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IND
Bihar Election Result 2025 Live: कुचायकोट विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
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बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित कुचायकोट एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है, जो गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इसमें कुचायकोट और मांझा सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं. भौगोलिक दृष्टि से यह उत्तर-पश्चिमी बिहार में स्थित है और NH-531 तथा गोपालगंज व थावे जंक्शनों के जरिए अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.
इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जिसमें धान, गेहूं और गन्ने की खेती प्रमुख है. गंडक नहर प्रणाली स्थानीय खेती को सहारा देती है. हालांकि अधिकांश परिवार खेती पर निर्भर हैं, लेकिन गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों की कमाई भी यहां की अर्थव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण रीढ़ है. हाल के वर्षों में क्षेत्र में सड़क, बिजली और मोबाइल नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाएं गांवों तक पहुंचने लगी हैं, जिससे विकास की रफ्तार थोड़ी तेज हुई है.
कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी, लेकिन 1976 में परिसीमन के बाद यह सीट चुनावी नक्शा से हटा दी गई थी. 2008 में परिसीमन के बाद इसे पुनः बहाल किया गया और तब से अब तक तीन चुनाव (2010, 2015, 2020) हो चुके हैं.
1952 से 1972 के बीच हुए छह चुनावों में कांग्रेस ने चार बार जीत हासिल की थी. लेकिन 2008 के बाद से यह सीट लगातार जनता दल (यूनाइटेड) के पक्ष में रही है. अमरेंद्र कुमार पांडे ने 2010, 2015 और 2020- तीनों चुनावों में जीत हासिल की है. उनके जीत के अंतर में समय के साथ बदलाव देखा गया: 2010 में 19,518 वोटों से जीत, 2015 में जब जदयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर राजद के साथ महागठबंधन बनाया, तब अंतर घटकर 3,562 रह गया. लेकिन 2020 में जब जदयू ने फिर से एनडीए का साथ पकड़ा, तो अंतर बढ़कर 20,630 हो गया.
इस क्षेत्र की राजनीति में नागीना राय एक चर्चित नाम रहे हैं, जो 1980 से 1984 तक इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री भी रहे. उन्होंने 1967 में निर्दलीय, 1969 में जनता पार्टी और 1972 में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर लगातार तीन बार जीत दर्ज की. अमरेंद्र कुमार पांडे ने उनके इस रिकॉर्ड की बराबरी की है.
2020 के चुनाव में अमरेंद्र कुमार पांडे ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडे को हराया था. हालांकि भाजपा ने कभी कुचायकोट से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, फिर भी इसकी उपस्थिति स्पष्ट है. 2014 के लोकसभा चुनाव में, जब जदयू एनडीए में शामिल नहीं था, तब भी भाजपा ने इस विधानसभा क्षेत्र में 60,546 वोटों की बढ़त हासिल की थी. 2009 से अब तक चारों लोकसभा चुनावों में एनडीए को यहां बढ़त मिली है.
इसका एक कारण यहां की जातीय संरचना भी है. क्षेत्र में ब्राह्मण समुदाय की अच्छी-खासी संख्या है, जो परंपरागत रूप से भाजपा समर्थक माना जाता है. नागीना राय को छोड़कर अब तक के सभी निर्वाचित विधायक ब्राह्मण समुदाय से रहे हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में कुचायकोट में कुल 3,23,263 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 31,468 अनुसूचित जाति (9.73%), 1,404 अनुसूचित जनजाति (0.43%) और 59,037 मुस्लिम मतदाता (18.26%) शामिल थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,31,795 हो गई. लेकिन बेरोजगारी के चलते पलायन एक बड़ी समस्या बनी हुई है. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच 7,685 मतदाता रोज़गार की तलाश में क्षेत्र से पलायन कर गए.
(अजय झा)
Kali Parsad Pandey
INC
Sunita Devi
RLSP
Nota
NOTA
Hari Narayan Singh
IND
Ravi Pandey
LJP
Sudhanshu Kumar Pandey
IND
Sunil Kumar Jayswal
IND
Esuv Anwar
BJNP
Sadman Ali
AZAP
Vishwakarma Sharma
AKP
Ajeet Kumar Choubey
IND
Mojahid Raja
BMP
Vinay Rai
HSJP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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