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बिहार के सारण जिले का 'अमनौर' प्रखंड अपनी समृद्ध केले की खेती के लिए प्रसिद्ध है. गंडक नदी के निकट होने के कारण यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है, और कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है. केले के अलावा, यहां धान, गेहूं और दालों की भी अच्छी खेती होती है.
जिला मुख्यालय छपरा, अमनौर से लगभग 31 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है, जबकि राज्य की राजधानी पटना, अमनौर से 52 किलोमीटर उत्तर में है. उत्तर प्रदेश का बलिया, जो यहां से लगभग 106 किलोमीटर दूर है, किसानों के लिए प्रमुख बाजार केंद्र के रूप में कार्य करता है जहां वे अपनी उपज बेचते हैं.
अमनौर का निर्वाचन इतिहास अपेक्षाकृत नया है. वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद इसे विधानसभा क्षेत्र का दर्जा मिला. यह सारण लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. अमनौर और मकेर प्रखंडों के अलावा परसा प्रखंड के छह ग्राम पंचायतें इस विधानसभा क्षेत्र में शामिल हैं. यह एक सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है और अब तक यहां तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के प्रत्याशी और क्षेत्र के चर्चित बाहुबली कृष्णा कुमार मंटू ने निर्दलीय उम्मीदवारों को हराकर 10,517 वोटों से जीत दर्ज की थी. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) चौथे स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस, जो महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही थी, को महज 2.21% वोट मिले और उसका उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा सका.
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले, जदयू ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में भाजपा से गठबंधन तोड़ा, तो इसका सीधा लाभ भाजपा को मिला. भाजपा ने शत्रुघ्न तिवारी को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने जदयू के मौजूदा विधायक और महागठबंधन के उम्मीदवार मंटू को 5,251 वोटों से हराया. मंटू ने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया और 2020 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत लिया, हालांकि इस बार जीत का अंतर घटकर 3,681 वोट रह गया. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुनील कुमार को हराया, जो 2010 और 2015 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे थे.
अमनौर एक पूरी तरह ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है, जिसमें शहरी मतदाता नहीं हैं. भाजपा का यहां उभार 2009 के लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ, जब सारण सीट से भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूड़ी ने अमनौर क्षेत्र में लालू प्रसाद यादव पर 517 वोटों की बढ़त हासिल की. 2014 में यह बढ़त 11,547 तक पहुंच गई, जब लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी सारण सीट से रूड़ी के खिलाफ चुनाव लड़ रही थीं. 2019 में भाजपा की यह बढ़त और अधिक बढ़कर 29,735 वोट हो गई. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़त घटकर 10,571 रह गई जब राजद ने लालू-राबड़ी की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य को सारण से उम्मीदवार बनाया. इसके बावजूद यह भाजपा और रूड़ी के लिए उल्लेखनीय प्रदर्शन रहा, खासकर तब जब सारण लालू यादव का गृह जिला है.
2020 के विधानसभा चुनावों में अमनौर में कुल 2,63,716 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 33,624 (12.75%) अनुसूचित जातियों से और 25,053 (9.50%) मुस्लिम समुदाय से थे. इस चुनाव में 56.84 प्रतिशत मतदान हुआ, जो अब तक का सबसे अधिक रहा. लेकिन यह भी माना जाता है कि बाहुबली प्रत्याशी के डर के कारण कई ग्रामीण वोट डालने से कतराते हैं या मतदान से दूर रहते हैं.
यदि 2025 के चुनावों में मतदान प्रतिशत को और बढ़ाना है, तो निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी होगी कि वह मतदाताओं के मन से भय को दूर करे और स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान का वातावरण सुनिश्चित करे.
(अजय झा)
Sunil Kumar
RJD
Shatrudhan Tiwari
IND
Rahul Kumar
RLSP
Sangeeta Singh
IND
Nota
NOTA
Sudish Kumar Singh
IND
Ram Pukar Mehata
IND
Nand Kishore Singh
IND
Nurjaha
BMF
Jitendra Kumar Singh
IND
Poonam Rai
JAP(L)
Bikash Kumar
IND
Krishna Mishra
IND
Vir Kunwar Singh
SSJP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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