डेहरी, जिसे आमतौर पर "डेहरी-ऑन-सोन" कहा जाता है, बिहार के रोहतास जिले का एक ब्लॉक है. सोन नदी के किनारे बसा यह शहर अपने प्रमुख रेलवे जंक्शन और दिल्ली-कोलकाता राजमार्ग पर स्थित होने के कारण रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. डेहरी के पड़ोस में स्थित डालमियानगर का इतिहास इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कानून-व्यवस्था की विफलता किस प्रकार औद्योगिक विकास को विनाश की ओर ले जा सकती है.
1930 के दशक में उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया द्वारा स्थापित डालमियानगर एक समय पर औद्योगिक केंद्र के रूप में फला-फूला. रोहतास इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अंतर्गत यहां कई फैक्ट्रियां संचालित हुई लेकिन 1970 के दशक के मध्य से हालात बिगड़ने लगे. अपराध, डकैती, अपहरण और श्रमिक आंदोलनों में वृद्धि हुई. इसके चलते प्रबंधन कमजोर हुआ और 1980 के दशक में फैक्ट्रियां बंद होने लगीं. 1990 तक यह चमकता औद्योगिक क्षेत्र एक वीरान शहर में तब्दील हो गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक विफलता स्थानीय अर्थव्यवस्था को किस हद तक प्रभावित कर सकती है.
आज डेहरी में कुछ छोटे उद्योग जैसे आरा मिल, घी प्रोसेसिंग इकाइयां, प्लास्टिक पाइप, बल्ब और फुटवियर निर्माण इकाइयां संचालित हैं, लेकिन ये डालमियानगर की पूर्व प्रतिष्ठा के सामने फीके पड़ते हैं. डेहरी, गया- दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन सेक्शन पर स्थित अपने रेलवे स्टेशन और इंद्रपुरी बैराज के लिए जाना जाता है, जो दुनिया के सबसे लंबे नदी बैराजों में से एक है.
2011 की जनगणना के अनुसार डेहरी की औसत साक्षरता दर 81.2 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 74 प्रतिशत से कहीं अधिक है.
डेहरी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी, जो 2008 में परिसीमन के बाद बनाए गए करकट लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इस क्षेत्र की राजनीतिक यात्रा काफी रोचक रही है. जहां एक ओर बिहार में कांग्रेस का बोलबाला था, वहीं डेहरी ने शुरुआती दो चुनावों में समाजवादी उम्मीदवारों को चुना. बसावन सिंह ने 1952 में सोशलिस्ट पार्टी से और 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जीत दर्ज की. इसके बाद कांग्रेस ने चार चुनाव लगातार जीते.
बसावन सिंह ने 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर फिर से यह सीट जीती. कांग्रेस ने 1985 में आखिरी बार यह सीट जीती थी. उसके बाद जनता दल और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की, जबकि अब विलुप्त हो चुकी दो समाजवादी पार्टियों को एक-एक बार सफलता मिली.
2019 के उपचुनाव में भाजपा ने इस सीट पर पहली और एकमात्र जीत दर्ज की, जब राजद विधायक मोहम्मद इलियास हुसैन को अयोग्य ठहराया गया. हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने महज 464 वोटों के अंतर से यह सीट वापस जीत ली. 2024 के लोकसभा चुनाव में सीपीआई(एमएल)(लिबरेशन) ने करकट संसदीय क्षेत्र में जीत दर्ज की और डेहरी सहित सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की. इसके बावजूद भाजपा को 2019 की जीत और 2020 की मामूली हार के आधार पर उम्मीद की किरण नजर आती है.
डेहरी विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की आबादी 16.91 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम मतदाता 10.6 प्रतिशत हैं. ग्रामीण मतदाता कुल मतदाताओं का 65.27 प्रतिशत हैं, जबकि शहरी मतदाता 34.73 प्रतिशत हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में 2,94,837 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें से 52.73 प्रतिशत ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या थोड़ा बढ़कर 2,96,005 हो गई.
(अजय झा)
JSP
RJD
LJPRV
ASP(K)
RSSD
IND
IND
IND
IND
IND
Nota
NOTA
Satyanarayan SinghÂÂ
BJP
Pardeep Kumar Joshi
RSSD
Sona Devi
BSP
Rajiv Ranjan Kumar
IND
Nota
NOTA
Shiv Gandhi
IND
Prem Prakash
PP
Sameer Kumar
JAP(L)
Dinesh Sharma
IND
Gopal Krishan Rai
IND
Om Prakash Singh
IND
Uma Shankar Tiwari
IND
Ranjeet Kumar Patel
PBP
Ramendra Kumar
JKM
बेगूसराय में राजद जिलाध्यक्ष मोहित यादव पर फेसबुक लाइव में डीएम पर लूट और मतगणना में धांधली के आरोप लगाने के बाद एफआईआर दर्ज हुई है. उन्होंने वीडियो में हजारों समर्थकों से मतगणना केंद्र पहुंचने की अपील की थी. सीओ रवि शंकर के आवेदन पर साइबर थाने में आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे कल आने वाले हैं लेकिन उससे पहले सियासत गरमा गई है. RJD और महागठबंधन ने आरोप लगाया है कि अगर काउंटिंग रुकी तो हालात नेपाल जैसे हो जाएंगे. वहीं लगातार काउंटिंग में धांधली की आशंका जताई जा रही है. NDA ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह हार की खीज है.
Bihar Election Result News LIVE Updates: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों की मतगणना शुक्रवार, 14 नवंबर को सुबह 8 बजे से शुरू होगी. इस बार दो चरणों में मतदान हुआ था. 243 सीटों वाले विधानसभा चुनाव में बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत है. प्रशासन ने सभी जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं.
बिहार विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल बताते हैं कि चिराग पासवान से जिस तरह की सफलता की उम्मीद थी वो दिखाई नहीं दे रही है. चुनावों के पहले तक खुद को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की तरह प्रोजेक्ट कर रहे चिराग कहीं फंस तो नहीं गए हैं?
आरजेडी एलएलसी सुनील सिंह ने मतगणना को लेकर विवादित और भड़काऊ बयान दिया है. इसको लेकर बिहार डीजीपी विनय कुमार के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. वहीं आरजेडी ने बचाव करते हुए कहा है कि बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है.
बिहार एग्जिट पोल पर बात करते हुए कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने बड़ा दावा कर दिया. उन्होनें कहा कि महागठबंधन सरकार बनाने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और तेजस्वी यादव राज्य के अगले मुख्यमंत्री बनने वाले हैं.
बिहार एग्जिट पोल पर कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने गुस्सा जताया है. उन्होनें कहा 'चुनाव परिणामों को लेकर कई दबाव और मजबूरियां होती हैं, जिससे एक्जिट पोल में बढ़त दिखाना जरूरी हो जाता है. हालांकि हजारों से कम सैंपल के आधार पर निर्णय लेना उचित नहीं है. कई सर्वे ऐसे भी हैं जो महागठबंधन की बढ़त को दर्शाते हैं.'
पटना से 40 किलोमीटर दूर डेहरी गांव आज भी मूलभूत चीजों के लिए जूझ रहा है. 2007 में नीतीश कुमार ने महादलितों को सशक्त करने का वादा किया था, पर 18 साल बाद गांव में पानी, नाली, मनरेगा भुगतान और राशन सब अधूरा है. लोग भ्रष्टाचार, बदइंतज़ामी और टूटे भरोसे से जूझ रहे हैं.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार के डेहरी में एक रैली को संबोधित किया. उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' पर निशाना साधा और इसे 'घुसपैठिया बचाओ यात्रा' बताया. अमित शाह ने कहा कि बिहार में विकास केवल नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ही कर सकती है. उन्होंने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर बिहार को समृद्ध न कर पाने का आरोप लगाया.
बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. तेजस्वी वोट यात्रा पर हैं और लोगों की परेशानियों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बिहार के दो दिवसीय दौरे पर हैं, जिसमें देहरी और बेगूसराय में उनकी बैठकें होंगी. दोनों तरफ से प्रचार दमदार है और एक-दूसरे पर जमकर प्रहार किया जा रहा है. एक तरफ मौजूदा सरकार पर भ्रष्टाचार और अपराध को बढ़ावा देने का आरोप है, जिससे लोग बदलाव चाहते हैं. दूसरी ओर, उप मुख्यमंत्री संजय सिन्हा तेजस्वी के पिछले कार्यकाल पर सवाल उठा रहे हैं.