JD(U)
CPI(ML)(L)
BSP
JSP
SBSP
IND
Nota
NOTA
IND
RLJP
IND
IND
GGP
IND
SKVP
BHDRP
JSJD
JGJP
Dumraon Chunav Results Live: डुमरांव निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Rahul Kumar Singh ने 2105 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
Dumraon Election Results Live: डुमरांव विधानसभा सीट पर जबर्दस्त मुकाबला, वोटों का अंतर महज 2105 ! जानें लेटेस्ट अपडेट
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Dumraon Election Results Live: डुमरांव विधानसभा सीट पर जबर्दस्त मुकाबला, वोटों का अंतर महज 2391 ! जानें लेटेस्ट अपडेट
डुमरांव, बिहार के बक्सर जिले का एक उपखंड और विधानसभा क्षेत्र है, जिसमें चौगाईं, केसठ और नवानगर सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं. इसके अलावा इसमें चिलहरी, कुशलपुर, भोजपुर कदीम, भोजपुर जदीद, छतनवार, नुआंव, सोवां, अड़ियांव, नंदन, लखनडीहरा और दमराँव प्रखंड की ग्राम पंचायतें आती हैं.
डुमरांव की कहानी एक समृद्ध और शक्तिशाली राजधानी से शुरू होती है, जो समय के साथ अपनी चमक खोकर एक उपखंड स्तरीय कस्बे तक सीमित रह गई है. यह एक समय डुमरांव राज की राजधानी हुआ करता था. एक विशाल जमींदारी जो ब्रिटिश काल में 2,330 वर्ग किलोमीटर में फैली थी. यह जमींदारी बक्सर से उत्तर प्रदेश के बलिया तक फैली हुई थी और गंगा किनारे बसे 70 से अधिक गांवों पर अधिकार रखती थी.
डुमरांव नगर की स्थापना 1709 में राजा होरिल सिंह ने की थी, जब उन्होंने मथिला बक्सर से अपनी राजधानी डुमरांव स्थानांतरित की थी. इसे कभी "होरिलनगर" के नाम से भी जाना जाता था. राजा होरिल सिंह की अवसरवादी नीतियां, जैसे कि अपने ही कबीले के विद्रोहों को दबाने में मुगलों की मदद करना, संभवतः डुमरांव के पतन का कारण बनीं. मुगलों ने बदले में डुमरांव राज को विशाल जमींदारी बना दिया, लेकिन आज के डुमरांववासी उन्हें विश्वासघाती मानते हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत सत्ता और धन के लिए देश के साथ गद्दारी की.
भौगोलिक दृष्टि से, डुमरांव बक्सर जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. इसके अलावा नगवां 18 किलोमीटर उत्तर में और कोथ लगभग 27 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है. गंगा के समीप होने के कारण यह क्षेत्र उपजाऊ है और गंगीय मैदानों की समतल भौगोलिक संरचना लिए हुए है. 1800 के दशक के अंत में डमराँव एक प्रमुख चीनी उत्पादक और निर्यातक था, लेकिन अब वहां की चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं और यह शहर बिहार के औद्योगिक नक्शे से गायब हो चुका है.
2011 की जनगणना के अनुसार, डुमरांव की जनसंख्या 53,618 थी, जिसमें 28,498 पुरुष और 25,120 महिलाएं थीं. लिंग अनुपात केवल 881 महिलाओं प्रति 1000 पुरुष था, जो चिंताजनक रूप से कम है. साक्षरता दर 71.6% थी, जो बिहार की औसत साक्षरता दर 61.8% से अधिक है, लेकिन इसमें भी लैंगिक असमानता स्पष्ट थी. पुरुषों की साक्षरता 78.64% और महिलाओं की केवल 63.52% थी. धार्मिक दृष्टिकोण से, 83.85% आबादी हिंदू और 15.94% मुस्लिम थी.
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई और यह बक्सर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. अब तक यहां 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं. इनमें से कांग्रेस ने सात बार जीत दर्ज की है, जबकि जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और निर्दलीय प्रत्याशी दो-दो बार विजयी रहे हैं. सीपीआई, समाजवादी पार्टी, अखिल जन विकास दल और सीपीआई(एमएल)(एल) को एक-एक बार सफलता मिली है.
यहां के मतदाता आम तौर पर पार्टी की बजाय उम्मीदवार को प्राथमिकता देते हैं. उदाहरण के लिए, बसंत सिंह ने 1985 में कांग्रेस से जीत हासिल की और फिर 1990 व 1995 में जनता दल से विजयी रहे. उनके उत्तराधिकारी ददन सिंह यादव चार बार अलग-अलग पार्टियों से जीत चुके हैं. 2000 में निर्दलीय, 2005 के फरवरी और अक्टूबर में क्रमशः समाजवादी पार्टी और अखिल जन विकास दल से, और 2015 में जदयू से जीते. वे एक बार बसपा से बक्सर लोकसभा सीट भी लड़े थे लेकिन हार गए. 2020 में सीपीआई(एमएल)(एल) के अजीत कुशवाहा ने महागठबंधन के तहत जदयू की अंजुम आरा को 24,415 मतों से हराकर सीट जीती.
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में महागठबंधन को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. बक्सर सीट से आरजेडी के सुधाकर सिंह ने बीजेपी के मिथिलेश तिवारी पर डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में केवल 3,581 मतों की बढ़त बनाई.
जातिगत रूप से डुमरांव किसी एक जाति के वर्चस्व वाला क्षेत्र नहीं है. यहां 13.63% अनुसूचित जाति, 1.25% अनुसूचित जनजाति और 7.1% मुस्लिम मतदाता हैं. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जिसमें केवल 12.88% मतदाता शहरी हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या 3,18,276 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,30,088 हो गई. 2020 में मतदान प्रतिशत केवल 55.05% था, जिससे बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए को उम्मीद है कि यदि वे शेष 44.95% निष्क्रिय मतदाताओं को साध लें, तो 2025 के विधानसभा चुनावों में उनकी जीत संभव हो सकती है.
(अजय झा)
Anjum Aara
JD(U)
Arvind Pratap Shahi
RLSP
Shivang Vijay Singh
IND
Dadan Yadav
IND
Akhilesh Kumar Singh
LJP
Sunil Kumar
IND
Md Afzal Ansari
IND
Nota
NOTA
Srikant Singh
JAP(L)
Santosh Kumar Choubey
IND
Vikash Kumar Singh
RJNP
Manoranjan Kumar Paswan
IND
Rajaram Chaudhari
IND
Ravishankar Rai
IND
Vinay Raut
BP(L)
Priyesh Kumar
IND
Ganga Prasad
IND
Anshu Kumari
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार के बक्सर में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के चुनावी रोड शो के दौरान हंगामा हो गया. डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में NDA प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे तिवारी ने RJD समर्थकों पर हमला करने और काफिले को रोकने की कोशिश का आरोप लगाया है.