BJP
RJD
JSP
BSP
RJLP(S)
IND
Nota
NOTA
RJSBP
Baikunthpur Vidhan Sabha Chunav Result: Mithilesh Tiwari ने बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग का निर्वाचन क्षेत्र है. यह गोपालगंज (अनुसूचित जाति) लोकसभा सीट का हिस्सा है. इस विधानसभा क्षेत्र में बैकुंठपुर और सिधवलिया प्रखंडों के साथ-साथ बरौली प्रखंड के रामपुर, सलेमपुर पूर्वी, सलेमपुर पश्चिमी, हसनपुर, सादौआ, पिपरा और खजुरिया पंचायतें आती हैं.
यह क्षेत्र उपजाऊ गंडक बेसिन में स्थित है और यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. धान, गेहूं और गन्ना यहां की प्रमुख फसलें हैं. हालांकि खेती ही मुख्य आजीविका का साधन है, लेकिन रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में युवाओं का पलायन पंजाब, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों की ओर होता रहा है. इन प्रवासी मजदूरों द्वारा भेजी गई रकम स्थानीय अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान करती है. बुनियादी ढांचे का विकास धीमा रहा है. सड़क संपर्क सीमित है और उच्च शिक्षा के संस्थानों की संख्या भी बहुत कम है.
1951 में स्थापित इस विधानसभा क्षेत्र में अब तक कुल 18 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें एक उपचुनाव 1996 में हुआ था. शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने पांच बार यह सीट जीती. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने तीन बार, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) ने दो-दो बार जीत दर्ज की है, जिसमें उसका पूर्व रूप समता पार्टी भी शामिल है. भाजपा और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक बार जीत हासिल की.
इस क्षेत्र में कई बार राजनीतिक उलटफेर देखने को मिले हैं. 1977 से 1990 तक ब्रज किशोर नारायण सिंह ने लगातार चार बार इस सीट पर जीत हासिल की- दो बार जनता पार्टी और दो बार कांग्रेस के टिकट पर. 1995 में उन्हें जनता दल के लाल बाबू प्रसाद यादव ने पराजित किया. वर्ष 2000 में मंजीत कुमार सिंह समता पार्टी से जीतकर उभरे और 2010 में जदयू के प्रत्याशी के रूप में भी विजयी रहे. 2005 के फरवरी और अक्टूबर में दो बार चुनाव हुए, जिनमें दोनों बार राजद के देव दत्त प्रसाद यादव विजयी रहे. 2015 में भाजपा के मितलेश तिवारी ने मंजीत कुमार सिंह को हराया, लेकिन 2020 में उन्हें राजद के प्रेम शंकर प्रसाद से हार का सामना करना पड़ा.
2020 का विधानसभा चुनाव तीव्र त्रिकोणीय मुकाबले के रूप में सामने आया. राजद के प्रेम शंकर प्रसाद ने 67,807 वोट (37.01%) पाकर भाजपा के मितलेश तिवारी को 11,113 वोटों से हराया. भाजपा को 56,694 वोट (30.95%) मिले, जबकि निर्दलीय मंजीत कुमार सिंह को 43,354 वोट (23.67%) मिले. शेष छह प्रतिशत वोट अन्य उम्मीदवारों के हिस्से में गए.
2020 में बैकुंठपुर में कुल 3,17,459 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें लगभग 30,842 अनुसूचित जाति (9.72%), 1,017 अनुसूचित जनजाति (0.32%) और 56,968 मुस्लिम मतदाता (17.94%) शामिल थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,35,737 हो गई. हालांकि, चुनाव आयोग के अनुसार, इस दौरान 3,881 मतदाता क्षेत्र से पलायन कर गए.
2020 में जहां राजद ने भाजपा से सीट छीनी थी, वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा वाली जदयू ने बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में 16,964 वोटों की बढ़त बनाई. इससे राजद की बढ़त खत्म हो गई और 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है.
बैकुंठपुर का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां मतदाता जागरूक हैं और हर चुनाव में नतीजे बदल सकते हैं. विभिन्न दलों की बार-बार जीत इस बात का संकेत है कि कोई भी सीट सुरक्षित नहीं है. बदलते राजनीतिक समीकरण और तीव्र प्रतिस्पर्धा इसे 2025 में होने वाले चुनावों के लिए एक हॉटस्पॉट बना देते हैं.
(अजय झा)
Mithilesh Tiwari
BJP
Manjit Kr Singh
IND
Nota
NOTA
Rajendra Prasad
IND
Madan Ray
IND
Bandana Singh
NCP
Suresh Kumar Singh
IND
Atul Kr. Gautam
PP
Uttam Kumar Chauhan
IND
Manoj Kumar Ranjan
IND
Ranjeet Singh
IND
Mohan Mahto
IND
Bhairaw Singh
JSVP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.