, गेहूं, मक्का और गन्ने जैसी फसलों की भरपूर खेती को संभव बनाती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है, लेकिन छोटे पैमाने का व्यापार और डेयरी व्यवसाय ग्रामीण आमदनी में सहायक भूमिका निभाते हैं. भूमिहीन और सीमांत किसानों में मौसमी प्रवास एक आम परिघटना है. पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढांचे में सुधार देखा गया है. सड़क संपर्क बेहतर हुआ है और बिजली की पहुंच भी तेजी से बढ़ी है.
बरौली, जिला मुख्यालय गोपालगंज से लगभग 15 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है. मीरगंज उत्तर-पूर्व दिशा में है, जबकि सिवान यहां से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। राज्य की राजधानी पटना की दूरी यहां से लगभग 165 किलोमीटर है. सड़क मार्ग से यह क्षेत्र जुड़ा हुआ है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन गोपालगंज और मीरगंज में स्थित हैं.
बरौली विधानसभा क्षेत्र का गठन 1951 में हुआ था और तब से अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं. शुरुआती दशकों में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने सात बार जीत दर्ज की. इस क्षेत्र से कांग्रेस के प्रमुख नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर चार बार विधायक बने-1950 के दशक में दो बार और फिर 1977 तथा 1980 में.
हाल के वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस क्षेत्र में मजबूती से अपनी पकड़ बनाई है. 2000 से लेकर अब तक हुए छह में से पांच चुनाव भाजपा ने जीते हैं. 2015 में इस सिलसिले में एकमात्र व्यवधान आया, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मोहम्मद नेमतुल्लाह ने भाजपा के रामप्रवेश राय को केवल 504 मतों के अंतर से हराया था. यह तब हुआ जब जनता दल (यूनाइटेड) ने एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था.
कांग्रेस और भाजपा के अलावा, इस सीट पर दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने, जबकि एक-एक बार भाकपा, जनता दल और राजद ने भी जीत दर्ज की है.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामप्रवेश राय ने राजद के रियाजुल हक उर्फ राजू को 14,155 मतों के अंतर से हराकर सीट दोबारा हासिल की. राय को 81,956 मत (46.55%) मिले, जबकि राजू को 67,801 मत (38.51%) प्राप्त हुए। मतदान प्रतिशत 58.89% रहा.
2020 में बरौली में कुल 3,00,044 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 36,665 (12.22%), अनुसूचित जनजाति के 3,120 (1.04%) और मुस्लिम मतदाता लगभग 44,218 (14.73%) थे. 2024 के आम चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,14,892 हो गई. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची में शामिल 4,018 मतदाता 2024 तक इस क्षेत्र से पलायन कर चुके थे.
2024 के लोकसभा चुनाव में बरौली विधानसभा क्षेत्र से जदयू के डॉ. आलोक कुमार सुमन ने राजद के सुरेंद्र राम पर 28,763 मतों की बढ़त बनाई. यह लगातार चौथा संसदीय चुनाव रहा जब इस क्षेत्र में एनडीए ने बढ़त बनाई, चाहे सीट पर भाजपा लड़ी हो या जदयू.
2015 में जदयू-राजद गठबंधन के चलते एनडीए को अस्थायी झटका जरूर लगा, लेकिन उसके बाद से बरौली पर गठबंधन ने मजबूत पकड़ बनाए रखी है. यह खास इसलिए भी है क्योंकि बरौली, राजद के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के गृह जिले गोपालगंज में स्थित है. बावजूद इसके, यहां एनडीए उम्मीदवारों को बार-बार जीत मिलना गठबंधन की पकड़ को दर्शाता है.
हालांकि, मतदान प्रतिशत लगातार 60% से नीचे रहना यह संकेत देता है कि यहां और अधिक मतदाता जागरूकता और भागीदारी की संभावनाएं मौजूद हैं. इसी के साथ, राजनीतिक दलों के लिए यह याद रखना भी जरूरी है कि स्थायी बढ़त के बावजूद आत्मसंतुष्टि घातक हो सकती है.
(अजय झा)
Reyazul Haque
RJD
Rudal Mahto
IND
Ramash Kumar Prasad
IND
Shah Alam
BSP
Wasim Akram
IND
Chitlal Sah
IND
Abhishek Ranjan
IND
Ramesh Kumar Gupta
PP
Sunil Kumar Yadav
IND
Sachin Kumar Singh
NCP
Nota
NOTA
Poonam Prasad
JNP
Ajam Tara
IND
Firoj Ali
IND
Manju Kumari
BBC
Satyendra Kumar Patel
JTLP
Md Samsad
RJJP
Pramendra Kumar Yadav
SBSP(S)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.