BJP
RJD
Nota
NOTA
JSP
IND
AAP
AIFB
RJSBP
JDP(D)
PPI(D)
BLCP
Bihar Election Result 2025 Live: गोरियाकोठी विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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बिहार के सीवान जिले में स्थित गोरियाकोठी विधानसभा क्षेत्र, महाराजगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यह सामान्य श्रेणी की सीट है. वर्ष 2010 में बसंतपुर और लकड़ी नबीगंज प्रखंडों को गोरियाकोठी प्रखंड के साथ मिलाकर इसका गठन हुआ था.
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान यह क्षेत्र बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा था. ऐसा माना जाता है कि उस दौर में किसी अंग्रेज नील के व्यापारी, राजस्व अधिकारी या जिले के किसी वरिष्ठ अफसर का यहां एक बंगला हुआ करता था, जो समय के साथ स्थानीय पहचान बन गया. स्थानीय लोग इसे “गोरिया का कोठी” कहकर संबोधित करने लगे, जो बाद में संक्षिप्त होकर गोरियाकोठी बन गया.
यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है और इसकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. प्रमुख फसल धान, गेहूं और मक्का, है जबकि कुछ इलाकों में गन्ने की भी खेती होती है. क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, लेकिन छोटे स्तर का व्यापार और प्रवासी मजदूरों द्वारा भेजे गए धन से भी आर्थिक गतिविधियां संचालित होती हैं.
गोरियाकोठी प्रखंड मुख्यालय, सीवान जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी पूर्व में स्थित है. यह महाराजगंज (25 किमी), बसंतपुर (15 किमी) और लकड़ी नबीगंज (12 किमी) जैसे आसपास के कस्बों से सड़क मार्ग से जुड़ा है. पास का प्रमुख रेलवे स्टेशन सीवान है और निकटतम हवाई अड्डा पटना (लगभग 120 किमी) में स्थित है.
2020 के विधानसभा चुनावों में यहां कुल 3,31,015 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,40,332 हो गए. इनमें से 2020 की मतदाता सूची के 3,980 लोग 2024 तक प्रवास कर गए थे. जातिगत आंकड़ों के अनुसार यहां अनुसूचित जाति लगभग 10.84% (35,882), अनुसूचित जनजाति 1.3% (4,303), मुस्लिम समुदाय लगभग 16.9% (55,942) हैं. गौरतलब है कि संपूर्ण मतदाता वर्ग ग्रामीण है.
हालांकि वर्तमान स्वरूप में यह सीट 2008 में बनी और पहली बार 2010 में चुनाव हुआ, लेकिन गोरियाकोठी क्षेत्र 1967 से ही विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में रहा है. पुनर्संरचना से पहले यहां 11 विधानसभा चुनाव हुए. जिसमें कांग्रेस ने चार बार, बीजेपी, जनता दल और राजद ने दो-दो बार जबकि लोकतांत्रिक कांग्रेस ने एक बार (1969 में) जीत दर्ज की.
2020 में बीजेपी के देवेश कांत सिंह ने 92,350 वोटों से जीत हासिल की, जबकि राजद की नूतन देवी को 75,990 वोट मिले. जदयू ने सीट साझा व्यवस्था के अंतर्गत चुनाव नहीं लड़ा.
2024 के लोकसभा चुनाव में महाराजगंज के बीजेपी प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने गोरियाकोठी विधानसभा क्षेत्र में 16,864 वोटों से बढ़त हासिल की.
2010 के बाद से यह सीट बीजेपी और राजद के बीच अदला-बदली का केंद्र रही है. 2010 में बीजेपी के भूमेंद्र नारायण सिंह ने 14,021 वोटों से जीत दर्ज की. 2015 में राजद के सत्यदेव प्रसाद सिंह ने 7,651 वोटों से जीत हासिल की. 2020 में बीजेपी के देवेश कांत सिंह ने 11,891 वोटों से वापसी की.
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए की स्थिति गोरियाकोठी में मजबूत दिख रही है. हालांकि राजद-कांग्रेस गठबंधन अभी भी मुकाबले में है, लेकिन उसे जीत के लिए अपने वोट बैंक को मजबूत करना होगा.
वहीं, प्रशांत किशोर द्वारा शुरू की गई जन सुराज पार्टी भी चुनावी मैदान में है और यदि उसका अभियान कुछ क्षेत्रों में प्रभावशाली रहा तो वह वोट शेयर में बदलाव ला सकती है.
(अजय झा)
Nutan Devi
RJD
Arvind Kumar Singh
IND
Ashok Kumar Varma
IND
Kaunain Ahamad
IND
Anup Kumar Tiwari
IND
Premchand Singh
JAP(L)
Satyadeo Prasad Singh
RLSP
Jawaher Sah
IND
Tribhuwan Ram
IND
Nota
NOTA
Ravindra Panday
NCP
Shekh Imam Hussain
IND
Parmod Rai
JNP
Vinay Kumar Bhardwaj
JKM
Dharambeer Singh
IND
Sanjay Singh
RJLP(S)
Ramayan Singh
AIFB
Jitesh Kumar Singh
PP
Lalbabu Sharma
IND
Ramayan Yadav
IND
Manoj Kumar Singh
IND
Akhileshwar Mishra
BSLP
Pramod Kumar Sahwal
JGJP
Emtaj Miyan
BINP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.