LJPRV
RJD
BSP
IND
SBSP
JSP
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SP(L)
IND
IND
RLJP
Nota
NOTA
IND
JGJP
AKBHJS
IND
AJPR
AHFB(K)
NIUP
Obra Vidhan Sabha Election Results Live: ओबरा विधानसभा सीट के नतीजे सामने आए, LJPRV ने RJD को दी शिकस्त
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बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित ओबरा एक ब्लॉक है, जो मगध क्षेत्र का हिस्सा है. यह छोटा मगर महत्वपूर्ण नगर औरंगाबाद-पटना राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. यह जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसके निकटवर्ती शहरों में दाउदनगर, औरंगाबाद, डेहरी-ऑन-सोन और रफीगंज शामिल हैं.
ओबरा ब्लॉक में कुल 20 पंचायतें हैं, जिनके अंतर्गत 145 गांव आते हैं. यह इलाका तीन नदियों से घिरा हुआ है. पश्चिम और उत्तर में पुनपुन नदी, पूर्व में अद्री नदी और फिर से पश्चिम में सोन नदी से. सोन नदी के उपजाऊ मैदान इस क्षेत्र की कृषि समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. साथ ही, ओबरा मगध पर्वत श्रृंखला की रतन पहाड़ी और झारखंड के पास स्थित छोटानागपुर पठार के समीप भी स्थित है.
ओबरा की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है, जिसमें धान और तिल प्रमुख फसलें हैं. कृषि के अतिरिक्त, यह कस्बा कालीन (कारपेट) और कंबल उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां कालीन बुनाई की परंपरा 15वीं शताब्दी से चली आ रही है, जबकि कंबल निर्माण की परंपरा भी सौ वर्षों से अधिक पुरानी है.
2011 की जनगणना के अनुसार, ओबरा की कुल जनसंख्या 2,26,007 थी. इसमें 85.02% हिंदू और 14.82% मुस्लिम आबादी शामिल है. यहां का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 922 महिलाओं का था और जनसंख्या घनत्व 838 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था. ब्लॉक में कुल 35,453 घर हैं, जिनमें से 33,076 ग्रामीण क्षेत्रों में और 2,377 शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं.
यहां की साक्षरता दर 59.43% है, जिसमें पुरुष साक्षरता 67.49% और महिला साक्षरता 50.69% दर्ज की गई है. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से मगही, हिंदी और उर्दू भाषाएं बोली जाती हैं.
1951 में स्थापित ओबरा औरंगाबाद जिले में स्थित है, लेकिन यह करकट लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र कभी किसी एक पार्टी के प्रति स्थायी निष्ठा नहीं दिखाता रहा है. यहां से अब तक कांग्रेस, समाजवादी, वामपंथी, जनता पार्टी, बीजेपी, जनता दल, निर्दलीय और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे विभिन्न दलों के प्रत्याशी विजयी होते रहे हैं.
हाल के वर्षों में राजद ने यहां मजबूती से पकड़ बनाई है और पिछले पांच में से चार विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की है, जिनमें 2015 और 2020 भी शामिल हैं. 2020 में एनडीए के घटक दलों, लोजपा और जेडीयू के बीच विभाजन के चलते वोटों का बिखराव हुआ, जिसका लाभ राजद को मिला. 2024 के लोकसभा चुनाव में करकट सीट से राजद की सहयोगी सीपीआई(एमएल)(एल) ने जीत दर्ज की और ओबरा समेत सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई.
ओबरा के मतदाता वर्ग में अनुसूचित जाति के मतदाता 22.05% हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 8.4% हैं. यह क्षेत्र ग्रामीण मतदाताओं के प्रभाव में है, जिनकी हिस्सेदारी 84.49% है. 2020 के विधानसभा चुनावों में कुल 3,18,098 पंजीकृत मतदाताओं में से 55.31% ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,28,407 हो गई.
(अजय झा)
Prakash Chandra
LJP
Sunil Kumar
JD(U)
Ajay Kumar
RLSP
Pramod Singh Chandravanshi
IND
Som Prakash
SP(L)
Sujeet Kumar
JAP(L)
Nota
NOTA
Rana Pratap Singh
BSLP
Rabindra Nath Sharma
VSP
Ramrup Rajvanshi
AHFB(K)
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.