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Bihar Election Result 2025 Live: तरैया विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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बिहार के सारण जिले के उत्तरी हिस्से में स्थित तरैया विधानसभा क्षेत्र एक सामान्य श्रेणी की सीट है, जो महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. 2008 की परिसीमन अधिसूचना के अनुसार, यह क्षेत्र तरैया, पानापुर और इसुआपुर प्रखंडों को सम्मिलित करता है. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है और यहां कोई भी नगरीय मतदाता नहीं हैं.
तरैया का भू-आकृतिक स्वरूप समतल और उपजाऊ है, जिसे गंडक नहर प्रणाली और मौसमी नालों ने आकार दिया है. यह क्षेत्र गंगा के मैदानों का हिस्सा है और यहां कृषि बहुतायत में होती है.
कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. मुख्य फसलें धान, गेहूं, मक्का और दालें हैं, वहीं कुछ क्षेत्रों में गन्ना और सब्जियों की भी खेती की जाती है. यहां बड़े उद्योग नहीं हैं, लेकिन छोटे चावल मिल, ईंट भट्टे और कृषि-व्यापार केंद्र सीमित रोजगार प्रदान करते हैं. तरैया, पानापुर और इसुआपुर में लगने वाले साप्ताहिक हाट स्थानीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण हैं.
तरैया, जिला मुख्यालय छपरा से लगभग 38 किमी उत्तर में स्थित है. इसके आस-पास के प्रमुख कस्बों में मरहौरा (12 किमी), मसरख (15 किमी), सिवान (42 किमी) और मोतीपुर (50 किमी) शामिल हैं. पटना सड़क मार्ग से लगभग 95 किमी दक्षिण-पूर्व और मुजफ्फरपुर लगभग 70 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है.
तरैया का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व सीमित है, लेकिन यह अपने शिव मंदिर के लिए जाना जाता है, जिसे बिहार के सबसे ऊंचे मंदिरों में एक माना जाता है. यहां राजनीतिक जागरूकता की परंपरा रही है और इस क्षेत्र ने कई नेताओं को जन्म दिया है जिन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सेवा की है. भोजपुरी संस्कृति की झलक स्थानीय त्योहारों, लोकगीतों और जीवनशैली में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.
तरैया विधानसभा सीट की स्थापना 1967 में हुई थी और अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह पहले छपरा लोकसभा क्षेत्र में आता था, जिसे बाद में महाराजगंज में शामिल कर दिया गया. इस सीट ने विविध राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को चुना है - बीजेपी 4 बार, आरजेडी 3 बार, कांग्रेस 2 बार, जनता पार्टी 2 बार, जनता दल 1 बार, जबकि एलजेपी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से 1-1 बार विधायक चुने गए.
धर्मनाथ सिंह, प्रभुनाथ सिंह, रामदास राय और जनक सिंह जैसे नेताओं ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. प्रभुनाथ सिंह का नाम विशेष रूप से चर्चा में रहा है, जिन्होंने 1972 और 1980 में कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीती. उन्हें ‘बाहुबली राजनीति’ का प्रतीक माना जाता है. उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हुए और 1995 में हुए दोहरे हत्याकांड में 2023 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषसिद्धि को बिहार में शक्तिशाली नेताओं की जवाबदेही तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया.
हाल के वर्षों में यहां बीजेपी और आरजेडी के बीच मुकाबला रहा है. बीजेपी के जनक सिंह ने 2010 और 2020 में सीट जीती, जबकि आरजेडी के मुद्रिका प्रसाद राय 2015 में विजयी रहे. 2020 विधानसभा चुनाव में जनक सिंह ने 32.2% वोट हासिल कर आरजेडी उम्मीदवार को 11,307 वोटों से हराया. मतदान प्रतिशत 54.96% था, जो 2015 के 51.84% से अधिक था.
2020 की मतदाता सूची के अनुसार, तरैया में 3,02,679 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें अनुसूचित जाति के 34,172 (11.29%) और अनुसूचित जनजाति के मात्र 484 (0.16%) मतदाता थे. मुस्लिम मतदाता 32,387 (10.70%) थे. सामाजिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र विविध है- सिंह (19.8%), राय (15.3%), शाह (8.6%), महतो (6.8%) के अलावा पासवान, यादव, अन्य पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की मजबूत उपस्थिति है. 2024 लोकसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,15,996 हो गई.
तरैया को अब भी कई बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि खराब सड़कें, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और सिंचाई सुविधाओं का अभाव हाल के वर्षों में बिजलीकरण और स्कूली नामांकन में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार के लिए पलायन खासकर पानापुर और इसुआपुर के युवाओं में अब भी अधिक है.
2024 के लोकसभा चुनाव में तरैया विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को 49.73% वोट, जबकि कांग्रेस को 44.09% वोट मिले. इस प्रकार बीजेपी ने यहां 9,602 वोटों की बढ़त बनाई. यह संकेत है कि आगामी विधानसभा चुनाव में यहां कड़ा मुकाबला होगा और एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों की नजरें इस महत्वपूर्ण सीट पर रहेंगी, हालांकि फिलहाल बीजेपी को बढ़त मानी जा रही है.
(अजय झा)
Sipahi Lal Mahto
RJD
Sudhir Kumar Singh
IND
Shailendra Pratap
IND
Saroj Kumar Giri
IND
Mithilesh Kumar
IND
Mudrika Prasad Roy
IND
Satrudhan Singh
IND
Saukat Ali
BSP
Dhananjay Kumar Singh
IND
Nota
NOTA
Ranjay Kumar Singh
SHS
Raj Kishore Prasad
PPI(D)
Braj Bihari Singh
IND
Chandni Devi
IND
Sanjay Kumar Singh
JAP(L)
Aman Anand
IND
Rana Pratrap Singh
AIFB
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
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jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
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अमित शाह ने लालू यादव की कर्मभूमि रहे सारण यानी छपरा में चुनावी रैली कर एनडीए के चुनाव अभियान का आगाज कर दिया है. जिस छपरा से लालू यादव ने अपने जीवन का पहला चुनाव जीता था, उस जगह को शाह ने लकी बताया.