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Bhabua Vidhan Sabha Chunav Result: Bharat Bind ने भाबुआ विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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भभुआ बिहार के कैमूर जिले का एक शहर और जिला मुख्यालय है. यह उत्तर में बिहार के बक्सर जिले और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से घिरा हुआ है. इसके दक्षिण में झारखंड का गढ़वा जिला है, जबकि पश्चिम में उत्तर प्रदेश के चंदौली और सोनभद्र जिले स्थित हैं. पूर्व दिशा में बिहार का रोहतास जिला है, जो सुवरा नदी के किनारे बसा है. माना जाता है कि भभुआ की स्थापना 1532 में शेरशाह सूरी ने की थी.
भभुआ का ऐतिहासिक महत्व मुंडेश्वरी मंदिर और कैमूर की पर्वत श्रृंखला से जुड़ा हुआ है. यह स्थल प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है. भभुआ से वाराणसी की दूरी लगभग 84 किलोमीटर पश्चिम में, सासाराम 60 किलोमीटर पूर्व में, मोहनिया 14 किलोमीटर उत्तर में और चंदौली शहर 50 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है. यह क्षेत्र कर्मनाशा और दुर्गावती नदियों से घिरा हुआ है, जो कैमूर की पहाड़ियों से निकलती हैं और क्षेत्र की कृषि और सिंचाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. यहाँ का भू-भाग पहाड़ी और समतल दोनों प्रकार का है. दक्षिण में कैमूर पठार और उत्तर में उपजाऊ मैदान फैले हुए हैं.
कैमूर का इतिहास आदिम युग से जुड़ा हुआ है. यहां के पठारों में भरों, चेरों और सावरों जैसी जनजातियां निवास करती थीं. किंवदंतियों के अनुसार, खरवारों ने सबसे पहले रोहतास की पहाड़ियों में बसावट की थी, जबकि उरांव समुदाय का मानना है कि वे कभी रोहतास से पटना तक के इलाके पर शासन करते थे. यह भूमि राजा सहस्रार्जुन से भी जुड़ी मानी जाती है, जिन्हें भगवान परशुराम ने पराजित किया था.
यह इलाका मगध साम्राज्य का हिस्सा रहा है और गुप्त तथा मौर्य वंश के शासकों के अधीन रहा. बाद में यह कन्नौज के राजा हर्षवर्धन के शासन में आया और फिर मध्य भारत के शैल वंश, बंगाल के पाल वंश तथा चंदौली के अधीन रहा. गुप्तों के बाद यहां कई आदिवासी और स्थानीय शासकों ने अधिकार जमाया, जिन्हें बाद में राजपूतों ने पराजित किया, लेकिन अंततः यह क्षेत्र मुस्लिम शासकों के अधीन चला गया. यह इलाका जौनपुर का हिस्सा बना और बक्सर की लड़ाई के बाद ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया. स्वतंत्रता संग्राम में इस क्षेत्र के लोगों ने अहम भूमिका निभाई. 1972 में रोहतास जिले की स्थापना हुई और 1991 में कैमूर को रोहतास से अलग करके एक नया ज़िला बनाया गया, जिसका मुख्यालय भभुआ बना.
भभुआ को "ग्रीन सिटी" के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां की इमारतें हरे रंग से रंगी हुई हैं और चारों ओर हरियाली है, ठीक वैसे ही जैसे जयपुर को उसकी गुलाबी इमारतों के कारण "पिंक सिटी" कहा जाता है.
जनगणना 2011 के अनुसार, भभुआ की कुल जनसंख्या 3,01,440 थी, जिसमें से 50,179 लोग शहरी और 2,51,261 लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे. जनसंख्या घनत्व 924 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था. लिंगानुपात 1,000 पुरुषों पर 909 महिलाएं था. साक्षरता दर 57.85% रही, जिसमें पुरुष साक्षरता 66.04% और महिला साक्षरता 48.84% थी. इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 259 गांव हैं, जिनमें से 132 गांवों की जनसंख्या 1,000 से कम है और केवल दो गांवों में 5,000 से अधिक लोग रहते हैं.
1957 में स्थापित भभुआ विधानसभा क्षेत्र सासाराम (अनुसूचित जाति) लोकसभा क्षेत्र के छह खंडों में से एक है. यहां कोइरी और कुर्मी जातियों के रूप में पिछड़ी जातियों की बड़ी संख्या है. इसके बाद ब्राह्मण और कायस्थ ऊंची जातियों का दूसरा सबसे बड़ा समूह है. अनुसूचित जातियां 22.25% और अनुसूचित जनजातियां 2.09% मतदाता हैं, जबकि मुसलमानों की आबादी 8.2% है. यह एक प्रमुखतः ग्रामीण क्षेत्र है, जहां केवल 12.86% मतदाता शहरी हैं.
अब तक भभुआ में 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से एक उपचुनाव 2018 में हुआ था. कांग्रेस ने इस सीट को छह बार, बीजेपी (जिसमें 1969 की भारतीय जनसंघ भी शामिल है) और राजद ने तीन-तीन बार, सीपीआई ने दो बार, और जनता पार्टी, बीएसपी और एलजेपी ने एक-एक बार जीता है.
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मौजूदा विधायक रिंकी रानी पांडे को राजद के भारत बिंद ने 10,045 वोटों से हराया. रिंकी पांडे ने 2018 के उपचुनाव में अपने पति आनंद भूषण पांडे की मृत्यु के बाद जीत हासिल की थी. उन्होंने 2015 में यह सीट जीती थी. 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अंतर को घटाकर 4,833 कर दिया है. माना जा रहा है कि आगामी चुनावों में बीजेपी एक नए लोकप्रिय चेहरे के साथ-साथ 2020 में मतदान से दूर रहे 36.48% मतदाताओं को साधने पर ध्यान केंद्रित करेगी.
2020 में भभुआ में 2,74,728 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के संसदीय चुनाव में बढ़कर 2,80,979 हो गए हैं.
(अजय झा)
Rinky Rani Pandey
BJP
Birendra Kumar Singh
RLSP
Pramod Kumar Singh
IND
Nota
NOTA
Satyendra Kumar Dubey
IND
Ramchandra Singh Yadav
JAP(L)
Narendra Pratap Singh
TC
Diwaker Choubey
RJLP(S)
Chthu Gond
APOI
Ujjwal Kumar Chaubay
IND
Krishnakant Tiwari
PP
Sanjay Kumar Sinha
NCP
Poonam Singh Urf Dr. Poonam Kushwaha
BMP
Mukhtar Ansari
PCP
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बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की जीत का बड़ा दावा किया है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर कहा, 'बिहार विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग में एनडीए ने भारी बढ़त हासिल कर ली है'. उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे चरण में भी एनडीए की लहर है.
बिहार में चुनावों की घोषणा हो चुकी है, और इस बार भोजपुरी सितारों का राजनीतिक दलों में दबदबा देखा जा रहा है. पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, मैथिली ठाकुर, रितेश पांडे और चेतना झा जैसे बड़े नाम चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. पवन सिंह का नाम बीजेपी के टिकट पर आरा से जुड़ रहा है, जबकि खेसारी लाल यादव की पत्नी आरजेडी से सारण की माझी सीट से लड़ सकती हैं. रितेश पांडे और चेतना झा जन सुराज पार्टी से चुनाव लड़ेंगे. पवन सिंह 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सात सीटें हारने का कारण बने थे.
बसपा की इस रणनीति से साफ है कि पार्टी बिहार में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए मजबूत और प्रभावशाली उम्मीदवारों पर दांव लगा रही है. इन उम्मीदवारों के चयन में स्थानीय प्रभाव, सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय लोकप्रियता को ध्यान में रखा गया है.