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Chenari (SC) Election Results 2025 Live: चेनारी (एससी) विधानसभा सीट पर LJPRV ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Murari Prasad Gautam को मिली कितनी बड़ी जीत
Chenari (SC) Vidhan Sabha Chunav Result: Murari Prasad Gautam ने चेनारी (एससी) विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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चेनारी विधानसभा क्षेत्र, जो सासाराम लोकसभा सीट के छह हिस्सों में से एक है, बिहार के रोहतास जिले में स्थित है. यह क्षेत्र मुख्य रूप से तीन प्रखंडों - चेनारी, रोहतास और नौहट्टा - के साथ शिवसागर प्रखंड की कुछ ग्राम पंचायतों को शामिल करता है. यह क्षेत्र सासाराम और डेहरी अनुमंडलों में फैला है, जिसमें कुल 153 गांव हैं, जिनमें से 42 निर्जन हैं.
चेनारी विधानसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है. इसके चारों ओर प्रमुख नगर स्थित हैं जिनमें सासाराम (जिला मुख्यालय) 23 किमी पूर्व में, भभुआ (कैमूर जिला मुख्यालय) 30 किमी पश्चिम में, मोहनिया 35 किमी उत्तर-पश्चिम में और नोखा 40 किमी उत्तर-पूर्व में शामिल है. दुर्गावती नदी इस क्षेत्र के पास बहती है, जबकि सोन नदी लगभग 28.4 किमी की दूरी पर है। ये दोनों नदियां इस इलाके के लिए जीवनरेखा जैसी हैं.
चेनारी का एक बड़ा हिस्सा रोहतास पठार पर स्थित है, जो विंध्याचल पर्वतमाला के पूर्वी छोर का हिस्सा है. इसकी पहाड़ी भौगोलिक संरचना बड़े सिंचाई परियोजनाओं के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती है.
2020 के विधानसभा चुनावों में चेनारी में कुल 3,03,618 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से अनुसूचित जातियों की संख्या 22.16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों की 4.87 प्रतिशत और मुसलमानों की अनुमानित संख्या 9.5 प्रतिशत थी. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, केवल 3.8 प्रतिशत मतदाता ही शहरी श्रेणी में आते हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र का लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 920 महिलाओं का था, जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ा कम है. साक्षरता दर 70.8 प्रतिशत रही, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर महिलाओं की तुलना में अधिक थी. यहां की प्रमुख भाषाएं भोजपुरी, हिंदी और उर्दू हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में चेनारी में 57.31 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,15,790 पंजीकृत मतदाताओं तक पहुंच गई.
सड़क संपर्क अच्छा है और अधिकांश सड़कें संतोषजनक स्थिति में हैं, लेकिन बिजलीकरण अभी भी एक चुनौती है. खासतौर पर दूरस्थ इलाकों में जहां अब भी लगभग 12 प्रतिशत ग्रामीण आबादी बिजली से वंचित है. स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है, जिससे ग्रामीणों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.
चेनारी का इतिहास सासाराम से गहराई से जुड़ा है, जो शेरशाह सूरी की सत्ता का केंद्र था. चेनारी से लगभग 13 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित शेरगढ़ किला एक ऐतिहासिक धरोहर है. इस किले के निर्माण को लेकर मतभेद हैं, जहां कुछ इसे शेरशाह के समय का मानते हैं, वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह किला उनके शासन से पहले का है और शेरशाह ने इसे केवल मरम्मत कराकर अपनी दूसरी रक्षापंक्ति के रूप में इस्तेमाल किया था.
हालांकि चेनारी की राजनीतिक यात्रा को लेकर कोई मतभेद नहीं है. यह क्षेत्र 1962 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया. तब से अब तक यहां की जनता ने समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों को प्राथमिकता दी है, वाम और दक्षिणपंथी दोनों दलों से दूरी बनाए रखी है. अब तक हुए 2009 उपचुनाव सहित 16 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने छह बार जीत हासिल की है, जबकि बाकी 10 बार विभिन्न समाजवादी दलों को सफलता मिली है, जिनमें जेडीयू तीन बार, जनता दल दो बार, और आरजेडी, हिंदुस्तानी समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी, लोक दल और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एक-एक बार विजयी रहे हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुरारी प्रसाद गौतम ने जेडीयू के मौजूदा विधायक ललन पासवान को 18,003 वोटों से हराया था. यह वही चुनाव था जिसमें लोजपा ने एनडीए से नाता तोड़कर जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे और कुल 25 सीटों पर जेडीयू की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया. चेनारी में लोजपा के चंद्रशेखर पासवान को 18,074 वोट मिले थे, जो कि जेडीयू की हार के अंतर से केवल 71 वोट अधिक थे.
अब जब लोजपा फिर से एनडीए में शामिल हो चुकी है, तो यह समीकरण बदल सकता है. चेनारी विधायक मुरारी प्रसाद गौतम ने फरवरी 2024 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया. हालांकि वे अभी भी चेनारी के विधायक बने हुए हैं, क्योंकि उनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत अयोग्यता की कार्यवाही विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय की प्रतीक्षा में है, जो संभवतः 2025 के चुनावों से पहले पूरी नहीं होगी. इसका मतलब यह हो सकता है कि भाजपा 2025 के विधानसभा चुनाव में गौतम को एनडीए उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार सकती है.
हालांकि गौतम का भाजपा में आना, पार्टी को सासाराम लोकसभा सीट पर जीत नहीं दिला सका. वहां कांग्रेस के मनोज कुमार ने भाजपा के शिवेश कुमार को हराया। भाजपा ने छह विधानसभा क्षेत्रों में से तीन में बढ़त बनाई, लेकिन कांग्रेस ने चेनारी में अपनी पकड़ बरकरार रखी.
(अजय झा)
Lalan Paswan
JD(U)
Chandra Shekhar Paswan
LJP
Shyam Bihari Ram
BSP
Nota
NOTA
Manish Kumar Rajak
IND
Ramadhar Paswan
IND
Sanjay Kumar
APOI
Dhramdev Ram
IND
Baby Devi
IND
Ramekbal Ram
IND
Bhajuram
NCP
Harendra Kumar
AZAP
Ganesh Paswan
RSSD
Pramod Kumar
IND
Pachmuna Devi
BMP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.