JD(U)
CPI(ML)(L)
JSP
Nota
NOTA
BSP
AAP
Bihar Election Result 2025 Live: भोरे (एससी) विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
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भोर विधानसभा क्षेत्र बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित है और यह गोपालगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है और इसका गठन वर्ष 1957 में किया गया था. इस क्षेत्र में भोर, कटेया और विजयीपुर प्रखंड शामिल हैं.
भोर एक प्रखंड स्तरीय कस्बा है, जो गोपालगंज जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. यह उत्तर प्रदेश की सीमा के निकट है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले का पडरौना नगर भोर से 40 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. इसके अलावा, नजदीकी प्रमुख नगरों में सिवान (30 किमी दक्षिण-पूर्व), बेतिया (75 किमी उत्तर-पश्चिम), और देवरिया (65 किमी पश्चिम, यूपी में) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 145 किलोमीटर दूर है.
भोर गंडक नदी घाटी में स्थित है और यह क्षेत्र उपजाऊ गंगा के मैदानों में आता है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. प्रमुख फसलें धान, गेहूं, मक्का और गन्ना हैं. इसके अलावा यहां कुछ चावल मिलें, ईंट भट्टे और छोटे कृषि आधारित उद्योग भी मौजूद हैं, हालांकि औद्योगिक विकास लगभग नगण्य है.
स्थानीय मान्यता के अनुसार, भोर का नाम द्वापर युग के योद्धा राजा भूरीश्रवा के नाम पर पड़ा, जो कौरवों की ओर से कुरुक्षेत्र युद्ध में लड़े थे. किंवदंती है कि उन्हें एक ऐसा चमत्कारी हाथी प्राप्त हुआ था, जो एक ही दिन में भोर से कुरुक्षेत्र (अब की दूरी 1080 किमी) तक यात्रा कर सकता था.
भोर विधानसभा क्षेत्र में इसके गठन के बाद से अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस पार्टी ने आठ बार जीत दर्ज की है. जनता दल, भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार यह सीट जीती है, जबकि जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) (जद(यू)) को एक-एक बार जीत मिली है. यह क्षेत्र अक्सर राज्य स्तरीय राजनीतिक रुझानों के अनुसार बदलता रहा है.
2020 के विधानसभा चुनाव में जद(यू) के सुनील कुमार ने सीपीआई(एमएल)(एल) के जितेंद्र पासवान को केवल 462 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया था. लोजपा की पुष्पा देवी को केवल 4,520 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहीं. नोटा (NOTA) तीसरे स्थान पर रहा. यह मुकाबला राज्य के सबसे करीबी चुनावों में से एक था. उस समय एनडीए से बाहर रह रही लोजपा ने विरोधी मतों को विभाजित कर परिणाम को प्रभावित किया, हालांकि वह जद(यू) को हराने के अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकी.
2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 3,38,763 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें अनुसूचित जातियों की संख्या 48,341 (14.27%) और अनुसूचित जनजातियों की संख्या 11,213 (3.31%) थी. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 37,603 (11.10%) थी. भोर क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जहां केवल 4.57% मतदाता शहरी हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,62,491 हो गई थी. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची में से 7,680 मतदाता 2024 तक अन्यत्र स्थानांतरित हो गए थे. भोर में आमतौर पर मतदान प्रतिशत 52% से 54% के बीच रहता है. 2020 में सबसे अधिक 54.02% मतदान दर्ज किया गया.
2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व लोजपा के पुनः एनडीए में शामिल होने के बाद, गोपालगंज सीट से जद(यू) के उम्मीदवार ने भोर खंड में बढ़त बनाई. लेकिन 2025 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए एनडीए इस सीट को हल्के में नहीं ले सकता. गोपालगंज, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है, और भोर क्षेत्र में यादव मतदाता लगभग 12.50% हैं. साथ ही, मुस्लिम मतदाता भी 11.10% हैं. यह देखा जाना बाकी है कि इस वर्ग का समर्थन किसे मिलता है, क्योंकि बिहार में मुस्लिम समुदाय पर जद(यू) और राजद दोनों की मजबूत पकड़ है.
(अजय झा)
Jitendra Paswan
CPI(ML)(L)
Nota
NOTA
Pushpa Devi
LJP
Manoj Kumar Baitha
JAP(L)
Ajay Kumar Bharti
BJNP
Dularchand Ram
IND
Bishal Kumar Bharti
PP
Rinki Devi
JSHD
Jitendra Ram
IND
Jitendra Kumar Ram
BMP
Vinod Baitha
SHS
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.